MP News: मालेगांव केस: प्रज्ञा ठाकुर समेत 7 आरोपियों पर 8 मई को आएगा कोर्ट का फैसला, NIA ने रखी अंतिम दलीलें
2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में एनआईए ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट में सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सात आरोपियों को यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत दोषी ठहराने की मांग की है। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जो 8 मई को सुनाया जाएगा। इस विस्फोट में छह लोगों की मौत हुई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

BHOPAL. 2008 के मालेगांव बम धमाके के केस में एनआईए ने मुंबई की स्पेशल कोर्ट में प्रज्ञा सिंह ठाकुर और छह अन्य आरोपियों को दोषी करार देने और सख्त सजा देने की अपील की है। एजेंसी ने कहा है कि अपराध की गंभीरता के हिसाब से सजा तय होनी चाहिए। सभी आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम और IPC की कई धाराओं में आरोप तय किए गए हैं।
आखिरी दलीलें पेश, फैसला सुरक्षित
एनआईए ने मामले में अपनी आखिरी लिखित दलील कोर्ट में पेश कर दी है, जो करीब 1,500 पन्नों की है। कोर्ट ने अब अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और इसे 8 मई को सुनाया जाएगा। स्पेशल कोर्ट के जज एके लाहोटी फैसला सुनाएंगे।
धमाके की साजिश का आरोप
सितंबर 2008 में मालेगांव में हुए धमाके में छह मुस्लिम नागरिकों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। जांच में प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय समेत सात आरोपियों पर विस्फोट की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। माना गया कि यह साजिश एक विशेष विचारधारा के तहत रची गई थी।
गवाहों के पलटे बयान
एनआईए ने बताया कि मामले में 323 गवाहों में से 32 ने अपने बयान बदल लिए थे, जिसे एजेंसी ने दबाव का नतीजा बताया। एजेंसी ने कोर्ट से कहा कि इन गवाहों को अविश्वसनीय माना जाए और आरोपियों को इसका कोई लाभ न दिया जाए।
प्रारंभिक जांच से लेकर विवादों तक
महाराष्ट्र एटीएस की शुरुआती जांच में साध्वी प्रज्ञा को मुख्य आरोपी बताया गया था। हालांकि बाद में एनआईए ने उनसे पूछताछ में देरी की, जिससे एजेंसी की भूमिका पर सवाल उठे थे। यह केस देश के उन पहले मामलों में से था जिसमें कथित रूप से दक्षिणपंथी संगठनों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए थे।