EXPLAINER: अमेरिका के लिए टूट रहा है भारतीय छात्रों का सपना – 70% गिरावट दर्ज

अमेरिका की सख्त वीजा नीतियों और ट्रम्प प्रशासन की नई पॉलिसियों के कारण भारतीय छात्रों की संख्या में भारी गिरावट आई है। इससे छात्र दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। लेकिन क्या अमेरिका को इससे नुकसान हो रहा है?

EXPLAINER: अमेरिका के लिए टूट रहा है भारतीय छात्रों का सपना – 70% गिरावट दर्ज

इंडिया से अमेरिका जाकर पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में इस साल 70% गिरावट देखने को मिल रही है. ट्रम्प की नई नीति का भारतीय छात्रों की संख्या पर डायरेक्ट असर देखने को मिल रहा है. भारतीय छात्रों को वीजा इंटरव्यू के लिए स्लॉट नहीं मिल पा रहे हैं. और अगर कहीं मिल भी रहे हैं तो वहां से उन्हें सिर्फ रिजेक्शन मिल रहा है जिसके वजह से भारतीय छात्र अब दूसरे देशों में जाने का प्लान बना रहे हैं.

क्या है गिरावट की वजह?

इस गिरावट की वजह है ट्रम्प की नई वीजा नीति। डोनाल्ड ट्रम्प ने शासन के दौरान वीजा नियमों को और सख्त कर दिया है, जिससे भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका में प्रवेश करना मुश्किल हो गया है।

दूसरा अमेरिकी इमिग्रेशन कानून का सेक्शन 214(b), इसके तहत आने वाले छात्रों को यह साबित करना होता है कि पढ़ाई करने के बाद वो अपने देश वापस लौट जाएंगे। हालांकि ये कानून पहले से ही लागू है लेकिन ट्रम्प ने इस कानून को और सख्ती से लागू कर दिया है जिसकी वजह से छात्रों के वीजा इंटरव्यू स्लॉट रिजेक्ट हो जा रहे हैं.

कुछ महीने पहले ही अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बाहरी देशों से आने वाले छात्रों के वीजा इंटरव्यू पर रोक लगा दी थी. उन्होंने दुनिया भर के सभी अमेरिकी दूतावासों को कहा था कि- वे स्टूडेंट वीजा के लिए नए इंटरव्यू शेड्यूल न करें, क्योंकि सरकार अमेरिका आने वाले छात्रों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच को और सख्त करने जा रही है जिसके बाद ही इंटरव्यूज करवाए जाएंगे।

रिपोर्ट्स के अनुसार हर साल भारत से लगभग 2.7 लाख छात्र अमेरिका में पढ़ने जाते हैं. 2023-2024 की बात करें तो इस दौरान भारत से लगभग 331,000 छात्र अमेरिका गए थे. इतना ही नहीं ये छात्र हर साल कुल मिलाकर 10 बिलियन डॉलर (83000 करोड़ रुपये) खर्च करते हैं. इस तरह ट्रम्प की नीतियों से भारतीय छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या अमेरिका को इससे नुकसान हो रहा है...?

जाहिर है कि अमेरिका को भी इससे काफी नुकसान हो रहा है क्योंकि हर साल लाखों छात्र अलग-अलग देशों से अमेरिका पढ़ने आते हैं जिससे अमेरिका को काफी रेवेन्यू मिलता है. ये छात्र सिर्फ यूनिवर्सिटी की फीस ही नहीं देते बल्कि वहां रहने, खाने और घूमने का भी खर्च देते हैं. जिससे अमेरिका में अच्छा खासा रेवेन्यू मिलता है.

इसके साथ ही प्रतिभा की कमी भी अमेरिका के लिए एक बड़ा नुकसान है. भारतीय छात्र, विशेष रूप से STEM (Science, Technology, Engineering and Mathematics) क्षेत्रों में, अमेरिकी विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उनकी अनुपस्थिति से अनुसंधान और नवाचार की गति धीमी भी हो सकती है।

अमेरिका शुरू से ही भारतीय छात्रों की पहली पसंद रही है लेकिन अमेरिका के अलावा UK, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी जैसे देश भी अब भारतीय छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प हैं. कुछ सालों से यूरोप में भी भारतीय छात्रों का इंटरेस्ट बढ़ा है. अब देखना यह होगा कि ट्रम्प अपने नीतियों से पीछे हटता है या नहीं।