सूर्यदेव आज होंगे दक्षिणायन, अगले साल 14 जनवरी को होंगे उत्तरायण

कर्क संक्रांति पर्व के साथ आज बुधवार 16 जुलाई से सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे। छह महीने बाद अगले साल 14 जनवरी को सूर्य उत्तरायण होंगे।

सूर्यदेव आज होंगे दक्षिणायन, अगले साल 14 जनवरी को होंगे उत्तरायण
सूर्यदेव आज होंगे दक्षिणायन

दक्षिणायन सूर्य में पितरों की पूजा और स्नान-दान का विशेष महत्व

कर्क संक्रांति पर्व के साथ आज बुधवार 16 जुलाई से सूर्य दक्षिणायन हो जाएंगे। छह महीने बाद अगले साल 14 जनवरी को सूर्य उत्तरायण होंगे। दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। पं. रामजीवन दुबे गुरुजी के मुताबिक 16 जुलाई को सूर्य के कर्क राशि में आते ही दक्षिणायन शुरू हो जाएगा, जोकि अगले 6 महीने तक रहेगा। फिर अगले साल 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में आने के बाद उत्तरायण काल शुरू हो जाएगा। दक्षिणायन में सूर्य, कर्क से मकर तक 6 राशियों में होकर गुजरता है। इस दौरान पितरों की पूजा और स्नान-दान का बहुत महत्व होता है। दक्षिणायन को देवताओं का मध्याह्न काल भी कहते हैं। इसलिए इस समय में गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं। सूर्य के दक्षिणायन होने का मतलब है कि सूर्य की गति दक्षिण दिशा की ओर हो जाती है, जिसके बाद दिन छोटे होने लगते हैं।

चातुर्मास के चार महीने

पं. जगदीश शर्मा ने बताया कि आषाढ़ (जुलाई) महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। इस दिन से चातुर्मास शुरू हो जाता है। इसके बाद सावन (अगस्त), भाद्रपद (सितंबर), अश्विन (अक्टूबर) और कार्तिक (नवंबर) में शुक्ल पक्ष की एकादशी पर देवता जागते हैं और चातुर्मास खत्म हो जाता है।

व्रत और साधना का समय दक्षिणायन

दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए कहते हैं कि उत्तरायण उत्सव, पर्व एवं त्यौहार का समय होता है और दक्षिणायन व्रत, साधना एवं ध्यान का समय रहता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। इस दौरान व्रत रखना, किसी भी प्रकार की सात्विक या तांत्रिक साधना करना भी फलदायी होती है।