भ्रष्टाचार करने वाले सरपंच, सचिव और इंजीनियरों से होगी वसूली

मऊगंज जिले की जिलहड़ी ग्राम पंचायत में हुए 68 लाख रुपए के भ्रष्टाचार की सच्चाई आखिरकार सामने आ गई है। कोर्ट के दबाव के बाद कलेक्टर ने सभी जिम्मेदारों से वसूली का आदेश जारी कर दिया है।

भ्रष्टाचार करने वाले सरपंच, सचिव और इंजीनियरों से होगी वसूली

मऊगंज जिले की नईगढ़ी जनपद की ग्राम पंचायत जिलहड़ी में हुए 68 लाख रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में अब बड़ी कार्रवाई हुई है। इसमें मऊगंज कलेक्टर संजय जैन ने सरपंच, सचिव और इंजीनियरों से 68 लाख 43 हजार 836 रुपए की वसूली का ऑर्डर जारी कर दिया हैं।

जानिए मामला क्या है?

ग्राम पंचायत जिलहड़ी में PCC सड़क, पुलिया, खेत, तालाब, आंगनबाड़ी भवन, टॉयलेट और ग्रेवल सड़क जैसे 28 कन्स्ट्रक्शन के कामो में गड़बड़ी की शिकायत हुई थी। पहली जांच में अधिकारियों को 68 लाख से ज्यादा के फ्रॉड का पता चला था । लेकिन बाद में भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए फिर दूसरी जांच कराई गई और हेरफेर कर पैसा घटाकर सिर्फ 56 हजार रुपए बता दिया गया। 

सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी

इसके बाद इस गड़बड़ी के खिलाफ सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी और गांव के बाकी लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने कलेक्टर को 90 दिनों में कार्रवाई करने का आर्डर दिया था। फिर जब कार्रवाई नहीं हुई, तब अवमानना याचिका दायर की गई।

अब कोर्ट के कहने के बाद कलेक्टर ने पहली जांच रिपोर्ट को सही मानते हुए पूरी 68 लाख की वसूली का आदेश दे दिया है।

किनसे होगी वसूली?

₹22,57,483 की वसूली उस समय रही सरपंच पूनम सिंह से वहीं उस समय पर पदस्थ सचिव सत्येंद्र वर्मा से ₹14,59,378 की वसूली साथ ही तत्कालीन सचिव नवल किशोर जायसवाल से ₹7,98,112 की वसूली की जाएगी।

इनके अलावा उस समय सहायक यंत्री के पद पर मौजूद जगदीश राजपूत से ₹8,08,337 की वसूली, उस समय उपयंत्री के पद पर रहे प्रवीण पाण्डेय से  ₹14,92,120 की वसूली और तत्कालीन सरपंच सुशीला साहू से ₹28,416 की राशि वसूली जाएगी 

क्या बोले कलेक्टर?

कलेक्टर संजय जैन ने कहा कि जांच में स्पष्ट हुआ है कि ग्राम पंचायत जिलहड़ी में पैसों का हेरफेर और भ्रष्टाचार हुआ था। इसलिए 68 लाख से ज्यादा की राशि को वसूलने का आदेश जारी किया गया है ताकि पब्लिक का पैसा वापस सरकारी खाते में आए।

मऊगंज कलेक्टर संजय जैन

क्या बोले शिकायतकर्ता?

सोशल एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने बताया कि जब प्रशासन ने भ्रष्टाचारियों को बचाने की कोशिश की, तब उन्हें हाईकोर्ट का सहारा लेना पड़ा। कोर्ट के ऑर्डर के बाद अब सच्चाई सामने आई है और दोषियों से वसूली की कार्रवाई शुरू हो गई है।