मऊगंज जिले के ग्रामीण क्षेत्र में शासन के सिस्टम की हकीकत
अजब-गजब विकास,प्रसव पीड़िता को चारपाई के सहारे ले जाने की मजबूरी, मार्ग न होने से घर तक नहीं पहुंचा वाहन तो चारपाई बनी एम्बुलेंस, सहारा बने परिजन

राजेंद्र पयासी-मऊगंज
शासन के वायदे अधिकतर झूठे नजर आते हैं यह मैं नहीं कहता जमीनी हालात बोलते हैं, सरकार इन झूठे वायदों से आम जनता के लिए नए संकट जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है। जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों के तमाम वायदों के बाद भी प्रदेश में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहां के निवासी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण आम जनमानस को कोई गिने-चुने दिन नहीं बल्कि प्रतिदिन एक नई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए विकास की पोल खोलती ताजी तस्वीर नवगठित मऊगंज जिले से सामने आई है जहां गांव की बसाहट तक मार्ग के अभाव में प्रसव पीड़िता को चारपाई पर मुख्य मार्ग तक ले जाया जा रहा है।
वैसे भी 20 माह पूर्व अस्तित्व में आया मऊगंज जिला प्रदेश ही नहीं राष्ट्र के कोने कोने में अपनी पहचान बना चुका है और आए दिन नवगठित जिला किसी न किसी रूप में सुर्खियां बटोर रहा है। ताजा मामला जिले के विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाले ग्राम कोन में देखने को मिला जहां की निवासी एक हरिजन परिवार की बहू को अचानक प्रसव पीड़ा हुई तो परिजनों ने तत्काल 108 एंबुलेंस को फोन किया, मगर एंबुलेंस देर से पहुंची,और जब पहुंची तो ड्राइवर ने गांव के अंदर वाहन ले जाने से साफ मना कर दिया। एंबुलेंस चालक ने कहा सड़क नहीं है, गाड़ी मुख्य मार्ग से नीचे नहीं उतरेगी।
पीड़ित परिवार आरजू मिन्नत किया तो एंबुलेंस चालक का सीधा और सटीक उत्तर आया यह आपकी समस्या है। प्रसव पीड़ा से तड़पती बहू को देख पीड़ित परिवार के लोगों के पास
जब कोई और रास्ता नजर नहीं आया तो परिजनों ने पड़ोसियों की मदद ली। इस बीच घर से एक चारपाई निकाली और उसी चारपाई के सहारे प्रसव पीड़िता को करीब 2 किलोमीटर दूर मुख्य मार्ग तक ले जाया गया जहां एम्बुलेंस खड़ी थी।
मध्यप्रदेश के मऊगंज से आई यह खबर न सिर्फ तंत्र की असफलता उजागर नहीं करती है, बल्कि हमारे सिस्टम पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है।
एक महिला को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल तक पहुंचाने की बजाय, उसे दो किलोमीटर तक खाट पर लादकर ले जाना पड़ा,क्योंकि न एंबुलेंस समय पर पहुंची, न ड्राइवर ने गांव तक जाने की जहमत उठाई।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि एम्बुलेंस देर से आई और चालक गांव तक एम्बुलेंस लाने से मना कर दिया जिसके कारण मुझे गांव वालों को इकट्ठा करना पड़ा और खुद एंबुलेंस बनकर चारपाई से प्रसूता को एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा।
मऊगंज विधानसभा क्षेत्र के कोन गांव निवासी ग्रामीणों ने कहा कि गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं बनी जिसके कारण बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते,कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार लगाई गई लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई।
चुनावी प्रचार से लेकर मतदान तक सिमटा विकास..?
मऊगंज विधानसभा क्षेत्र का कोन गांव जहां आज भी मूल भूत सुविधाओं का टोटा लगा हुआ है स्वास्थ्य शिक्षा आवागवन जैसी आवश्यक सुविधा न होने से परेशान ग्राम वासियों ने कहा कि हर पंचायत विधानसभा एवं लोकसभा के चुनाव में यह सड़क चुनावी मुद्दा बनती है सरपंच से लेकर विधायक एवं सांसद भी आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं। प्रशासन से भी कई बार सड़क बनवाने की मांग की गई लेकिन आज तक कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। गांव का विकास चुनाव प्रचार प्रसार से चालू होता है तो निहित एक माह चलकर मतदान उपरांत पूर्ण हो जाता है। जनप्रतिनिधि मतगणना होते ही सभी वायदे भूल जाते हैं। हम लोग नहीं जानते कि विकास किसे कहते हैं, हां नेताओं की आमसभा में यह जरूर सुनते हैं कि क्षेत्र के लिए इतना विकास किया लेकिन विकास कहां और किस तरह से होता है हम लोग नहीं जानते। गांव तक सड़क न होने से परेशान लोगों ने कहा हर साल बरसात के महीने में ऐसी स्थिति बनती है कि अगर रात में कोई बीमार हो जाता है तो चारपाई में लेटि कर दूसरे गांव यानी मुख्य मार्ग तक ले जाना पड़ता है तब कहीं अस्पताल तक ले जाने के लिए साधन मिल पाता है। गांव तक जाने आने के लिए रास्ता खराब होने के कारण आए दिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कोन गांव के अलावा और भी है सड़क विहीन गांव-
सड़क विहीन होने के कारण मऊगंज जिले के सिर्फ कोन गांव की समस्या नहीं है बल्कि जिले में कई ऐसे गांव है जहां सड़क के अभाव में समय पर इलाज न मिल पाने के कारण मरीज दम तोड़ देते हैं। जिले में ऐसे गांव है जहां तक मार्ग न होने के कारण आवागमन के साधन शून्य है लोगों को कई किलोमीटर तक पैदल जाना होता है क्योंकि मार्ग न होने के कारण वाहन नहीं चलते जिककी वजह से इस तरह की परिस्थितियों से लोगों को समय गुजारना पड़ता है।
इनका कहना है
मध्य प्रदेश सरकार पूर्ण रुपए फेल हो चुकी है। लोगों को स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। हनुमना एवं मऊगंज के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधा के बजाय मरीजों को रेफर किया जाता है। यही हाल जिले के बड़ी अस्पताल का है।
सुखेंद्र सिंह बन्ना
पूर्व विधायक मऊगंज