Arjun Rampal : अर्जुन रामपाल के खिलाफ 2019 के टैक्स मामले में जारी गैर-जमानती वारंट बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया रद्द 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्जुन रामपाल को राहत देते हुए उनके खिलाफ 2019 के टैक्स चोरी मामले में स्थानीय अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) को रद्द कर  दिया है। हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत के आदेश को यंत्रवत और अस्पष्ट (mechanical and cryptic) करार दिया।

Arjun Rampal : अर्जुन रामपाल के खिलाफ 2019 के टैक्स मामले में जारी गैर-जमानती वारंट बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया रद्द 
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मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्जुन रामपाल को राहत देते हुए उनके खिलाफ 2019 के टैक्स चोरी मामले में स्थानीय अदालत द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट (NBW) को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने स्थानीय अदालत के आदेश को यंत्रवत और अस्पष्ट (mechanical and cryptic) करार दिया। 16 मई को अवकाशकालीन जस्टिस अद्वैत सेठना ने पाया कि मजिस्ट्रेट का आदेश कानून के विपरीत था और उसमें उचित विचार नहीं किया गया था।

मजिस्ट्रेट ने जारी किया था गैर-जमानती वारंट

रामपाल ने 9 अप्रैल को मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए NBW को चुनौती दी थी। यह मामला आयकर विभाग द्वारा इनकम टैक्स की धारा 276C(2) के तहत दायर किया गया था, जिस के तहत उल्लिखित अपराध ऐसे कर, जुर्माना या ब्याज को संदर्भित करता है जहां भुगतान से बचने का जानबूझकर प्रयास किया जाता है। अपनी याचिका में अर्जुन रामपाल ने दलील दी कि उनके वकील ने पेशी से छूट की अर्जी दी थी, जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया और फिर गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर दिया।

हाईकोर्ट ने जमानती अपराध दिया करार

हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि जिस अपराध का आरोप लगाया गया है, उसमें अधिकतम सजा तीन साल है और यह एक जमानती अपराध है। ऐसे में मजिस्ट्रेट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करना अनुचित और यंत्रवत है। इसके अलावा, मजिस्ट्रेट ने NBW जारी करने का कोई ठोस कारण नहीं बताया, जिसे जस्टिस सेठना ने सोच-विचार से रहित, अस्पष्ट आदेश बताया। हाईकोर्ट ने कहा कि एक जमानती अपराध में NBW जारी करना अभिनेता के लिए अन्यायपूर्ण होता, खासकर जब उनके वकील अदालत में मौजूद थे।

16 जून को होगी अगली सुनवाई 

रामपाल ने इस मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा दिसंबर 2019 में जारी किए गए नोटिस को भी चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 16 जून निर्धारित की है। रामपाल के वकील, स्वप्निल अंबुरे ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए पूरा टैक्स अमाउंट चुका दिया गया है, हालांकि कुछ देर से किया गया था। उन्होंने तर्क दिया कि विभाग द्वारा लगाए गए टैक्स चोरी के आरोप निराधार हैं क्योंकि कोई चोरी नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि गैर-जमानती वारंट जारी करना सुप्रीम कोर्ट के उन फैसलों के विपरीत है, जिनमें इसी तरह के मामलों में ऐसे वारंट जारी करने से बचने की सलाह दी गई है।