स्वच्छ भारत मिशन में भ्रष्टाचार, जिम्मेदारों ने सरकारी योजना की बिगाड़ी सेहत

रीवा जिले के नवगठित मऊगंज, हनुमना, और नईगढ़ी विकासखंड सहित अन्य क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और लापरवाही सामने आई है। कई स्थानों पर शौचालयों को कागजों में पूर्ण दिखाया गया है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है।

स्वच्छ भारत मिशन में भ्रष्टाचार, जिम्मेदारों ने सरकारी योजना की बिगाड़ी सेहत

राजेंद्र पयासी-मऊगंज 

सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में जिम्मेदारों द्वारा खुलकर पलीता लगाया जा रहा है,निर्माण कार्यों में जहां देखा जाए वही खुलकर अनियमितता बरती जा रही है।

सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन के निर्माण कार्यों में नगरीय निकायों से लेकर ग्राम पंचायतों के सरपंच सचिव एवं विभागीय अमले द्वारा ध्यान न दिए जाने के कारण पूरे जिले भर में कोई भी ऐसा विकास खंड नहीं है जहां सामूहिक शौचालयों के निर्माण का कार्य पूर्ण रूप से पूरा किया गया हो।

आलम यह है कि या तो सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कार्य आज भी पूर्ण नहीं किए गए  या फिर निर्माण कार्य को जिम्मेदारों द्वारा पूर्ण दिखाया जा रहा है उन निर्माण कार्यों की भी हालत बद से बदतर हैं। ग्राम पंचायतों में बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों के हालात कुछ इस कदर बयां करते हैं कि अधिकतर जगह तो निर्माण कार्य यानी भवन का कार्य पूर्ण कर दिया गया है वहीं किसी पंचायत में टैंक निर्माण कार्य का गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है तो कहीं निर्माण कराया गया है तो वह उपयोग के काबिल नहीं है।

जिसका जीता जागता उदाहरण नवगठित मऊगंज जिले हनुमना एवं मऊगंज जनपद क्षेत्र की तरह के नईगढ़ी विकासखंड में देखा जा सकता है। कुछ इस तरह के मामले चाहे वह जिलहड़ी, हर्दी तिवरियान एवं जोरौट ग्राम पंचायत का मामला हो या बधवा भाई वांट पुरवा जैसी अन्य ग्राम पंचायतों का।

जहां देखा जाए वही आधे अधूरे निर्माण कार्य निर्माण एजेंसी एवं विभागीय जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदाराना पूर्ण कार्य को कुछ इस तरह बयां करते हैं की जिम्मेदार अमले द्वारा अपने जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया गया।आलम यहां है कि जिले के सभी जनपद पंचायत में सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कार्य स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत मंजूर किए गए थे.

विभागीय अमले की माने तो आज की स्थिति में 75 फ़ीसदी पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो चुके हैं शेष अभी भी अधूरे पड़े हुए हैं। उधर जिन सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण कार्यों को कागज में पूर्ण दिखाया जा रहा है उन भी सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कार्य आज भी आधा अधूरा दृष्टिगोचर होता नजर आता है।

यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि विकास खंड स्तर के अधिकारी क्या उच्च अधिकारियों के आदेश का गंभीरता से पालन नहीं करते या फिर ग्राम पंचायत के जिम्मेदार सरपंच एवं सचिवों द्वारा निर्माण कार्यों को पूर्ण करने की ओर सही कदम नहीं उठाया जाता।

स्थिति चाहे जो हो या तो जांच उपरांत ही पता चलेगा लेकिन स्वच्छ भारत मिशन के निर्माण कार्यों में जिस तरह ध्यान नहीं दिया जा रहा उससे साफ साबित होता है कि कहीं ना कहीं जिम्मेदार अमला अपनी जिम्मेदारी भूल चुका है।

अन्य शौचालयों की भी खराब हालत-

वैसे तो जिले भर की सभी ग्राम पंचायतों में लगभग एक जैसे हालात हैं जहां देखा जाए वही जिन घरों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों का निर्माण कार्य कराया गया है उन शौचालयों में यदि दीवाल खड़ी कर दी गई है तो छत नहीं डाला गया और यदि छत डाल दिया गया है तो दरवाजे नहीं लगाए गए हैं कई जगह तो चबूतरा बनाकर सेट लगाकर छोड़ दिया गया है।

जबकि ग्राम पंचायत को पूर्ण रूपेण निर्मल पंचायत होने का तमका दिया जा चुका है। कई ग्राम पंचायत ऐसी भी हैं जहां के हालात बाद से बदतर हैं फिर भी स्वच्छ भारत मिशन में बेहतर कार्य करने के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार तक प्रदान किया जा चुका है।

जबकि जमीनी हालात कुछ और है। सवाल यहां उठता है कि जब ग्राम पंचायतों में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत शौचालयों का बेहतर निर्माण नहीं कराया गया फिर उन्हें पूर्ण निर्माण होने का प्रमाण पत्र कैसे जारी कर दिया गया।

दोषी कौन है निर्माण एजेंसी या फिर विभागीय जिम्मेदार अमला यह तो जांच उपरांत ही पता चलेगा लेकिन जिस तरह से स्वच्छ भारत मिशन के निर्माण कार्यों में अनदेखी की गई उससे साफ जाहिर होता है कि निर्माण एजेंसी एवं स्वच्छ भारत मिशन की बागडोर लेकर नैया पार कर निर्मल ग्राम पंचायत का प्रमाण पत्र देने वाले जिम्मेदार अमले द्वारा जिम्मेदारी नहीं निभाई गई।

