विदिशा जिले में शुरू हुई ई-टोकन उर्वरक वितरण व्यवस्था, किसानों को मिल रही बड़ी सुविधा
किसानों को खाद वितरण में पारदर्शिता और सुविधा के उद्देश्य से विदिशा में ई-टोकन उर्वरक वितरण व्यवस्था के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है.
किसानों को खाद वितरण में पारदर्शिता और सुविधा के उद्देश्य से विदिशा में ई-टोकन उर्वरक वितरण व्यवस्था के पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना गया है. यह नई प्रणाली जिले में 6 अक्टूबर 2025 से शुरू की गई है.
इस व्यवस्था के तहत अब किसान अपनी फार्मर आईडी (जो आधार से जुड़ी है) के माध्यम से मोबाइल ऐप या पोर्टल से ऑनलाइन टोकन बुक कर अपने नजदीकी रिटेलर पॉइंट से उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। इससे किसानों को लाइन में लगने की परेशानी से मुक्ति मिल रही है और उन्हें उनकी पात्रता अनुसार आसानी से खाद उपलब्ध हो रही है।
जिले में इस प्रणाली की शुरुआत से अब तक 72,491 टोकन भूस्वामियों द्वारा जारी किए गए हैं, जिनमें से 59,979 टोकन के माध्यम से किसानों को उर्वरक सुगमता से उपलब्ध कराया गया है.
पिछले एक माह में जिले में वितरित उर्वरकों का विवरण इस प्रकार है —
डीएपी: कुल 11,657 मीट्रिक टन में से 7,676 मीट्रिक टन ई-टोकन से वितरित, यूरिया: कुल 15,363 मीट्रिक टन में से 13,384 मीट्रिक टन ई-टोकन से वितरित, एनपीके: कुल 4,831 मीट्रिक टन में से 3,167 मीट्रिक टन ई-टोकन से वितरित. इस प्रकार, केवल एक माह में जिले में कुल 24,227 मीट्रिक टन उर्वरक ई-टोकन प्रणाली के माध्यम से सफलतापूर्वक वितरित किया गया है.
जिला प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन किसानों की फार्मर आईडी अभी नहीं बनी है, या जिनके भू-अभिलेख अधूरे हैं, अथवा पट्टाधारी, कोटवार या ट्रस्ट भूमि पर खेती करने वाले किसान हैं, उन्हें भी उर्वरक प्राप्त करने में कठिनाई न हो. इसके लिए समानांतर रूप से ऑफलाइन वितरण व्यवस्था भी संचालित की जा रही है. वर्तमान में यह व्यवस्था 323 रिटेलर प्वाइंट्स पर सफलतापूर्वक संचालित हो रही है. विदिशा जिले के किसानों ने इस डिजिटल सुविधा को सहर्ष स्वीकार किया है और इसे बड़ी संख्या में उपयोग में ला रहे हैं.
प्रशासन का कहना है कि यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है तो आने वाले समय में हर किसान को उसकी मांग के अनुरूप आसानी से और समय पर खाद उपलब्ध कराई जा सकेगी, जिससे लाइन में लगने की समस्या समाप्त होगी. विदिशा के किसानों के सहयोग और प्रशासन के प्रयासों से यह पहल जिले में डिजिटल कृषि सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है.
shivendra 
