जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर हुआ फर्जीवाड़े का खेल? 40 मिनट के कार्यक्रम में खर्च हो गए 10 लाख

मऊगंज जनपद पंचायत पर जल गंगा संवर्धन अभियान के 40 मिनट के कार्यक्रम में 10 लाख रुपए खर्च करने के आरोप लगे हैं। गद्दे-चादर जैसी सामग्री बिजली की दुकान से किराए पर दिखाकर फर्जी बिल लगाए गए। जनपद अध्यक्ष और लेखापाल ने सीईओ पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। कार्यक्रम के नाम पर बिना प्रस्ताव पास किए लाखों की राशि निकालने की भी बात सामने आई है।

जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर हुआ फर्जीवाड़े का खेल? 40 मिनट के कार्यक्रम में खर्च हो गए 10 लाख

पब्लिक वाणी, मऊगंज

मऊगंज जिले के जनपदों में जहां देखा जाए वही फर्जीवाड़ा चरम पर है। फर्जी बिल वाउचर के सहारे शासकीय राशि का बंदरबांट किया जाना आम बात हो गई है। मऊगंज जनपद पंचायत में कथित भ्रष्टाचार की किताब में एक और काला अध्याय जुड़ गया है।

जनपद पंचायत के जिम्मेदारों द्वारा जल गंगा संवर्धन अभियान जैसे जनकल्याणकारी कार्य के उद्देश्य की आड़ में महज 40 मिनट के कार्यक्रम में 10 लाख रुपये उड़ा दिए गए। जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर जनपद पंचायत मऊगंज के जिम्मेदारों द्वारा इतनी बड़ी राशि का बंदर बांट किया गया.

इसकी जमीनी हकीकत देखी जाए तो यह राशि कथित फर्जी बिल वाउचर लगाकर खर्च कर दी गई , जिसकी जमीनी हकीकत हैरान करने वाली है। जनपद के कारनामे का सबसे बड़ा हैरान करने वाला खेल यह सामने आया है कि जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर जो गद्दे और चादर किराए पर लिए गए वह किसी टेंट हाउस से नहीं बल्कि बिजली की दुकान से लिए गए हैं।

जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर शासकीय राशि को खर्च करने में जिस तरह से खेल खेला गया उससे साबित होता है कि जनपद पंचायत मऊगंज घोटाले का केंद्र बन चुका है क्योंकि बल्ब और विद्युत सामग्री बेचने वाले इलेक्ट्रिक दुकान से जनपद पंचायत मऊगंज के जिम्मेदारों द्वारा कार्यक्रम हेतु चादर एवं गद्दे किराए पर लिए गए हैं।

बिछिया नदी उद्गम स्थल पर खैरा में हुआ था कार्यक्रम

विगत 17 अप्रैल को मऊगंज जनपद के खैरा ग्राम पंचायत में जल गंगा संवर्धन अभियान का कार्यक्रम आयोजित हुआ किया गया था। जिसमें प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल मुख्य अतिथि के रूप में शरीक हुए थे।

बिछिया नदी उद्गम स्थल पर आयोजित इस 40 मिनट के कार्यक्रम में जनपद पंचायत मऊगंज द्वारा 10 लाख रुपए खर्च कर दिए गए। कथित प्रदीप इंटरप्राइजेज बेंडर के नाम से बिल लगाए गए जो प्रथम दृष्टया लोगों की नजर में इस इंटरप्राइजेज की दुकान अभी तक नहीं आई।

जल संवर्धन के इस 40 मिनट के कार्यक्रम के नाम पर किराना, मिठाई, टेंट, लाइट, नाश्ता सब दुकान से खरीदारी की गई? खैरा ग्राम पंचायत में आयोजित इस 40 मिनट के कार्यक्रम के लिए जिस बिजली की दुकान से किराए पर गड्ढे एवं चद्दर लिए गए उसके विल भी चौंकाने वाले हैं दरअसल गद्दे 30 रुपये, चादरें 35 रुपये प्रति यूनिट की दर से किराए पर ली गईं।

जबकि किसी भी टेंट हाउस की दुकान में चादर एवं गद्दे की प्रति यूनिट किराया 10 रुपए से अधिक नहीं है। लेकिन बड़ी बात यह है कि चादर एवं गद्दे बिजली की दुकान से किराए पर लिए गए हैं।यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या ये प्रशासन की लापरवाही है, या फिर साजिश के तहत गढ़ा गया एक सुनियोजित घोटाला है ?

