रविवार के दिन शुरू हुआ विधानसभा का सत्र, वित्त मंत्री ने पेश किया CG विजन डॉक्यूमेंट 2047

छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है. पहली बार ऐसा हो रहा है जब रविवार के दिन से सदन की शुरूआत हो रही है. 14 दिसंबर से शुरू हुआ ये सत्र 17 दिसंबर तक यानी चार दिन चलेगा.

रविवार के दिन शुरू हुआ विधानसभा का सत्र, वित्त मंत्री ने पेश किया CG विजन डॉक्यूमेंट 2047

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। पहली बार ऐसा हो रहा है जब रविवार के दिन से सदन की शुरूआत हो रही है। 14 दिसंबर से शुरू हुआ ये सत्र 17 दिसंबर तक यानी चार दिन चलेगा। विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आयोजन नवा रायपुर में निर्मित छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए भवन में हो रहा है। खास बात यह है कि ये सत्र पूरी तरह से पेपरलेस होगा। वहीं दूसरी ओर विशेष सत्र में प्रश्नकाल, ध्यानाकर्षण जैसे विषयों पर चर्चा नहीं होगी। इससे नाराज विपक्ष ने बहिष्कार किया है।

सत्र के पहले सदन में छत्तीसगढ़ विजन 2047 पर चर्चा हुई है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी विधानसभा सदन में छत्तीसगढ़ अंजोरा विजन डॉक्यूमेंट 2047 पर चर्चा की। वित्त मंत्री ने विजन डॉक्यूमेंट 2047 प्रस्तुत कर कहा कि, 2047 दीर्घकालीन के साथ लघु और मध्य कालीन लक्ष्य। छत्तीसगढ़ की GDP 5 लाख 67 हजार करोड़ रुपए है। 2047 में छत्तीसगढ़ की GDP 74 लाख करोड़ रुपए होगी। UPA सरकार में देश की अर्थव्यवस्था 10वें नंबर पर थी। आज देश की अर्थव्यवस्था 4वें नंबर पर है।

कांग्रेस ने विशेष सत्र का किया बहिष्कार

कांग्रेस विधायक दल ने विजन 2047 पर होने वाले विशेष सत्र का बहिष्कार किया है। यह निर्णय कांग्रेस विधायक दल की बैठक में लिया गया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि विजन 2047 के नाम पर झूठ बोलने और मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने का काम किया जाएगा। इस दिन प्रश्नकाल भी नहीं होगा। दूसरे दिन यानी 15 दिसंबर से 17 दिसंबर तक सदन में लॉ एंड ऑर्डर, धान, बिजली, जमीन दर से मुद्दों पर हंगामे के आसार है।

शीतकालीन सत्र में विधायकों ने 628 सवाल लगाए हैं। मंत्रियों को इन सवालों के जवाब देने होंगे। इस सत्र में सबसे अहम मुद्दा धर्मांतरण का होगा। जानकारी के अनुसार सरकार धर्मांतरण-संशोधन विधेयक ला सकती है। शीतकालीन सत्र में साय सरकार संशोधित धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम पास कर सकती है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने इसके संकेत दिए हैं। इस अधिनियम के पास होने के बाद प्रदेश में धार्मिक विवाद कम होने की संभावना है।