सरपंच बनी मां तो बेटी को घर से निकाल दिया
रीवा जिले के मनगवां थाना क्षेत्र में महिला के सरपंच बनने के बाद उसकी बेटी के वैवाहिक जीवन में उथल-पुथल मच गई है। ससुराल पक्ष ने बेटी को मायके भेजकर पांच लाख रुपये की मांग की है और विदाई रोक दी है। पीड़िता ने महिला थाने में दहेज प्रताड़ना और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है।

रीवा। एक ओर सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था के तहत उन्हें नेतृत्व की कमान सौंप रही हैं, वहीं दूसरी ओर समाज का एक तबका आज भी इस बदलाव को पचा नहीं पा रहा। ऐसा ही एक मामला रीवा जिले के मनगवां थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक महिला के सरपंच बनने के बाद उसकी विवाहित बेटी का ससुराल बिखरने की कगार पर पहुंच गया है। पीड़िता और उसके मायके पक्ष ने महिला थाने पहुंचकर ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जैसे ही युवती की मां सरपंच बनीं, वैसे ही पति और ससुराल वालों का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। आरोप है कि पति ने पत्नी को मायके भेज दिया और अब विदाई के बदले पांच लाख रुपये की मांग की जा रही है। पीड़िता के पिता रामकृष्ण साकेत ने बताया कि दो वर्ष पूर्व उनकी बेटी का विवाह चित्रकूट जिले के कल्याणगढ़ निवासी सूरज साकेत से हुआ था।
पाँच लाख लेकर आओ तभी विदाई होगी
प्रारंभिक दिनों में सब कुछ सामान्य था। बेटी खुश थी और ससुराल में ठीक से रह रही थी। लेकिन हाल ही में जब पीड़िता की मां सरोज साकेत मढ़ी पंचायत से सरपंच चुनी गईं, तभी से ससुरालवालों का व्यवहार बदलने लगा। परिजनों का आरोप है कि सूरज साकेत ने बेटी को मायके भेजते समय यह कहकर रोका कि अब तुम्हारी मां सरपंच बन गई है, पैसे की कमी नहीं होगी, पाँच लाख लेकर आओ तभी विदाई होगी। उन्होंने कहा कि बार-बार समझाइश देने और बातचीत करने के बाद भी सूरज और उसके परिवार का रुख नहीं बदला। अंततः जब ससुराल से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तब पीड़िता अपने पिता और अन्य परिजनों के साथ महिला थाने पहुंची और पति सूरज साकेत व उसके परिजनों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, मानसिक उत्पीड़न और अवैध मांगों का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत दी। महिला थाना प्रभारी के अनुसार, पीड़िता की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है और जल्द ही संबंधित पक्षों से पूछताछ कर जांच की जाएगी।