क्योंकि मऊगंज जनपद के लेखापाल ने भी सी ई ओ पर लिखित आरोप लगाया है कि प्रभारी सीईओ राम कुशल मिश्रा के द्वारा जबरन उसकी डीएससी और मोबाइल छीन ली गई थी और उसी के माध्यम से भ्रष्टाचार किया गया।

जिसकी शिकायत लेखापाल के द्वारा जनपद अध्यक्ष को की गई और जनपद अध्यक्ष के द्वारा लेखापाल का मोबाइल और डीएससी देने के लिए पत्र जारी किया गया था जिसके बाद मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा लेखपाल को डीएससी और मोबाइल वापस किया गया था।

जनपद अध्यक्ष ने लगाया आरोप

मऊगंज जनपद क्षेत्र के खैरा ग्राम पंचायत में विगत 17 अप्रैल को आयोजित जल संवर्धन कार्यक्रम में जनपद अध्यक्ष भी मौजूद थी लेकिन उन्हें मंच पर जगह तक नहीं मिली। जबकि इस कार्यक्रम में लगभग 150 लोग मौजूद थे । लेकिन न पानी मिला, न नाश्ता। मंच पर जनप्रतिनिधियों को बैठने तक की जगह नहीं मिली।

जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह का आरोप है कि हमें वहां पानी तक नहीं दिया गया, तो फिर लाखों के चाय-नाश्ते के बिल किसके लिए बने? उधर ग्रामीणों ने कहा कार्यक्रम के दौरान नाश्ता भोजन तो दूर टैंकर का पानी पिलाया गया।
 फर्जी बिलों के सहारे हुआ खेल ?

जनपद पंचायत मऊगंज में कार्यक्रम के नाम पर खर्च की गई राशि के बारे में पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड नोटशीट कहती है कि 2.54 लाख की स्वीकृति दी गई थी। लेकिन निकाले गए 7.45 लाख से ज्यादा गए हैं, वो भी बिना जनपद पंचायत की बैठक और बिना प्रस्ताव पारित हुए ? यहां यह भी सवाल उठता है कि आखिर इतनी बड़ी राशि किसके इशारे पर स्वीकृत की गई?

सवालों का उत्तर आना अभी बाकी है

जल संवर्धन कार्यक्रम के नाम पर मऊगंज जनपद में जो राशि आहरित की गई है और जिस वेंडर के नाम पर राशि निकाली गई है उस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल या उठता है कि जब कार्यक्रम के दौरान जनपद अध्यक्ष सहित जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों को सुविधा नहीं दी गई तो आखिर इतनी बड़ी राशि का खर्च कहां किया गया।

बिजली की दुकान से गद्दे एवं चादर किराए पर लेना समझ के पार है। जिस दुकान यानि कथित इंटरप्राइजेज के नाम का बिल लगाया गया है उस दुकान का अस्तित्व है या नहीं यह खोज एवं परख का विषय है।

कलेक्टर मऊगंज संजय जैन ने कहा-

जल गंगा संवर्धन अभियान से संबंधित जो शिकायतें मिली है उसके परीक्षण हेतु सीईओ जिला पंचायत की हमने जांच टीम गठित है। जांच उपरांत जो तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर कार्यवाही की जाएगी। जनपद सीईओ हो या फिर लेखापाल जांच उपरांत जो भी दोषी पाए जाएंगे सभी के खिलाफ कार्यवाही करेंगे।