MP News: लापता मां का कर दिया था पिंडदान, 35 साल बाद घर लौटी, महिला को थी भूलने की बीमारी

राजगढ़ के ब्यावरा में 35 साल बाद एक महिला वापिस अपने घर लौट आई जिसका उनके घर वालों ने पिंडदान कर दिया था। दरअसल 75 वर्षीय गीताबाई सेन भूलने की बीमारी की वजह से 40 की उम्र में लापता हो गई थी। घर वालों ने 10 साल ढूंढ़ने के बाद निराश होकर उनका पिंडदान कर दिया था। गीताबाई को एक महिला ने नागपुर के मेंटल अस्पताल में भर्ती कराया था। धीरे-धीरे उनकी याददाश्त लौटने लगी वही नर्सिंग स्टाफ और पुलिस की मदद से उनको उनके घर तक पहुंचाया गया। 35 साल बाद अपनी पत्नी और मां को देखर महिला के पति और बच्चों की आंखें नम हो गई।

RAJGARH. फिल्मों में अक्सर देखने को मिलता है कि सालों बाद गुम हुए लोग मिल जातें हैं। ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला राजगढ़ जिले से आया है। जहां 35 साल बाद वो महिला लौट आई जिसका परिवार उसका पिंडदान तक कर चुका था।दरअसल महिला को भूलने की बीमारी थी जिस कारण से वह 40 की उम्र में लापता हो गई थी। घर वालों  ने उन्हें 10 साल तक कई जगह तलाश किया नहीं मिलने पर निराश होकर घर वालों ने पांच साल पहले प्रयागराज में पिंडदान कर दिया था। वहीं हर साल श्राद्ध भी कर रहे थे।

क्या है पूरा मामला?

ब्यावरा निवासी 75 वर्षीय गीताबाई सेन 40 की उम्र में अपने मायके शाजापुर के खोकरा गांव से लापता हो गई थी। दो साल पहले सामाजिक कार्यकर्ता बिंदा बिड़कर ने उन्हें एक पेड़ के नीचे बैठा देखा तो उन्होंने महिला को 8 सितंबर 2023 को नागपुर के मेंटल अस्पताल में भर्ती कराया था।

पति हुए भावुक, बेटे की आंखें  हुई नम 

धीरे-धीरे गीताबाई की याददाश्त वापिस आने लगी। वे नर्सिंग स्टाफ से बातें करने लगीं। उन्होंने नरसिंहगढ़, शुजालपुर और ब्यावरा का जिक्र किया। अस्पताल स्टाफ ने गूगल पर ब्यावरा सर्च किया और पुलिस की मदद से परिजनों तक पहुंचे। 28 मार्च को परिजनों को गीताबाई के मिलने की सूचना मिली। पत्नी को देखकर पति गोपाल सेन भावुक हो गए। बेटे अशोक सेन की आंखें भी नम हो गईं। जब गीताबाईं लापता हो गईं थीं तब उनके चार बच्चे थे, जिनकी उम्र चार से 10 साल के बीच थी। दो की मौत हो गई। उनके 45 वर्षीय बेटे अशोक बताते हैं कि मां मानसिक रूप से कमजोर थीं। मायके से बिना बताए कहीं चली गईं थीं। हमने काफी ढूंढ़ने का प्रयास किया लेकिन उनका कहीं भी पता नहीं चला।

नागपुर से आया फोन 

सालों बाद जब परिजनों को अचानक पुलिस से नागपुर अस्पताल की सूचना मिली। तब बेटे ने कहा कि जैसे ही हमने मां को वीडियो और फोटो में देखा तो हम भरोसा नहीं कर पाए। महिला का बड़ा बेटा मोहन सेन था जिनकी मौत ढाई साल पहले हो चुकी है। अशोक और विनोद सेन दो बेटे हैं जो परिवार के साथ अस्पताल रोड स्थित घर पर रहते हैं। वहीं, एक और बहन श्यामा थीं जिनका निधन पहले ही हो चुका है।

19 माह की कोशिश के बाद मिले परिजन

नागपुर मेंटल हॉस्पिटल के इंचार्ज कुंडा बिड़कर ने बताया कि 8 सितंबर 2023 को कोर्ट के ऑर्डर पर इन्हें भर्ती कराया गया था। वे डिमेंशिया बीमारी से ग्रसित थीं। हमने खूब पता लगाने की कोशिश की, आधार नहीं था तो बॉयोमैट्रिक किया। लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली।

गीताबाई की इस कहानी में कई फिल्मों की तरह मोड़ भी आये हैं। इंचार्ज ने 19 महीने तक इधर-उधर पूछा, महाराष्ट्र, एमपी के कई गांव, पुलिस स्टेशन, सरपंच, किराना दुकानों में पूछा लेकिन कहीं भी उनके घर का पता नहीं चला। इस साल 28 मार्च को उन्होंने ब्यावरा, इंदौर, शाजापुर के बारे में बताया था। इसके बाद राजगढ़ एसपी ऑफिस को बताया गया। शाजापुर और ब्यावरा थाने की जानकारी ली। वीडियो कॉल पर परिजन से काउंसलिंग की इसके बाद उन्हें नागपुर बुलाकर इसके बाद पहचान हो सकीय। 

इतने सालों बाद अपने घर लौटी गीताबाई को पाकर सब खुश है। बेटे अशोक सेन ने बताया कि हमारी माताजी पिछले 35 साल से हमसे दूर थी। अब वह मिल गई है। हमने उन्हें पहचान लिया है। हमारा पूरा परिवार बहुत खुश है। अब वह हमारे साथ है। ईश्वर का बहुत-बहुत धन्यवाद।