स्वच्छता में फिर नंबर वन इंदौर शहर, MP में दूसरे नंबर पर भोपाल
इंदौर ने स्वच्छ सर्वेक्षण में फिर से देश का सबसे स्वच्छ शहर बनने का गौरव हासिल किया है. यह इंदौर की लगातार 8वीं जीत है. मध्यप्रदेश में भोपाल दूसरे नंबर पर रहा, जबकि उज्जैन और बुधनी को सुपर स्वच्छ लीग श्रेणी में सम्मानित किया गया। इंदौर की इस सफलता के पीछे शहर की कचरा प्रबंधन और स्वच्छता की बेहतर व्यवस्था है.

स्वच्छता सर्वेक्षण में इंदौर शहर लगातार आठवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर बना है। गुरुवार को स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजे घोषित किए गए हैं। इसमें पहले स्थान पर इंदौर है। वहीं, दूसरे नंबर पर सूरत और तीसरे नंबर पर नवी मुंबई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर को स्वच्छता का सर्वोच्चय सम्मान दिया है। कार्यक्रम में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, मेयर पुष्यमित्र भार्गव,आयुक्त शिवम वर्मा को सम्मानित किया. इंदौर शहर लगातार आठवीं बार देश का सबसे साफ शहर बना है। इसे लेकर प्रदेश में खुशी की लहर है। वहीं, देश की सबसे स्वच्छ राजधानी भोपाल है।
इंदौर ने फिर लहराया है परचम
वहीं, इंदौर ने एक बार फिर देश में स्वच्छता का परचम लहराया है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 के नतीजे दिल्ली में घोषित किए गए हैं। इंदौर पिछले 7 सालों से लगातार सबसे स्वच्छ शहर चुना जा रहा है। आठवीं बार वह नंबर वन बना है। इंदौर नगर निगम और वहां के सफाईकर्मियों ने इसके लिए काफी मेहनत की है। साथ ही आमलोगों में भी स्वच्छता को लेकर जागरूकता पैदा की है।
इंदौर शहर को ये खिताब सबसे पहले साल 2017 में मिला था. 2017 से 2023 तक के सफर में इंदौर नगर निगम ने अलग-अलग पैरामीटर पर काम कर शहर को स्वच्छ बनाया.
पहला साल - 2017 में इंदौर ने सफाई में सरताज बनने का फैसला लिया। इंदौर का जिला खुले में शौच से मुक्त हुआ। इसके बाद शहर को खुले में शौच से मुक्त करने के प्रयास हुए। तत्कालीन मेयर मालिनी गौड़ ने शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने की पहल की। इसके बाद शहर के कुछ वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था लागू की। कचरा उठाने वाली एटूझेड कंपनी का ठेका निरस्त किया और सफाईकर्मियों ने व्यवस्था संभाली। फिर पूरे शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्ट होने लगा और इंदौर ने वर्ष 2017 की स्वच्छता रैंकिंग में पहले स्थान पा लिया।
दूसरा साल- इंदौर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन सिस्टम को 2018 में और मजबूत बनाने के प्रयास तेज हुए। लोग घरों में अलग-अलग डस्टबीन रखने लगे। शहर में शत प्रतिशत गीला और सूखा कचरा संग्रहित होता था और ट्रेंचिंग ग्राउंड तक जाता था। गीले कचरे से खाद बनना के लिए भी शहरवासी प्रेरित हुए।
तीसरा साल- साल 2019 में इंदौर ने सड़कों की सफाई का सिस्टम मजबूती से काम करने लगा। कचरे के साथ धूल भी गायब हो जाए, इसके लिए सड़कों की सफाई मशीनों से होने लगी। असर यह हुआ कि शहर से प्रदूषण भी कम हो गया। इस साल निगम ने ट्रेंचिंग ग्राउंड को कचरे के पहाड़ से उसे मुक्त कर दिया गया। वहां गार्डन बनाया गया और लोग फोटो शूट के लिए वहां जाने लगे।
चौथा साल- 2020 में कोरोना महामारी ने पूरे देश को चपेट में ले लिया। इंदौर में लाॅकडाउन लगा। तब भी शहर की सफाई व्यवस्था बेपटरी नहीं हुई। महामारी के कारण सफाईकर्मियों की मौतें भी हुईं, लेकिन तब भी घरों से कचरा उठता रहा। शहर में नियमित सफाई जारी रही। शहरवासियों ने सफाई को लेकर अच्छा फीडबैक दिया। इस साल बेकलेन को गंदगी से मुक्त करने की मुहिम शुरू की गई। इसके बाद फिर इंदौर तीसरी बार स्वच्छता में नंबर वन आ गया।
पांचवां साल- 2021 में शहर को सुंदर बनाने पर जोर दिया. सार्वजनिक बाउंड्रीवाॅल पर पेंटिंग नजर आने लगी। डिवाइडरों पर रंग-रोगन हुआ। नगर निगम ने थ्री आर माॅडल अपनाया। बेकार वस्तुएं शहर के चौराहों पर सजावट का काम कर रही थी। बेकलेन साफ होने लगी। सड़कों पर रंगोलियां सजती थी। नाले सूखकर मैदान बन गए। इंदौर को वाटर प्लान में फाइव स्टार रेटिंग मिली।
छठा साल- 2022 में सफाई से कमाई पर जोर रहा. इंदौर की स्वच्छता का डंका देशभर में लगातार बच रहा था, जो शहर साफ बनना चाहते थे, उनके अफसर इंदौर आकर स्वच्छता का पाठ पढ़ते इंदौर के माॅडल का अनुसरण करते। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 500 टन क्षमता का बायो सीएनजी प्लांट शुरू हुआ। कचरे से पैदा हुई गैस से सिटी बसें चलने लगी। शहर के वायु प्रदूषण को रोकने की मुहिम छेड़ी गई। इस तरह वर्ष 2022 में भी इंदौर स्वच्छता में सरताज रहा।
सातवां साल- इस साल शहर में कई बड़े आयोजन हुए। प्रवासी सम्मेलन, स्मार्ट सिटी काफ्रेंस, जी-20 बैठकों के कारण शहर सात वर्षों में सबसे सुंदर नजर आया। डिवाइडरों पर विद्युत सज्जा, हरियाली और चौराहों की सजावट का फायदा स्वच्छता रैंकिंग में मिला। वायु प्रदूषण कम करने का अभियान रंग लाया और शहर की आबोहवा बेहतर हो गई। इंदौर सातवीं बार पहले स्थान पर रहा, इस साल सूरत की रैंकिंग भी समान रही.
आठवां साल- आठवें वर्ष में इंदौर में सफाई को लेकर ज्यादा काम नहीं हुए लेकिन सात वर्षों में जो सिस्टम तैयार हुआ। उसे बरकरार रखा गया। सड़कों पर जलजमाव दूर करने पर जोर दिया। नालों की गंदगी साफ हुई। नए ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए. इस तरह आठवें वर्ष भी इंदौर स्वच्छता लीग में सबसे आगे रहा.