शिवराज सिंह चौहान की 'विकसित भारत संकल्प पदयात्रा'

शिवराज सिंह चौहान ने 'विकसित भारत संकल्प पदयात्रा' की शुरुआत सीहोर से की, जिसका उद्देश्य गांवों को विकास के प्रति जागरूक करना है। इस पदयात्रा में उनका पूरा परिवार भी साथ चल रहा है, जिससे जनसंपर्क और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश जाता है। 'पांव-पांव वाले भैया' और 'मामा' के रूप में पहचाने जाने वाले शिवराज जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं।

शिवराज सिंह चौहान की 'विकसित भारत संकल्प पदयात्रा'

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर 'पदयात्रा' की शुरुआत की है. 25 सालों के बाद फिर से 'पदयात्रा' की शुरुआत सियासी गलियारों में कई सवाल खड़े कर रही है. सवाल है की ढाई दशक के बाद इस यात्रा की शुरुआत के क्या मायने है? इस यात्रा का मकसद क्या है?  

यात्रा के क्या मायने है?

एक बार फिर अपने जनसेवा भाव और जनता से गहरे जुड़ाव को दर्शाते हुए 'विकसित भारत संकल्प पदयात्रा' की शुरुआत की है. यह यात्रा उन्होंने सीहोर जिले के लाड़कुई-भादाकुई गांव से आरंभ की, और इसमें उनका पूरा परिवार—पत्नी साधना सिंह, बेटा कार्तिकेय और बहू अमानत—भी शामिल हुआ। यह पदयात्रा केवल एक राजनीतिक अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है, जिसका मकसद है ग्रामीण भारत को विकसित भारत के सपने से जोड़ना.

यात्रा के उद्देश्य 

शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि जब गांव समृद्ध होंगे तभी भारत वास्तव में विकसित कहा जा सकेगा. इसीलिए वे गांव-गांव जाकर खुद लोगों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं और उन्हें सफाई, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, पानी, रोजगार और मूलभूत सुविधाओं के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे हैं. उन्होंने इस यात्रा के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का भी ज़िक्र किया और देश की ताकत का संदेश देते हुए कहा, “यह नया भारत है, जो किसी को छेड़ता नहीं, लेकिन अगर कोई छेड़ेगा तो छोड़ेगा भी नहीं.”

‘पांव-पांव वाले भैया’

शिवराज सिंह चौहान के जीवन में पदयात्रा का विशेष महत्व रहा है. मुख्यमंत्री बनने से पहले जब वे विदिशा से सांसद थे, तो वे अपने क्षेत्र में पैदल भ्रमण करते थे. तभी से लोग उन्हें स्नेहपूर्वक ‘पांव-पांव वाले भैया’ कहने लगे. मुख्यमंत्री बनने के बाद वे ‘मामा’ के नाम से मशहूर हो गए. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बच्चों के लिए सबसे प्यारा शब्द मामा होता है, और जब किसी व्यक्ति के मन में बेटियों के लिए मां जैसा प्यार हो, तब वह ‘मामा’ कहलाता है.

शिवराज की यह पदयात्रा न केवल एक राजनीतिक पहल है, बल्कि यह उनके संवेदनशील, जनोन्मुखी और समर्पित नेता होने का प्रमाण भी है. केंद्र में मंत्री बनने के बावजूद उनका मध्यप्रदेश के प्रति प्रेम और जनता से जुड़ाव बरकरार है. यही वजह है कि वे सड़कों पर, खेतों में, गांव की गलियों में जाकर लोगों से संवाद कर रहे हैं.