MP NEWS : स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में डाक्टरों की अवैध नियुक्ति, जांच समिति की रिपोर्ट भी अधूरी 

महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर के अंतर्गत संचालित स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में की गई नियुक्तियों को लेकर घोटाले के आरोप लगे हैं। इसकी जांच के लिए समिति का गठन तो किया गया था, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट भी अधूरी है।

MP NEWS : स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में डाक्टरों की अवैध नियुक्ति, जांच समिति की रिपोर्ट भी अधूरी 
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भोपाल. महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर के अंतर्गत संचालित स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में की गई नियुक्तियों को लेकर घोटाले के आरोप लगे हैं। इसकी जांच के लिए समिति का गठन तो किया गया था, लेकिन जांच समिति की रिपोर्ट भी अधूरी है। अवैध नियुक्तियों को लेकर बनी जांच कमेटी ने अपने अभिमत नहीं दिए हैं। इस कारण किसी भी डाक्टर पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

केंद्र सरकार ने महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर के अंतर्गत संचालित स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई की स्थापना की है। इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य इंदौर को अंधत्व से मुक्त कराना था। एक्लीलेंस फॉर आई में वर्ष 2019 में कांग्रेस के शासनकाल में कुछ डाक्टरों की नियुक्तियां की गई थीं, जिसमें भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। आप्टोमेट्रिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कमल गोस्वामी का कहना है कि सीधी भर्ती 2019 में जारी विज्ञप्ति के अनुसार की गई थीं। इसके तहत संचालक पद के लिए आई अस्पताल के संचालन एवं स्थापित करने का 20 वर्षों का अनुभव मांगा गया था। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार बीस की जगह 17 वर्ष का अनुभव दर्शाने वाले डाक्टर को नियुक्ति दे दी गई। सहायक प्राध्यापक के पदों पर भी नियुक्ति में भ्रष्टाचार किया गया है। डीएनबी योग्यता वाली डॉक्टर की नियुक्ति कर दी गई, जबकि विज्ञापन में एमएस की योग्यता मांगी गई थी।

नियुक्ति में ऐसे की गईं गड़बड़ियां

स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई की नियुक्तियों में संचालक के पद पर डॉ. प्रतीक व्यास की नियुक्ति की गई। उनके पास बीस वर्ष का अनुभव होना चाहिए। केवल 17 वर्षों का अनुभव है। सह अध्यापक (कम्युनिटी) नेत्र रोग के पद पर डॉ. मीता जोशी की नियुक्ति है। इस पद के लिए एमएस की डिग्री अनिवार्य है, लेकिन उनकी डीएनबी के आधार पर की गई। यह स्थिति तब है, जब एमएस के आवेदक भर्ती प्रक्रिया में शामिल थे। सह अध्यापक (विट्रयो रेटिना) के पद पर डॉ. टीना अग्रवाल पदस्थ की गईं। योग्यता में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर चार वर्ष का अनुभव अनिवार्य था, लेकिन उन्होंने अनुभव नहीं दर्शाया। इस पद के लिए पब्लिकेशन की भी योग्यता थी। उनके पास यह भी नहीं पाया गया है। सहायक अध्यापक डॉ. ऋषि गुप्ता की नेत्र रोग के पद पर नियुक्ति हुई। योग्यता में एक वर्ष सीनियर रेसीडेंस का अनुभव और एक वर्ष का मेडिकल कालेज का अनुभव नहीं बताया गया। अनुभव शंकर नेत्रालय का बताया गया, जो कि मेडिकल कालेज नहीं है।

जांच रिपोर्ट में कमेटी ने कर दिया गोलमाल 

स्कूल ऑफ एक्सीलेंस फॉर आई में डॉक्टरों की अवैधानिक नियुक्ति को लेकर शिकायतें हुई। करीब दो साल पहले इसके लिए जांच कमेटी बनाई गई। यह कमेटी एमवायएच की नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति रावत की अध्यक्षता में बनी थी। कमेटी में सदस्य सहायक प्राध्यापक मेडिसिन विभाग डॉ. अशोक ठाकुर व प्रशासकीय अधिकारी मय चिकित्सालय नेहा सिंघाई थी। करीब दो साल बाद कमेटी ने जनवरी में इसकी रिपोर्ट मुख्य कार्यपालन अधिकारी व अधिष्ठाता महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर को जनवरी में सौंपी थी। इस रिपोर्ट में बयानों के आधार पर योग्यता में कमी है, लेकिन कमेटी ने कार्यवाही करने के लिए कोई अभिमत नहीं दिया है। रिपोर्ट में अवैध नियुक्ति पाने वाले डाक्टरों को बचाने के लिए गोममोल बिंदु लिखे गए हैं। रिपोर्ट में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। इसके कारण नियुक्तियों में हुए घोटाले के आरोपी फिलहाल बचे हुए हैं। शिकायतकर्ता कमला गोस्वामी का आरोप है कि जांच में गड़बड़ी हुई है। यह सिर्फ घोटालेबाजों को बचाने के लिए है।

अधीक्षक की नियुक्ति भी अवैधानिक 

गोस्वामी ने आरोप लगाया कि अधीक्षक पद पर नियुक्ति भी अवैधानिक है। उसमें आंखों के अस्पताल के संचालन का एक वर्ष का अनुभव अनिवार्य है, लेकिन डीन डॉ. डीके शर्मा (जो हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं) ने सांठगांठ कर उनको अधीक्षक के साथ आयुष्मान योजना का नोडल अधिकारी भी बना दिया।