बिना अनुमति अब कर्मचारी-अफसर नहीं कर सकते कॉल रिकार्डिंग, इंदौर अति पुलिस उपायुक्त ने जारी किया आदेश
पुलिस विभाग में अब बिना अनुमति किसी वरिष्ठ अधिकारी या सहकर्मी की बातचीत को रिकॉर्ड करना महंगा पड़ सकता है। एडिशनल डिप्टी कमिश्मनर आलोक कुमार ने सख्त आदेश जारी करते हुए कहा है कि यह अनुशासनहीनता और कानूनन अपराध है.

अति पुलिस उपायुक्त, जोन-1, इंदौर नगरीय द्वारा एक अत्यंत महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया गया है. जिसमें जिक्र है कि, हाल ही में यह देखा गया है कि कुछ अधीनस्थ अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा अपने वरिष्ठ अधिकारियों से टेलीफोन अथवा अन्य माध्यमों से की गई बातचीत को बिना पूर्व अनुमति के रिकॉर्ड किया गया है. यह न केवल सेवा अनुशासन के विपरीत है, बल्कि भारतीय कानून के अंतर्गत दंडनीय अपराध भी है. इस प्रकार की गतिविधियाँ कार्यस्थल पर पारस्परिक विश्वास और अनुशासन को गम्भीर रूप से प्रभावित करती हैं. इसलिए सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निर्देशित किया जाता है कि बिना स्पष्ट अनुमति के, किसी भी बातचीत की रिकॉर्डिंग नहीं की जाएगी।
यह आदेश म.प्र. सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के तहत लागू है.
ऐसा कोई भी कृत्य, अनुशासनहीनता माना जाएगा.
मोबाइल के ऑटो कॉल रिकॉर्डिंग फीचर को तुरंत बंद किया जाए.
अगर कोई इस आदेश का उल्लंघन करता है इस स्थिति में उचित कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि यह आदेश 18 जुलाई से ही तत्काल प्रभाव में लागू किया गया है....