गांधी सागर अभयारण्य में दिखा दुर्लभ स्याहगोश

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ और विलुप्तप्राय मांसाहारी प्रजाति कैराकल यानी स्याहगोश की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह पुष्टि कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर स्याहगोश की तस्वीर आने के बाद हुई है।

गांधी सागर अभयारण्य में दिखा दुर्लभ स्याहगोश

गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में दुर्लभ और विलुप्तप्राय मांसाहारी प्रजाति कैराकल यानी स्याहगोश की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह पुष्टि कैमरा ट्रैप में एक वयस्क नर स्याहगोश की तस्वीर आने के बाद हुई है। वन अधिकारियों के मुताबिक, यह घटना प्रदेश की जैव विविधता और संरक्षण प्रयासों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कैराकल एक बेहद शर्मीला, तेज दौडऩे वाला और मुख्यत: रात्रिचर जीव है। यह आमतौर पर शुष्क, झाड़ीदार, पथरीले और खुली घास के क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में इसे विलुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है और इसकी उपस्थिति बहुत दुर्लभ होती जा रही हैं। 

गांधी सागर अभयारण्य के वन अधिकारियों ने बताया कि कैमरा ट्रैप में इस प्रजाति की उपस्थिति यह दर्शाती है कि यह क्षेत्र अब भी जैविक रूप से इतना समृद्ध है कि दुर्लभ प्रजातियां भी यहां सुरक्षित रूप से निवास कर सकती हैं। यह न केवल संरक्षण प्रयासों की सफलता का संकेत है, बल्कि इस क्षेत्र की पारिस्थितिकीय गुणवत्ता का भी प्रमाण है। प्रदेश में वर्षों बाद किसी संरक्षित क्षेत्र में कैराकल की उपस्थिति दर्ज की गई है, जो कि वन्यजीव अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक उपलब्धि है।

वन विभाग और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य की टीम के प्रयासों से यह क्षेत्र दुर्लभ प्रजातियों के लिए भी एक सुरक्षित आश्रय-स्थली बन चुका है। वन विभाग का कहना है कि यह सफलता क्षेत्र में संरक्षित आवासों की गुणवत्ता और जैव विविधता के प्रति की गई सतत मेहनत का परिणाम है। आगामी दिनों में भी ऐसे प्रयास जारी रहेंगे, जिससे अन्य विलुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा मिल सके।