मौत के साए में खड़ा था परिवार.. फरिश्ता बनकर पहुंची पुलिस, जान पर खेलकर बचाई 3 जिंदगियां

शहडोल जिले के बुढार थाना क्षेत्र में हुई घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही समय पर पहुंची पुलिस किसी भी बड़ी त्रासदी को टाल सकती है. यहां प्रेम विवाह को लेकर शुरू हुआ विवाद मौत का तांडव बनने वाला था, और उसके पहले ही बुढार पुलिस ने ऐन वक्त पर आकर तीन जिंदगियों को बचा लिया.

मौत के साए में खड़ा था परिवार.. फरिश्ता बनकर पहुंची पुलिस, जान पर खेलकर बचाई 3 जिंदगियां

शहडोल से सूरज श्रीवास्तव की रिपोर्ट

शहडोल जिले के बुढार थाना क्षेत्र में हुई घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सही समय पर पहुंची पुलिस किसी भी बड़ी त्रासदी को टाल सकती है. यहां प्रेम विवाह को लेकर शुरू हुआ विवाद मौत का तांडव बनने वाला था, और उसके पहले ही बुढार पुलिस ने ऐन वक्त पर आकर तीन जिंदगियों को उस अंधे मोड़ से खींचकर बाहर निकाल लिया, जहां अगला कदम सिर्फ और सिर्फ मौत थी, जाबाज दो पुलिसकर्मियों की बहादुरी और तत्परता को देखते हुए शहडोल एसपी रामजी श्रीवास्तव ने दोनों सुरक्षा कर्मियों को नकद पुरस्कार और सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया.

दरअसल, जिले के जैतपुर थाना क्षेत्र के ग्राम शाही में अनिल केवट प्रेम विवाह के बाद अपनी पत्नी काजल को लेने ससुराल पहुंचा था, लेकिन नाराज मायके पक्ष का गुस्सा हिंसा में बदल चुका था, अनिल को बिजली के पोल से बांधकर बेरहमी से पीटा जा रहा था, उसी समय उसके पिता को कमरे में बंदकर पेट्रोल छिड़ककर जिंदा जलाने की तैयारी हो रही थी, इतना ही नहीं घर के दूसरे कोने में अनिल का भाई दिनेश खून से लथपथ बेहोशी की हालत में पड़ा था, गांव में खौफ की हवा फैल चुकी थी, तभी बुढार थाने के आरक्षक आशीष तिवारी और डायल- 112 के पायलट रवि गुप्ता मौके पर पहुंचे, उन्होंने बिना एक पल गंवाए हालात पर नियंत्रण किया, भीड़ को हटाया और तीनों को सुरक्षित बाहर निकाला, पिता को आग के मुहाने से बचाया, अनिल को पोल से मुक्त कराया और गंभीर रूप से घायल दिनेश को तुरंत उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाया.

वहीं अब आरक्षक आशीष तिवारी और डायल- 112 के पायलट रवि गुप्ता की बहादुरी के चर्चे चारों तरह हो रहे हैं. उनकी बहादुरी और तत्परता को देखते हुए शहडोल एसपी रामजी श्रीवास्तव ने दोनों को नकद पुरस्कार और सम्मान–पत्र देकर सम्मानित किया.