एमपी के 250 स्कूलों की मान्यता खत्म, निर्मला बुच का स्कूल भी शामिल
मध्यप्रदेश में 250 स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी गई है, जिनमें पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का अंकुर स्कूल भी शामिल है। आदेश शिक्षा मंत्री की अपील खारिज होने के बाद लोक शिक्षण आयुक्त ने जारी किए।

मध्यप्रदेश में 250 निजी स्कूलों की मान्यता समाप्त कर दी गई है। इनमें राज्य की पहली महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच का करीब 40 साल पुराना अंकुर हायर सेकेंडरी स्कूल भी शामिल है। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह की अपील में प्रकरण खारिज होने के बाद लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने यह आदेश जारी किए हैं।
राजधानी भोपाल के 10 स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, जिनमें सेवन हिल्स (जवाहर चौक), प्रीति स्कूल (सर्वधर्म, कोलार), राजपुष्पा, पार्थ, और ज्ञानकृष्णा स्कूल जैसे नाम शामिल हैं। इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने का मुख्य कारण ज़मीन की कमी बताया गया है।
50 स्कूलों को मान्यता जारी
मंत्री की कमेटी ने 250 स्कूलों की अपील को अमान्य कर दिया है। प्रदेश के 50 स्कूलों को मान्यता जारी की गई है। राजधानी भोपाल में जिन स्कूलों की मान्यता समाप्त की गई है, उनमें प्रदेश की पहली महिला चीफ सेक्रेटरी निर्मला बुच का अंकुर हायर सेकेंडरी स्कूल भी शामिल है। इसके अलावा जवाहर चौक स्थित सेवन हिल्स, सर्वधर्म कोलार स्थित प्रीति हायर सेकेंडरी स्कूल, कोलार स्थित राजपुष्पा, पार्थ, ज्ञान कृष्णा समेत दस स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों में मान्यता समाप्त करने का कारण जमीन को बताया गया है। मान्यता समाप्त करने संबंधी आदेश आयुक्त शिल्पा गुप्ता ने जारी किए हैं। उक्त आदेश को पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है।
कैसे रद्द होती है स्कूल मान्यता?
स्कूलों की मान्यता या उसके नवीनीकरण की प्रक्रिया पहले संभागीय संयुक्त संचालक के पास जाती है। अगर वहां से स्कूल की मान्यता रद्द होती है तो पहली अपील लोक शिक्षण आयुक्त के पास और दूसरी अपील शिक्षा मंत्री के पास जाती है। इस बार दूसरी अपील में लगभग 300 स्कूलों ने आवेदन किया था, जिनमें से 250 की अपील खारिज कर दी गई और सिर्फ 50 स्कूलों को मान्यता दी गई।
मुस्तफा मेमोरियल स्कूल का मामला
भोपाल के चांदबड़ क्षेत्र में स्थित मुस्तफा मेमोरियल हाई स्कूल का भी मामला चर्चा में रहा। 44 साल से संचालित इस स्कूल की मान्यता पिछले साल यह कहकर रद्द कर दी गई थी कि स्कूल तीन मंजिला है और इससे छात्रों को परेशानी हो सकती है। स्कूल संचालक ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट ने 21 फरवरी 2025 को छात्रों को परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी।
हैरानी की बात यह है कि इसी साल 2025-26 के लिए उसी स्कूल को फिर से मान्यता दे दी गई है, जबकि पिछले साल उसी आधार पर मान्यता रद्द हुई थी।