आबकारी अमला भूला जिम्मेदारी,शराब कारोबारियों के सामने हुआ नतमस्तक
रीवा कलेक्टर से लेकर ग्वालियर व भोपाल तक हुई शिकायत. जिले में कानून कायदों को दरकिनार कर,निर्धारित मूल्य से अधिक पर बेची जा रही शराब

रीवा (ऋषभ पाण्डेय की रिपोर्ट)
शहर की शराब दुकानों द्वारा अधिक रेट में शराब बिक्री को लेकर कलेक्टर कार्यालय में शिकायत हुई है, बता दे जिले में इन दिनों शराब कारोबारियों के हौंसले बुलंद है यही कारण है कि लाइसेंसी शराब की दुकानों के ठेकेदारों को नियम कानून या फिर आबकारी अमले का कोई भय नहीं रहा और शराब दुकानों के ठेकेदार सभी नियमों को शिथिल करते हुए अब अपने नियम और शर्तों पर शराब का कारोबार कर रहे हैं. जिनमें निर्धारित मूल्य से अधिक पर शराब की बिक्री, अवैध अहाता संचालन, शराब दुकानों में रेट सूची चस्पा नहीं करना, दुकान बंद होने के निर्धारित समय के अतिरिक्त देर रात तक शराब की अवैध बिक्री और दुकान के सामने गुर्गे पाल के रखना ताकि कोई व्यक्ति ओवर रेटिंग पर जबाब सवाल करे तो उसकी बेदम पिटाई करना जिसके कई उदाहरण आए दिन शराब दुकानों के सामने होने वाली मारपीट के वायरल वीडियो के माध्यम से देख भी चुके हैं वहीं आबकारी विभाग की कार्रवाई की बात करें तो शून्य है यही कारण है कि शराब ठेकेदारों के हौंसले बुलंद हैं आबकारी विभाग का शराब ठेकेदारों पर इतना मेहरबान होना शराब पीने वालों पर अतिरिक्त बोझ बन रहा है यहीं कारण है कि शराब की ओवर रेटिंग सहित नियमों को ताक पर रख कर बेचीं जा रही शराब का मुद्दा अब रीवा कलेक्टर सहित भोपाल वल्लभ भवन प्रमुख सचिव म०प्र० शासन वाण्जियिक कर विभाग, आबकारी आयुक्त ग्वालियर, पुलिस अधीक्षक रींवा,उपायुक्त आबकारी रीवा संभागीय उड़नदस्ता, व सहायक आयुक्त आबकारी रींवा, तक पहुंच चुका है बता दे आशीष सिंह बघेल नामक शिकायतकर्ता द्वारा रीवा कलेक्टर सहित तमाम संबंधित विभागों में शिकायती आवेदन दिया गया है जिसमे उन्होंने आबकारी अधिकारियों की मनमानी और शराब कारोबारियों द्वारा नियमविरुद्ध ढंग निर्धारित मूल्य से अधिक पर शराब बिक्री, शराब दुकानों के बगल से संचालित अवैध आहातों सहित पाँच बिन्दुओं पर शिकायती आवेदन दिया है साथ ही संबंधित शराब कारोबारियों के खिलाप कार्रवाई की माँग की है। शिकायतकर्ता ने शिकायत पत्र में बताया है कि वर्ष 2025-26 हेतु म०प्र० शासन द्वारा सभी प्रकार के शराबों का न्यूनतम् एवं अधिकतम् मूल्य निर्धारित किया गया हैं परंतु रींवा शहर में संचालित सभी शराब दुकानों में शराबों के निर्धारित अधिकतम् मूल्य से भी अधिक मूल्य पर शराबों का विक्रय कर ग्राहकों को लूटा जा रहा हैं एवं रात्रि में दुकान बंद हो जाने के उपरांत भी नियम विरूद्ध तरीके से शराब का विक्रय किया जा रहा है शिकायतकर्ता ने बताया कि शहर के किसी भी शराब दुकान में शराब विकय का रेट सूची नहीं लगाया गया हैं। उक्त लायसेंसीयों को कहीं न कही डर हैं, कि शासन द्वारा निर्धारित रेट सूची लग जाने से ग्राहक जागरूक हो जायेगें और उनका अवैध कमाई पर अंकुश लग जायेगा।
