MP NEWS : रतलाम में महक रहा गुजरात का केसर, पेड़ से ही प्री-बुकिंग
केसर आम का नाम आते ही इसके खास स्वाद और महक का ख्याल जेहन में आता है। आम की यह खास वैरायटी का उत्पादन गुजरात के गिर क्षेत्र में होता है, इसलिए इसको गिर केसर भी कहा जाता है।

रतलाम. केसर आम का नाम आते ही इसके खास स्वाद और महक का ख्याल जेहन में आता है। आम की यह खास वैरायटी का उत्पादन गुजरात के गिर क्षेत्र में होता है, इसलिए इसको गिर केसर भी कहा जाता है। इसी केसर आम की बहार इन दिनों रतलाम के आलनिया गांव में आई हुई है। किसान शरद पाटीदार ने पहले प्रायोगिक तौर पर केसर आम के कुछ पौधे लगाए थे, जिन पर अच्छी क्वालिटी के केसर आम का उत्पादन मिलने पर शरद ने 3 बीघा जमीन में 600 केसर आम के पौधे लगाए। इसके बाद अब रतलाम में भी अच्छी क्वालिटी के केसर आम का उत्पादन मिल रहा है।
हाईडेंसिटी तकनीक से लगाए गए पेड़
किसान शरद पाटीदार ने आम के पौधे लगाने के लिए बागवानी की नई हाई डेंसिटी तकनीक का इस्तेमाल किया है। इस तकनीक के अंतर्गत कम जगह में अधिक मात्रा में पौधे लगाए जाते हैं और उनकी सीमित बढ़वार के साथ दूसरे साल से ही आम आना शुरू हो जाते हैं। इस तकनीक में पौधे से पौधे की दूरी 6 फीट और कतार से कतार की दूरी 10 फीट रखी जाती है, जिससे एक बीघा में करीब 200 पौधे लगाए जा सकते हैं। किसान शरद पाटीदार का कहना है कि यदि एक पेड़ से 20 किलो तक भी उत्पादन प्राप्त हो जाता है तो किसान को अच्छा मुनाफा मिलने लगता है।
2 सालों से पेड़ से ही बिक जाते हैं आम
शरद का कहना है कि उन्होंने शुरुआत में प्रायोगिक तौर पर 50 ग्राफ्टेड केसर आम के पौधे लगाए थे, जिन पर दूसरे साल से फल लगने लगे। स्वाद और फल की साइज अच्छी निकलने पर उन्होंने 3 बीघा क्षेत्र में करीब 600 पौधे लगाकर इसकी व्यावसायिक खेती शुरू कर दी। रतलाम के लोकल मार्केट में ही लोगों को यहां का केसर आम इतना पसंद आया कि अब उनकी फसल पकने के पहले ही बुक हो जाती है।
बाग लगाने के लिए प्रेरित हुए क्षेत्रवासी
आम की बुकिंग करवाने वाले ग्राहक राजेश वासनवाल का कहना है कि गुजरात से आने वाले केसर आम और यहां के केसर आम के स्वाद में कोई अंतर नहीं है। इसलिए 2 साल से हम यहीं से आम की बुकिंग करवा रहे हैं। शरद द्वारा केसर आम का सफल उत्पादन देख गांव और आसपास के लोग भी आम का बाग लगाने के लिए प्रेरित हुए हैं। ऐसे में हो सकता है जल्द ही रतलाम में केसर आम के और बाग देखने मिले। ऐसा होने पर यहां के आम का स्वाद देश के कोने-कोने पहुंचने लगेगा।