MP में पदोन्नति को लेकर बड़ी खबर! मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रोकी पदोन्नति की प्रकिया
MP में पदोन्नति को लेकर बड़ी खबर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रोकी पदोन्नति की प्रकिया अगले मंगलवार तक के लिए लगी रोक। प्रदेश सरकार से कोर्ट ने मांगा जवाब। क्या है पूरा मामला आइए जानते है।

मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति नियम को लेकर एक बार फिर से बड़ा विवाद सामने आया है। सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों की संस्था (सपाक्स) से जुड़े पशुपालन, डेयरी विभाग और विद्युत मंडल के कर्मचारियों ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में नई पदोन्नति नियम के खिलाफ याचिका दायर की है। साथ ही उन्होंने इस मामले में जल्द सुनवाई की भी मांग की है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 2002 में बनाए गए पदोन्नति नियम में अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) को पदोन्नति में 36 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसके खिलाफ सामान्य वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों ने पहले भी 2016 में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। उस समय कोर्ट ने यह नियम अवैध मानकर निरस्त कर दिया था। तब से पदोन्नतियां बंद थीं।
इसके बाद सरकार ने कर्मचारियों और विधि विशेषज्ञों से सलाह लेकर नए नियम बनाए, लेकिन उनमें आरक्षण के पुराने नियम को ही बनाए रखा। इसमें आरक्षित वर्ग को 36 प्रतिशत पद आरक्षित हैं, जबकि बाकी पदों पर अनारक्षित वर्ग को पदोन्नति का मौका दिया गया है। साथ ही पहले पदोन्नत सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को पदावनत (डिमोशन) नहीं किया गया, जबकि कोर्ट ने ऐसा करने को कहा था।
अब क्या हो रहा है?
नए नियम के लागू होने के बाद पदोन्नति की प्रक्रिया फिर शुरू हो गई है। इसे लेकर सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। अब सपाक्स संगठन ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि नए नियम स्वीकार नहीं किए जा सकते क्योंकि इसमें वही विवादित प्रावधान हैं, जिनके खिलाफ पहले से ही लड़ाई चली आ रही है। वे चाहते हैं कि पुराने पदावनत कर्मचारियों को फिर से पदोन्नत किया जाए और पदोन्नति की प्रक्रिया भी सही नियम के तहत हो।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने भी हाई कोर्ट जबलपुर और इंदौर, ग्वालियर खंडपीठ में इस मामले में पहले ही अपने तर्क (कैविएट) जमा कर दिए हैं। सरकार का कहना है कि इस मामले में नियमों का सही पालन किया जा रहा है। लेकिन कर्मचारियों और संगठन इस बात से असंतुष्ट हैं और चाहते हैं कि न्यायालय मामले में जल्द फैसला दे।