आइये समझते हैं किस तरह ग्राहकों को लगाया जा रहा चूना
आबकारी नियमावली अनुसार सभी शराब दुकानों पर रेट लिस्ट की सूची चस्पा होना अनिवार्य है लेकिन शराब दुकानों पर रेट सूची नहीं लगाई जाती इसी बात का फायदा उठाकर ग्राहकों से निर्धारित मूल्य से 20 रुपए से 100 रुपए तक अधिक मूल्य वसूला किया जाता है वहीं ग्राहक द्वारा इस चीज़ का विरोध किए जाने पर शराब विक्रेताओं द्वारा दुर्व्यवहार किया जाता है
नियमविरुद्ध तरीके से संचालित हो रहे आहाते
वर्ष 2025-26 के आबकारी राजपत्र में शासन द्वारा तय किया गया हैं, कि किसी भी शराब दुकान में अहाता संचालित नहीं किया जायेगा, परंतु रींवा शहर के शराब ठेकेदारों के लिये यह नियम लागू नहीं होता, रींवा शहर के शराब ठेकेदारों द्वारा दुकानों के सामने निरंतर अवैध अहाता संचालित कर शासन-प्रशासन को खुली चुनौती दी जा रही है
मनमानी रेट पर शराब बिकने से जिले में अवैध तस्करी बढ़ाने की आशंका
शिकायतकर्ता ने बताया कि रीवा जिले के आस-पास उ०प्र० की सीमा, सतना जिले की सीमा, सीधी जिले की सीमा एवं शहडोल जिले की सीमा लगी हुई हैं। जहां शराबों का मूल्य शासन द्वारा निर्धारित मूल्य के बराबर है। कही न कही रीवा शहर में अधिक मूल्य पर शराब बिकने से अवैध शराब की तस्करी भी बढ़ सकती हैं, जो आने वाले भविष्य में कहीं न कहीं गंभीर विषय बन सकता हैं। बता दे जिले अत्यधिक मात्रा में कोरेक्स आदि गलत नशों जाखीरा को पुलिस द्वारा आए दी। पकड़कर जप्ती किया जा रहा है, इन सभी का कारण कहीं न कहीं रीवा शहर में शराबों का निर्धारित अधिकतम् मूल्य से अधिक मूल्य होने की वजह से ग्राहकों को सही दर पर मदिरा का न मिल पाना हो सकता है। जो आने वाले समय में समाज के काफी हानिकारक हो सकता हैं।
आबकारी विभाग की भूमिका संदिग्ध
लाइसेंस प्रक्रिया, शराब विक्रय प्रबन्धन आबकारी नियमों को अमल में लाने और सुनिश्चित मानकों, नियमों के अनुरूप शराब दुकानों पर निगरानी करने वाला आबकारी विभाग इन दिनों कटघरे में है इसका सब से बड़ा उदाहरण रीवा कलेक्टर सहित तमाम संबंधित विभागों को दिया गया शिकायती पत्र है जिसमे आबकारी विभाग के ख़िलाफ़ आक्रोश साफ़ देखा जा सकता है अब लोगों में आबकारी विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के ऊपर विश्वास घटा है कारण स्पष्ट है जिले का आबकारी अमला सोया हुआ है यही कारण हैं की शराब कारोबारी निराकुंश हैं और मनमाने ढंग से शराब का कारोबार कर रहे हैं वहीं आबकारी विभाग गहरी नींद में है जिससे उसकी भूमिका संधिग्ध है अब देखना होगा कि आखिर इन सभी बिंदुओं पर क्या कार्यवाई होती है या प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी शराब कारोबारियों पर बनी ही रहेगी।