संजय गांधी अस्पताल में हड्डी रोगियों के लिए विशेष इंतजाम

संजय गांधी अस्पताल, रीवा में अब आकस्मिक चिकित्सा विभाग में हड्डी रोगियों के लिए 4 विशेष बेड आरक्षित किए गए हैं। अस्थि रोग विशेषज्ञों की अनुपस्थिति में सर्जरी विभाग के डॉक्टर प्राथमिक उपचार देंगे। एक घायल मरीज की वायरल तस्वीर के बाद उठे जनाक्रोश के चलते अस्पताल प्रबंधन ने यह व्यवस्था लागू की है।

संजय गांधी अस्पताल में हड्डी रोगियों के लिए विशेष इंतजाम

रीवा विंध्य क्षेत्र के सबसे बड़ा चिकित्सा केंद्र संजय गांधी चिकित्सालय के आकस्मिक चिकित्सा विभाग में अब हड्डी (अस्थि) रोग से पीड़ित मरीजों को राहत मिलेगी। लंबे समय से उठ रही शिकायतों और व्यवस्थागत कमियों को संज्ञान में लेते हुए अस्पताल प्रबंधन ने आपातकालीन विभाग में हड्डी रोगियों के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। अब तक जहां ऐसे मरीजों को प्राथमिक उपचार तक नहीं मिल पाता था, वहीं अब उन्हें भर्ती कर समुचित इलाज दिया जाएगा। परेशानी को दूर करने के लिए अब यहां 4 बेड आरक्षित कर दिए गए हैं। इन चार बेड में अस्थि रोगियों को ही रखा जाएगा। अभी तक ऐसी अलग से व्यवस्था न होने की वजह से अस्थि रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ. राहुल मिश्रा ने इस संबंध में आदेश जारी कर इसका पालन करने को कहा है। 

चार बिस्तर आरक्षित, सर्जरी विभाग करेगा प्राथमिक उपचार

अस्पताल के आकस्मिक चिकित्सा विभाग में फिलहाल 12 बिस्तर हैं। प्रबंधन ने इनमें से चार बिस्तरों को विशेष रूप से हड्डी रोगियों के लिए आरक्षित कर दिया है। इन बिस्तरों पर अन्य किसी प्रकार के मरीजों को भर्ती नहीं किया जाएगा। प्राथमिक उपचार की जिम्मेदारी सर्जरी विभाग के डॉक्टरों को सौंपी गई है, जो विशेषज्ञों के उपलब्ध होने तक मरीजों की देखरेख करेंगे।

दोपहर दो बजे तक नहीं रहते अस्थि रोग विशेषज्ञ

सामान्यत: अस्थि रोग विशेषज्ञ दोपहर दो बजे तक ओपीडी में मरीजों को देखते हैं। इसके बाद ही आकस्मिक चिकित्सा विभाग में उनकी उपलब्धता सुनिश्चित हो पाती है। इस समयावधि में आने वाले आपातकालीन मरीजों को उचित इलाज न मिल पाने की स्थिति बनी रहती थी। अब सर्जरी विभाग की सहभागिता से इस समस्या का समाधान निकल सका है।

लापरवाही की तस्वीर वायरल होने पर जगी जिम्मेदारी

कुछ हफ्ते पहले एक घायल मरीज की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसमें वह स्ट्रेचर पर गंभीर अवस्था में पड़ा हुआ था और उसका सहयोगी ग्लूकोज बोतल हाथ में लेकर खड़ा था। यह तस्वीर अस्पताल की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठाने वाली बनी। जनाक्रोश और मीडिया की सक्रियता के चलते स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया और अब इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए गए हैं।