रीवा में बारिश ने खोली प्रशासनिक तैयारियों की पोल, कृत्रिम बाढ़ से बेहाल हुआ शहर

रीवा में इन दिनों हुई तेज बारिश ने नगर की प्रशासनिक तैयारियों और शहरी विकास की वास्तविकता को उजागर कर दिया। आधे घंटे की बारिश में ही शहर के विभिन्न इलाकों में जलभराव और कृत्रिम बाढ़ की स्थिति बन गई। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अजय खरे ने कहा कि बरसाती पानी की निकासी की स्थायी व्यवस्था नहीं होने के कारण हर वर्ष यही हाल होता है।

रीवा में बारिश ने खोली प्रशासनिक तैयारियों की पोल, कृत्रिम बाढ़ से बेहाल हुआ शहर

बरसात शुरु है रीवा में अतिवृष्टि और बाढ़ से निपटने जिला प्रशासन के द्वारा हर वर्ष की तरह 15 जून तक तैयारी पूरी करने के निर्देश दिए गए थे। यह देखने को मिल रहा है कि कुछ देर की तेज बारिश में प्रशासनिक तैयारी व्यवस्था और शहर के विकास की पोल खुल रही है। आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

कुछ देर की तेज बारिश में शहर के विभिन्न इलाकों में कृत्रिम बाढ़ की स्थिति निर्मित हो गई। हर वर्ष आने वाली कृत्रिम बाढ़ के लिए योजनाकार जिम्मेदार हैं। धीमी गति से गिर रहे पानी से खतरा नहीं है। शहर का कैसा विकास हो रहा है कि बमुश्किल आधा घंटे की तेज बारिश में घरों में पानी भरने लगता है।

समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि शहर के कुछ इलाकों में बरसाती पानी की निकासी समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकाले जाने से कृत्रिम बाढ़ की स्थिति बनी रहती है।

श्री खरे ने बताया कि सन 1962 में रीवा में आई बाढ़ प्राकृतिक थी। जबकि सन 1997 , सन 2003 और बाद के वर्षों में रीवा शहर के बीच से बहने वाली बीहर नदी में आई बाढ़ भी कृत्रिम है जो नदी का पानी आगे रोक दिए जाने से शहर के अंदर जलभराव की स्थिति निर्मित होती है।

श्री खरे ने कहा कि कभी-कभी तो यह होता है कि नदी में बाढ़ नहीं लेकिन शहर के अंदर कुछ देर की तेज बारिश में बहुत से घरों में जलभराव की स्थिति निर्मित हो जाती है। शहर के बहुत से स्थानों में घरों के धरातल को नजर अंदाज करते हुए मनमाने तरीके से सड़के ऊंची कर दी गई हैं जिसके चलते बड़ी संख्या में घर काफी नीचे हो गए हैं।

जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने से सड़कें स्टॉप डेम का काम करती हैं और बरसाती पानी घरों में भरता है। जब पानी गिरना बंद हो जाता है तो धीरे-धीरे पानी का स्तर घटने लगता है। पॉश कॉलोनी कहे जाने वाले नेहरू नगर में यह समस्या पुरानी बन चुकी है। शनिवार को रात के समय कुछ देर की तेज बारिश के चलते नेहरू नगर के अनेक घरों में पानी भर गया।

आधे घंटे तेज पानी गिरने पर जिओ पैट्रोल पंप और मिश्रा पेट्रोल पंप के बीच बनी पांच पुलियों से सही तरीके से जल निकासी नहीं हो पाती है। कहने को नेहरू नगर में बड़ी बड़ी नालियां बनाई गईं लेकिन मुख्य सड़क पर पुलिया बनाते समय इस बात को ध्यान में नहीं रखा गया कि बरसात के पानी के हिसाब से उसकी क्षमता क्या होगी ?

काफी दूर से आने वाला बरसाती पानी एक ही रास्ते से बहाया जा रहा है जिससे सही तरीके से जल निकासी नहीं हो पाती और कृत्रिम बाढ़ की स्थिति निर्मित हो जाती है। श्री खरे ने कहा कि बचपन में गणित में हौज भरने और खाली करने की पढ़ाई होती थी लेकिन व्यावहारिक रूप से उस विद्या का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। नेहरू नगर के बरसाती पानी को मात्र पुराने पाल पैलेस के नाले से निकालने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला है।

बरसाती पानी को दूसरे रास्ते से भी निकालने की जरूरत है। इंदिरा नगर का पानी भी पुराने पाल पैलेस की तरफ से बहाया जाता है। पुराने पाल पैलेस की पूरी सड़क को यदि अंडरग्राउंड नाले में बदल दिया जाए तो कुछ राहत मिल सकती है। नेहरू नगर न सिर्फ ऊंचाई पर है बल्कि ढलान भी है। फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

श्री खरे ने कहा कि नए बस स्टैंड की तरफ भी बरसाती पानी की निकासी होना चाहिए। काफी पहले उसी दिशा में पानी जाता था लेकिन अब सड़कें ऊंची होने और फ्लाईओवर बनने के कारण समूचा बरसाती पानी एक ही स्थान से बहाया जा रहा है जिससे समस्या विकराल है।

प्रशासन यदि सूझबूझ से इस मामले को निपटाना चाहे तो निश्चित रूप से समस्या का आसानी से हल निकाला जा सकता है। प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैया के चलते जनसाधारण को हर साल कृत्रिम बाढ़ से जूझना पड़ता है। प्रदेश की मोहन सरकार से अपेक्षा है कि इस मामले को गंभीरता से लेते हुए समस्या का त्वरित निराकरण कराएं।