#BoycottTurkey: अब होगा हिसाब-किताब
भारत अब केवल मदद नहीं करता, हिसाब भी रखता है। तुर्की की ये एहसान फरामोशी भारत भूलने वाला नहीं। यह बायकॉट सिर्फ व्यापार नहीं, चेतावनी है – भारत की दोस्ती अमूल्य है, लेकिन अगर कोई पीठ पीछे वार करे तो ‘बायकॉट’ उसका पहला जवाब है।

बात है साल 2023 की, फरवरी महीना था. तुर्की विनाशकारी भूकंप की त्रासदी से जूझ रहा था। दुनिया भर के देश अपने-अपने हिसाब से मदद भेज रहे थे, लेकिन भारत ने NDRF की टीम, राहत सामग्री और मेडिकल सपोर्ट के साथ ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत बिना किसी स्वार्थ के तुर्की की ज़मीन पर ज़िंदगी बचाने का काम किया।लेकिन क्या तुर्की ने इस दोस्ती का मान रखा?
पाकिस्तान के साथ खड़े होकर भारत को दी पीठ में छुरी
2025 के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत ने आतंकियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। लेकिन यह बात पाकिस्तान को रास नहीं आई और उसने जवाब में कायरता दिखाई – ड्रोन, मिसाइल और आतंकियों के जरिए भारत पर हमला करने लगा। हैरानी की बात यह रही कि पाकिस्तान के इस घिनौने मंसूबे में उसका साथ दिया तुर्की ने – वही तुर्की जिसे भारत ने विनाश के समय सहारा दिया था। सूत्रों के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को न सिर्फ हथियार मुहैया कराए बल्कि ड्रोनों की सप्लाई के जरिए भारत के खिलाफ सीधा समर्थन भी किया। लेकिन भारत जितनी दोस्ती निभाता है उतनी ही दुश्मनी भी. तुर्की की इस दोहरी चाल से भारत की जनता में जबरदस्त गुस्सा है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है और लोग तुर्की के उत्पादों को न खरीदने की अपील कर रहे हैं। कई जगहों पर व्यापारियों ने तुर्की से आयातित सामानों, खासकर फलों और मार्बल का बहिष्कार शुरू कर दिया है।
फल विक्रेताओं ने लिया बड़ा फैसला
गाजियाबाद के साहिबाबाद में फल विक्रेताओं ने IANS से बातचीत में साफ कहा कि वे अब तुर्की के सेब या किसी भी अन्य उत्पाद का व्यापार नहीं करेंगे। अब से वे हिमाचल या अन्य भारतीय राज्यों से सेब मंगवाएंगे। आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी देश के साथ व्यापारिक रिश्ता नहीं रखा जाएगा – यही संदेश है।
तुर्की को पड़ेगा बड़ा आर्थिक झटका
भारत में हर साल तुर्की से करीब 1,000 से 1,200 करोड़ रुपए के सेब आयात होते हैं। इसके अलावा, तुर्की का मार्बल भी भारत में काफी लोकप्रिय था, लेकिन अब देश के मार्बल व्यापारी भी इसके आयात का बायकॉट कर रहे हैं। यह आर्थिक चोट तुर्की को लंबे समय तक महसूस होगी। केवल व्यापार ही नहीं, तुर्की का पर्यटन उद्योग भी भारत की नाराजगी की चपेट में आ गया है। कई भारतीय पर्यटकों ने तुर्की यात्रा की अपनी योजनाएं रद्द कर दी हैं। एजेंसियों की बुकिंग पर असर पड़ा है और सोशल मीडिया पर लोग तुर्की की जगह भारत के ही सुंदर पर्यटन स्थलों को चुनने की बात कर रहे हैं।