उमरिया के घुनघुटी वन परिक्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक
अनूपपुर जिले की सीमा से आए इन हाथियों ने गांवों में कहर बरपा रखा है, जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है। हाथियों का दल दिन में जंगल में छिपा रहता है और रात के अंधेरे में गांवों का रुख करता है, जिससे लोग रातभर सो नहीं पा रहे हैं और लगातार चौकसी बनाए हुए हैं।

जिले के घुनघुटी वन परिक्षेत्र में जंगली हाथियों का आतंक जारी है। अनूपपुर जिले की सीमा से आए इन हाथियों ने गांवों में कहर बरपा रखा है, जिससे ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है। हाथियों का दल दिन में जंगल में छिपा रहता है और रात के अंधेरे में गांवों का रुख करता है, जिससे लोग रातभर सो नहीं पा रहे हैं और लगातार चौकसी बनाए हुए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मालाचुआ ग्राम के जमुनिहा टोला में जंगली हाथियों ने दो ग्रामीणों के घरों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया। पीडि़त भैयालाल गौण और रामप्रसाद गौण के कच्चे मकानों की दीवारें हाथियों ने ढहा दीं। मकान के भीतर रखा सारा सामान इधर-उधर बिखर गया, जिससे परिवारों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा ग्राम हथपुरा में लक्ष्मण सिंह और कल्याण सिंह की बाड़ी में लगे केले के पौधे और फल पूरी तरह नष्ट कर दिए गए। हाथियों ने बाड़ और बाड़ी की अन्य संरचनाओं को भी तोड़ डाला, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसी घटनाएं हर साल हो रही हैं लेकिन इस बार लगातार चार दिनों तक हाथियों की मौजूदगी ने भय का वातावरण बना दिया है।
वन विभाग की टीम सतर्क
वन विभाग की टीम लगातार प्रभावित क्षेत्रों में मौजूद है और लाउडस्पीकर के माध्यम से ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है। विभाग का प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीणों की जानमाल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। अब तक किसी तरह की मानवीय क्षति की सूचना नहीं मिली है, लेकिन हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। घुनघुटी वन परिक्षेत्र के रेंजर अर्जुन बाजबा ने बताया कि ये हाथी अनूपपुर जिले के अहिरगवा रेंज से लगभग चार दिन पहले हमारे क्षेत्र में प्रवेश किए हैं। दिन में ये जंगलों में ही रहते हैं, लेकिन रात को गांवों की तरफ निकल जाते हैं। विभाग की टीमें लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि कोई हादसा न हो।
ग्रामीणों में रोष और चिंता
लगातार हो रही घटनाओं से ग्रामीणों में रोष और चिंता दोनों बढ़ते जा रहे हैं। कई ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इन हाथियों को सुरक्षित रूप से जंगलों की ओर वापस भेजा जाए और प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि जानवरों की सुरक्षा जरूरी है, लेकिन इंसानों की सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। कई ग्रामीण रातभर जागकर खेत और घर की रखवाली कर रहे हैं, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित हो रही है।
प्रशासन से राहत की उम्मीद
ग्रामीणों ने प्रशासन से शीघ्र राहत व पुनर्वास की मांग की है। कच्चे मकान ढहने और फसलों के नष्ट होने से जिन परिवारों का जीवन प्रभावित हुआ है, वे अब सरकारी सहायता की ओर देख रहे हैं। यदि समय रहते कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो यह संकट और गंभीर रूप ले सकता है।