MP News: क्षेत्र में माफिया का बोलबाला खनिज एवं स्थानीय राजस्व अमला बना अंजान
मऊगंज में अवैध खनिज उत्खनन बड़े पैमाने पर जारी है, जिसमें वन भूमि से लेकर ग्राम पंचायतों तक खुलेआम खदानें संचालित हो रही हैं। खनिज, वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही से यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। जंगल क्षेत्र का अंधाधुंध दोहन पर्यावरण और वन्य जीवों के लिए खतरा बन गया है। वहीं, ओवरलोड वाहनों का नो एंट्री क्षेत्रों से गुजरना जिला प्रशासन के आदेशों की अनदेखी को दर्शाता है। जांच और कार्रवाई केवल कागजों तक सीमित है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है।

MAUGANJ. जिले में खनिज अवैध खनिज के सौदागरों के राज जैसे हालात है। हनुमना से लेकर हाटा लोढ़ी तक पिपराही से लेकर सीतापुर हर्रहा सरदमन तक जहां देखा जाए वही अवैध उत्खनन चल रहा है। जिम्मेदार खनिज विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण वन भूमि से लेकर राजस्व भूमि तक खुलेआम खनिज उत्खनन का कार्य चल रहा है। खनिज एवं पंचायत विभाग तथा राजस्व अमले की अनदेखी कहे या मिली भगत अब तो वन भूमि एवं जंगल से लगी राजस्व भूमि के साथ अब ग्राम पंचायत में अवैध उत्खनन जोरों पर चल रहा है। विभागीय अधिकारियों की दी गई छूट के कारण मऊगंज जिले के सीतापुर ग्राम पंचायत में अवैध पत्थर उत्खनन की खदानें चल रही है। केमोन बेस यही हाल नईगढ़ी विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भीर शिवराजपुर की है इसी तरह हनुमना जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत आने वाले हाटा लोढ़ी से लेकर वसिगड़ा जड़कुड़ पिपराही ग्राम पंचायत में खुलेआम अवैध खदानें संचालित है। वन भूमि से लेकर राजस्व एवं अब ग्राम पंचायत तक चल रही अवैध पत्थर की खदानों का जांच परख करने वाले जिम्मेदार मानस कदर अपनी जिम्मेदारी भूल चुके हैं।
विभाग की सह पर वन भूमि में चल रही अवैध खदानें ?
खनिज विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों एवं जंगल विभाग के बीट प्रभारी और रेंजर की मिलीभगत से बड़े पैमाने पर अवैध पत्थर उत्खनन का खेल चल रहा है ? जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी चूना लगाया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, जंगल विभाग के बीट प्रभारी और रेंजर की मिली भगत से पूरे इलाके में अवैध खदानों का संचालन किया जा रहा है। मऊगंज जिले में वन विभाग के खनन माफियाओं को जंगल का दोहन करने की खुली छूट के कारण जगह-जगह अवैध पत्थर उत्खनन की खदानें चल रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जंगल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस पूरे मामले से अवगत होने के बावजूद कार्रवाई से बचते आ रहे हैं। जंगल का अवैध उत्खनन इतनी सहजता से जारी है कि इसे देखकर ऐसा लगता है जैसे पूरा क्षेत्र जंगल विभाग के संरक्षण में चल रहा हो। जंगल क्षेत्र का अंधाधुंध दोहन पेड़-पौधों और वन्य जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है। यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि जंगल विभाग के उच्च अधिकारी क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? क्या जिम्मेदार अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल हैं या उन्हें माफियाओं से डर है? अवैध उत्खनन से परेशान ग्रामीणों ने इस गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर यह अवैध उत्खनन नहीं रुका, तो जंगल और पर्यावरण दोनों को भारी नुकसान होगा।
कागज तक सीमित जांच एवं कार्रवाई
मऊगंज जिले में अवैध खनिज उत्खनन एवं परिवहन का कार्य दिन दोनों रात चौगुना पैर फैला चुका है गिट्टी बालू जैसे खनिज से ओवरलोड वाहन फर्राटे मारते न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं बल्कि नो एंट्री क्षेत्रों से भी 24 घंटे वाहन गुजरते हैं लेकिन जांच एवं कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी कार्य किया जा रहा है। हालात कुछ इस कदर है कि मऊगंज हनुमना नईगढ़ी जैसे कस्बाई क्षेत्रों में जहां सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक भारी वाहनों के प्रवेश में प्रतिबंध लगाया गया है वहां भी जिला प्रशासन के आदेश को दरकिनार कर गिट्टी बालू से लोड वाहन फर्राटे मारते नजर आते हैं। नो एंट्री क्षेत्र में ओवरलोड खनिज से वाहनों का प्रवेश यह साबित करता है कि कहीं ना कहीं जिम्मेदार विभाग जिला प्रशासन के आदेशों का भी पालन करने में आनाकानी कर रहा है।