नईगढ़ी नगर परिषद शौचालय घोटाले की जांच फाइल ऑफिसों  में चाट रही धूल

जिले के नईगढ़ी नगर परिषद में तथाकथित हुए शौचालय निर्माण कार्य के लाखों रुपए के घोटाले की जांच की फाइलें आज  विभागीय ऑफिस में धूल चाट रहे हैं।

नगर प्रशासन नईगढ़ी के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों एवं तत्कालीन मुख्य नगरपालिका अधिकारी और निर्माण एजेंसी की मिली भगत से 5 वर्ष पूर्व कुछ इस कदर लंबा खेल खेला गया था कि जिन घरों में निकाय द्वारा शौचालयों का निर्माण कार्य कराया ही नहीं गया उनके नाम से भी निर्माण कार्य की फर्जी तौर से पूर्ति दिखाकर राशि आहरित कर ली गई थी।

जिसका खुलासा बीते 4 वर्ष पूर्व तब हुआ जब जन शिकायत पर जांच उपरांत यह पाया गया था कि नगर परिषद नईगढ़ी के सभी 15 वार्डों में निकाय द्वारा संविदाकार यानी निर्माण एजेंसी को 1450 शौचालय पूर्णरूपेण बनाए जाने के अंतिम भुगतान को हरी झंडी दे दी गई। जिस विषय की  स्थानीय निकाय के तत्कालीन उपयंत्री द्वारा जब हर वार्डो में घर घर सर्वे किया गया तो पाया गया कि तथाकथित बनाए गए 1450 में से 562 शौचालय मात्र कागज में ही बनाए गए हैं।

जिनकी राशि निकासी हेतु तत्कालीन प्रभारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी द्वारा जिम्मेदारों की मोहर एवं हस्ताक्षर तथा टीप से भुगतान हेतु इस आशय की जानकारी को मूर्त रूप दे दिया गया कि सभी शौचालय पूर्णरूपेण बने हैं ।

शौचालय बने नहीं और राशि निकाल लिए जाने की जब स्थानीय निवासियों द्वारा उच्च अधिकारियों तक शिकायत की गई तब संभागीय नगरी प्रशासन द्वारा एक जांच कमेटी बैठाई गई थी जिसमें उस समय के कार्यपालन यंत्री हरिशंकर मिश्र असिस्टेंट इंजीनियर आनंद सिंह सब इंजीनियर तारेश शुक्ला उपयंत्री हनुमना अनिल मिश्रा आदि  को शामिल किया गया।

हालांकि नगरी निकाय प्रशासन के आदेश अनुसार युक्त शौचालय घोटाले की जांच करने हेतु एक नहीं बल्कि दो बार संबंधी जांच दल नईगढ़ी नगर परिषद के विभिन्न मोहल्लों में पहुंचा था।  इसके बाद आज तक नईगढ़ी नगर निकाय में हुए इतने बड़े घोटाले की जांच नहीं हो सकी। 

यदि जांच हुई तो वह फाइल कहां धूल खा रही है एक बड़ा सवाल है। नगर निकाय के अंदरूनी सूत्रों की माने तो यदि आज भी शौचालय घोटाले की सही सही जांच हो जाए और जांच कमेटी सत्य निष्ठा से जांच प्रतिवेदन उच्च अधिकारियों को भेज दे और उच्च अधिकारी उस फाइल कानून के दायरे में लें तो कई जिम्मेदार इस घोटाले की चपेट में आ सकते हैं।

लेकिन तथाकथित घोटाले बाजों के आगे जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण जांच कमेटी की जांच महज कागजी खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई और आज की स्थिति में 562 फर्जी शौचालयों के निर्माण राशि का गबन संबंधी खुलासा नहीं हो पाने के कारण न तो हितग्राहियों के खाते में आज तक राशि पहुंची और न ही तथाकथित जिम्मेदारों द्वारा शासन के ही खाते में राशि जमा कराई गई।

जबकि यदि इतने बड़े घोटाले की जांच सत्य निष्ठा से हो जाए तो कई जिम्मेदार जो अपनी काली कमाई का जरिया बनाकर शौचालय निर्माण की राशि डकार गए उनके काली करतूत का जहां खुलासा हो जाएगा वही घोटाले की राशि भी निकाय के खाते में जमा करनी पड़ सकती है।

उधर कागजी खानापूर्ति करते हुए नगर निकाय को संपूर्ण खुले में शौच मुक्त दिखाकर फर्जी तौर से पुरस्कार भी हासिल कर लिया। जबकि मैदानी हकीकत कुछ और है। आज की हाल स्थिति में नईगढ़ी नगर परिषद की 40 प्रतिशत आबादी शौचालय विहीन होने के कारण खुले मैदान में शौच करने को जाती है।

फिर भी आला अधिकारी है कि फर्जी आंकड़ा पेश कर अपनी ही पीठ थप थपथपाने में जुटे हुए हैं। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या नगरीय प्रशासन नगर परिषद नईगढ़ी में हुए लाखों रुपए के शौचालय निर्माण घोटाले की सही सही जांच कराएगा ? क्या दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही होगी ?

क्या गठित किए गए जांच दल द्वारा किए गए जांच उपरांत जांच फाइल का खुलासा किया जाएगा ?  क्योंकि आज भी शौचालय घोटाले की फाइलें अलमारियों में धूल चाट रही है ? और इसी के चलते कुछ इस तरह के सवाल हैं जो जिला प्रशासन सहित नगरी प्रशासन के उच्च अधिकारियों से आज भी साफ-सुथरी बिना भेदभाव के जांच की आस रखते हैं ।

लेकिन देखना अब यह होगा कि क्या नईगढ़ी शौचालय घोटाले की ओर शासन प्रशासन की नजर पहुंचेगी  या फिर इतने बड़े घोटाले की फाइलें सर्वदा के लिए  अलमारियों में अजीवन दफन हो जाएंगी ?