'मैंने जो ट्वीट किए उसकी एक-एक बात सत्य है'
उमा भारती ने बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि उनके भतीजे राहुल लोधी को टिकट देना कोई एहसान नहीं, बल्कि पार्टी की मजबूरी थी। परिवार के बलिदानों और राजनीतिक दबावों का जिक्र करते हुए उन्होंने ट्वीट में अपनी यात्रा शेयर की।

बीते दिन अपने भतीजे राहुल लोधी को टिकट देने को लेकर पूर्व सीएम उमा भारती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट किया था। जिसे लेकर शुक्रवार, 18 जुलाई को उन्होंने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि कल मैंने जो ट्वीट किए थे उसमें एक-एक बात सत्य है। जैसे जल-तरंग अल-अलग नहीं होते, वैसे ही में भी पार्टी से अलग नहीं हो सकती।
उमा भारती सरकारों क प्रताड़ित करने वाले ट्वीट पर कहा, सबसे पहली प्रताड़ना 1990 से 92 में हुई. भाइयों पर लूट डकैती के केस बने, दिग्विजय सिंह के समय हत्या के आरोप भाइयों पर हुए लेकिन सब बरी हो गए. मुझपर और भाई भतीजों पर केस दर्ज किया गया.
दूसरा व्यापम- मेरा नाम व्यापम पर कैसे आया. मुझे CBI अन्य एजेंसियों पर भरोसा था. मेरी मां की मृत्यु के बाद व्यापम में मेरा नाम आना था. उस समय क्या मेरा नाम इसलिए लाया गया ताकि कुछ लोगों को छोड़ा जाए.
उमा भारती ने रिटायरमेंट वाले सवाल पर कहा- रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती, कोई व्यक्ति रिटायरमेंट के बाद भी समाज को जीवन पर्यन्त योगदान दे सकता है.
उमा ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार ने गाय के संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किए हैं। हालांकि, अभी इन दोनों क्षेत्रों में और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने शराबबंदी के मुद्दे पर जोर देते हुए कहा शराबबंदी पूरी तरह सरकार के नियंत्रण में है. सरकार जब चाहे शराबबंदी कर सकती है. साथ ही गाय पालन यदि किसान करेगा और सरकार को सहयोग करेगा तो गाय बचेगी.
ट्वीट कर साधा बीजेपी पर निशाना
उमा भारती ने 16 जुलाई को कई ट्वीट किए। उन्होंने कहा, "मेरे भाई-भतीजों को मेरी छवि की चिंता ने उनकी योग्यता के अनुसार तरक्की से रोका। राहुल को टिकट देना पार्टी के लिए जरूरी था, क्योंकि बुंदेलखंड में बीजेपी को नुकसान हो सकता था।" उमा ने खुलासा किया कि उनकी वजह से परिवार पर झूठे आरोप जैसे लूट और डकैती लगे, लेकिन कोर्ट ने हमेशा उन्हें निर्दोष साबित किया। साथ ही, उन्होंने यह भी जिक्र किया कि अगर उन्हें चुनाव नहीं लड़ाया जाता, तो उनके भाई या भतीजे पहले ही सांसद या विधायक बन सकते थे। राहुल लोधी की 2018 में खरगापुर से विधायक निर्वाचन को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2022 में रद्द कर दिया था, जिसमें नामांकन पत्रों में गड़बड़ी पाई गई थी। यह घटना उनके बयान को और गहराई देती है।