राष्ट्रपति ने मंजूर किया धनखड़ का इस्तीफा, फेयरवेल में भी शामिल नहीं होंगे पूर्व उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया है. राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने ये जानकारी दी है. राज्यसभा के उपसभापति और JDU सांसद हरिवंश ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात भी की.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया है. राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने ये जानकारी दी है. राज्यसभा के उपसभापति और JDU सांसद हरिवंश ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात भी की.
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद सांसद हरिवंश नारायण सिंह को राज्यसभा का कार्यवाहक सभापति बनाया गया है. नई नियुक्ति होने तक वो जिम्मेदारी संभालेंगे.
हरिवंश ने ही आज जगदीप धनखड़ की जगह, राज्यसभा की कार्यवाही शुरू की थी. धनखड़ आज सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए थे. इससे पहले खबर आई थी कि धनखड़ विदाई समारोह में भी शामिल नहीं होंगे. PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं धनखड़ के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं.
जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया. 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था. उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, 'ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा.'
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने सियासत गर्म कर दी है. विपक्ष उनके इस्तीफे को पार्टी की कलह बता रहा है. लेकिन उनका कहना है कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने इस्तीफा दिया है.
जगदीप धनखड़ देश के 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था. जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था. ये महाभियोग प्रस्ताव दिसंबर 2024 में लाया गया था.
विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है. विपक्ष का दावा था कि वो सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं. धनखड़ के पिछले कार्यकाल को देखें तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा होते नहीं देख पाए. एक बार विधायक के तौर पर उनके पांच साल एकमात्र अपवाद है.