बढ़ती गर्मी और दिल का खतरा: क्या वाकई हार्ट अटैक के चांसेस गर्मियों में बढ़ जाते हैं?
गर्मी और हीटवेव के कारण हार्ट अटैक का खतरा गर्मियों में दोगुना तक बढ़ सकता है। रिसर्च बताती हैं कि तापमान बढ़ने पर शरीर का ब्लड फ्लो बदलता है, जिससे हार्ट पर ज़्यादा दबाव पड़ता है। ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण की वजह से आने वाले वर्षों में यह खतरा और भी बढ़ सकता है।

तापमान में वृद्धि और सेहत का सीधा कनेक्शन
मई का महीना शुरू हो चुका है और इसके साथ ही देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई है। अप्रैल में ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तापमान 42 से 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि मई में भी लू और रिकॉर्ड-तोड़ गर्मी लोगों की सेहत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
इसी गर्मी को लेकर अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक नई चिंता सामने आई है — हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि। रिसर्च बताती हैं कि गर्मियों में हार्ट अटैक आने की आशंका सामान्य मौसम की तुलना में दोगुनी हो जाती है।
तो सवाल उठता है: क्या बढ़ती गर्मी वाकई हार्ट अटैक की वजह बन सकती है? आइए, रिसर्च और मेडिकल साइंस की नजर से इसे समझते हैं।
स्टडी क्या कहती है?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, चीन के जिआंग्सू प्रांत में महज 5 सालों में 2 लाख से अधिक हार्ट अटैक के मामले दर्ज किए गए। इनमें से अधिकतर मौतों की प्रमुख वजह हीट वेव और वायु प्रदूषण (एयर पॉल्यूशन) रही।
यह स्टडी भले ही चीन की हो, लेकिन इसके नतीजे भारत के लिए भी एक चेतावनी हैं, क्योंकि भारत में भी हर साल तापमान के नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। बढ़ते शहरीकरण, घटते पेड़, और बढ़ते प्रदूषण के कारण गर्मियों का असर शरीर पर और ज़्यादा पड़ रहा है।
ग्लोबल वॉर्मिंग से बिगड़ रहा है दिल का हाल
मेडिकल जर्नल Circulation में प्रकाशित एक अन्य शोध के अनुसार, अमेरिका में इस सदी के मध्य तक (यानी 2050 के आसपास) अत्यधिक गर्मी के कारण हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 162% तक इजाफा हो सकता है।
अगर ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कोई बड़ी कटौती नहीं हुई, तो 2036 से 2065 के बीच यह आंकड़ा 233% तक बढ़ सकता है। यह इशारा करता है कि ग्लोबल वॉर्मिंग सिर्फ एक पर्यावरणीय संकट नहीं, बल्कि मानव स्वास्थ्य का भी गंभीर संकट बन चुका है।
गर्मियों में हार्ट अटैक क्यों होता है? समझिए शरीर की कार्यप्रणाली से
जब तापमान बहुत अधिक बढ़ता है, तो शरीर खुद को ठंडा रखने के लिए ज्यादा पसीना बहाने लगता है। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इसके पीछे शरीर को बड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
-
ज्यादा पसीना = ज्यादा ब्लड की जरूरत स्किन को
स्किन को ठंडा रखने के लिए ज्यादा ब्लड चाहिए होता है, जिससे ब्लड का प्रवाह हार्ट से स्किन की ओर डायवर्ट हो जाता है। -
हार्ट पर बढ़ता दबाव
हार्ट को अब बाकी शरीर को ब्लड सप्लाई करने के लिए और ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। यह वर्कलोड बढ़ाता है, खासकर उन लोगों में जिनका दिल पहले से कमजोर है। -
फ्लूइड की कमी और गाढ़ा होता खून
अत्यधिक पसीना बहने से शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है, जिससे खून गाढ़ा हो जाता है। गाढ़ा खून पंप करना हार्ट के लिए और भी कठिन हो जाता है। -
ऑक्सीजन की कमी
ब्लड सर्कुलेशन सही न होने से दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और इससे दिल का दौरा (Heart Attack) आने का खतरा बढ़ जाता है।
किसे है सबसे ज्यादा खतरा?
-
बुज़ुर्गों (60+ उम्र वाले)
-
हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के मरीज़
-
पहले से हार्ट प्रॉब्लम से जूझ रहे लोग
-
अधिक वजन या मोटापे से पीड़ित व्यक्ति
-
धूम्रपान और शराब का सेवन करने वाले
कैसे करें खुद को सुरक्षित? गर्मियों में दिल को रखें हेल्दी
-
ज्यादा पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें
-
दोपहर के समय (11 AM – 4 PM) बाहर निकलने से बचें
-
हल्के, ढीले और सूती कपड़े पहनें
-
धूप में भारी व्यायाम न करें
-
ब्लड प्रेशर और शुगर लेवल की नियमित जांच कराएं
-
ठंडी जगह पर रहें और एयर फ्लो बनाए रखें
गर्मी सिर्फ मौसम नहीं, सेहत का इम्तिहान भी है
बढ़ती गर्मी और ग्लोबल वॉर्मिंग अब सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं रह गई है, यह अब हमारे दिल की सेहत पर सीधा हमला कर रही है। हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियां अब केवल उम्र या लाइफस्टाइल से जुड़ी नहीं, बल्कि मौसमी बदलावों से भी गहराई से जुड़ चुकी हैं।
इसलिए समय है सतर्क रहने का। अपने शरीर के संकेतों को समझें, और जरूरत पड़े तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। गर्मी को हल्के में लेना अब हमारे दिल के लिए भारी पड़ सकता है।