MP NEWS : रीवा शिक्षा विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का खुलासा
रीवा जिले के शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एक महिला, जिसने कभी शिक्षा विभाग में सेवा नहीं दी, उसके नाम पर उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई।

रीवा. मध्य प्रदेश के रीवा जिले के शिक्षा विभाग में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एक महिला, जिसने कभी शिक्षा विभाग में सेवा नहीं दी, उसके नाम पर उसके बेटे को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। अधिक हैरत की बात यह है कि नियुक्ति पाने वाला व्यक्ति उस महिला का बेटा भी नहीं था। इस फर्जीवाड़े में जिला शिक्षा अधिकारी और अनुकंपा नियुक्ति प्रभारी की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। मामला उजागर होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जिला शिक्षा अधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक जांच टीम गठित की और दो दिन के भीतर ही नियुक्ति आदेश को रद्द कर दिया।
फर्जी दस्तावेजों पर दी गई अनुकंपा नियुक्ति
रीवा जिले के शिक्षा विभाग में ऐसा चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसने पूरे प्रशासन को हिलाकर रख दिया है। यहां एक महिला, जिसने कभी शिक्षा विभाग में नौकरी ही नहीं की, उसके नाम पर अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। और जिस व्यक्ति को उसका बेटा बताया गया, उसका उस महिला से कोई रिश्ता ही नहीं है। हैरानी की बात यह है कि बिना किसी वैध दस्तावेज और जांच के, जिला शिक्षा अधिकारी ने उस व्यक्ति के लिए नियुक्ति आदेश जारी कर दिया और उसने बाकायदा जॉइनिंग भी दे दी। जब इस मामले की शिकायत हुई तो पूरा फर्जीवाड़ा सामने आया। आरोपों के घेरे में अनुकंपा नियुक्ति प्रभारी राम प्रसन्न द्विवेदी और स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी हैं, जिनकी भूमिका संदेह के घेरे में है। शिकायत के बाद आनन-फानन में एक जांच समिति बनाई गई और दो दिन के भीतर ही नियुक्ति आदेश को निरस्त कर दिया गया।
मृत महिला कभी थी ही नहीं शिक्षक
शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति से जुड़ा ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जो प्रशासनिक लापरवाही से ज्यादा एक संगठित षड्यंत्र का संकेत देता है। मामला तब खुला जब एक महिला बेलाकली कोल को यह बताया गया कि वह शासकीय प्राथमिक शाला ढेरा में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ थीं और 16 मई 2023 को उनके निधन के बाद उनके बेटे बृजेश कुमार कोल को अनुकंपा के आधार पर प्यून के पद पर शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय जोड़ौरी में नियुक्त कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि बेलाकली कोल कभी शिक्षा विभाग की कर्मचारी थीं ही नहीं। न ही बृजेश कुमार कोल का उनसे कोई वास्तविक संबंध है। फिर भी इतनी सटीक जानकारी और सरकारी दस्तावेजों के साथ इस तरह की नियुक्ति कैसे हो गई, यह बड़ा सवाल है।