मऊगंज के सरकारी स्कूल की चौंकाने वाली तस्वीर, खाने के बाद खुद थाली साफ करते हैं बच्चे

स्कूलों में शासन के सुविधाओं की खुली पोल, निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का नहीं हुआ वितरण,खाली बस्ता लेकर स्कूल आते हैं छात्र

मऊगंज के सरकारी स्कूल की चौंकाने वाली तस्वीर, खाने के बाद खुद थाली साफ करते हैं बच्चे

राजेंद्र पयासी-मऊगंज

सरकार द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए अकूत राशि खर्च की जा रही है लेकिन सिस्टम के खेल में शासन द्वारा प्रदान की जा रही सुविधा सरकारी स्कूलों में अध्यनरत बच्चों को नहीं मिल पा रही।

कुछ इसी तरह का चौंकाने वाला मामला नवगठित मऊगंज जिले के हनुमना विकास खंड अंतर्गत आने वाले अदवांचल क्षेत्र से एक सरकारी स्कूल में देखने को मिला। जहां हनुमना विकासखंड के इस विद्यालय में बच्चों को भोजन करने के बाद बर्तन धोने पड़ते हैं।

प्रशासनिक जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण शिक्षा के अधिकार के तहत स्कूल आने वाले बच्चों को नियमित रूप से मध्यान भोजन देने के तौर तरीके पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए शासन द्वारा निशुल्क पाठ्य पुस्तक से लेकर हर सुविधा प्रदान करने के कार्य योजना है लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में मिड डे मील ग्रहण करने के बाद नौनिहालों को बर्तन धोने पर विबस किया जा रहा है।

 सरकारी सुविधाओं की पोल खोलती  तस्वीरें  हनुमना विकासखंड अंतर्गत आने वाले नकवार स्कूल में देखने को मिली जहां सरकार द्वारा छात्र-छात्राओं के लिए हर सुविधा प्रदान की गई है लेकिन स्कूल प्रशासन एवं विकासखंड में पदस्थ अधिकारी कर्मचारी सरकार की योजनाओं पर पानी फेरने पर आमदा है।

पब्लिक वाणी ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान पाया गया कि सरकार द्वारा प्रदान की गई मूलभूत सुविधाएं विद्यालय में अध्यनरत बच्चों को नहीं मिल रही है। शासन की योजनाओं का लाभ बच्चों को ना मिल पाने से साफ जाहिर होता है कि जिम्मेदार अधिकारी आफिस में बैठकर निरीक्षण टीप लगा रहे हैं तो वहीं पदस्थ शिक्षक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।

इन जिम्मेदारों द्वारा एक तरफ जहां विद्यार्थियों को मिलने वाली शासकीय योजनाओं में पलीता लगाया जा रहा है वही विद्यालयों में अध्यनरत बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

खाली बस्ता लेकर स्कूल आते हैं छात्र-

हनुमना विकासखंड के जन शिक्षा केंद्र पिपराही अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय नकवार में देखने को मिला जहां 12 जुलाई तक किसी भी छात्र को शासन द्वारा प्रदाय की जाने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तक का वितरण नहीं किया गया है पाठ्य पुस्तकों का वितरण न किए जाने के कारण खाली बैग लेकर बच्चे स्कूल पहुंचते हैं.

इस विषय को लेकर बच्चों ने पब्लिक वाणी टीम को बताया मास्टर साहब पुस्तक नहीं दिए तो क्या करूं ? हम लोग स्कूल आते हैं बिना किताब के बैठे रहते हैं दोपहर का भोजन करने के बाद अपने-अपने घर लौट जाते हैं। बच्चों की बातों में कितनी सच्चाई है यह तो जांच उपरांत ही पता चलेगा लेकिन जो हकीकत देखने को मिली उसके अनुसार विद्यालय के एक कमरे में निशुल्क पाठ्य पुस्तकें रखी देखी गई।

इस विषय में पदस्थ शिक्षकों ने कहा जल्द ही बच्चों को पुस्तक बांट दी जाएगी। बच्चों को पुस्तक नहीं मिली खाली बस्ता लेकर बच्चे स्कूल आते हैं शायद जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता के साथ जानकारी लेना उचित नहीं समझे। उधर सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि पाठ्य पुस्तक वितरण का विभाग के जिम्मेदारों के गैर जिम्मेदार आना कार्य के चलते पुस्तक वितरण का लेखा-जोखा वरिष्ठ कार्यालय को चला गया है।

जिम्मेदार सीएससी एवं बीआरसीसी तथा विकासखंड शिक्षा अधिकारी एक निश्चित स्थान पर बैठकर यह पुष्ट कर दिए की निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण हो गया जबकि जमीनी हकीकत कुछ और है। ऐसे प्रश्न है जो शिक्षा विभाग में चल रहे खेल की पोल खोलते हैं और जिम्मेदारों द्वारा बरती जा रही अनियमितता और गैर जिम्मेदाराना कार्य से साबित होता है कि सब कुछ कागज में चल रहा है। 

गैस सिलेंडर की जगह लकड़ी कंडे से पकता है मध्यान भोजन-

शासन की योजना अनुसार धुएं से मुक्ति हेतु मध्यान भोजन व्यवस्था संचालन में सहभागिता निभाने वाली रसोइयों को भोजन बनाने के लिए गैस सिलेंडर की व्यवस्था की गई है लेकिन हनुमना विकासखंड अंतर्गत नकवार विद्यालय सहित कई विद्यालयों में देखने को मिला कि मध्यान भोजन व्यवस्था के नाम पर लिया गया गैस सिलेंडर स्कूल से गायब है और मध्यान भोजन बनाने वाली रसोइयां लकड़ी कंडे से भोजन पकाती है.

इस विषय में मध्यान भोजन पकाने वाली रसोइयों ने बताया कि कई वर्ष पहले देखा था कि स्कूल में गैस सिलेंडर आया लेकिन उसके बाद कहां गया आज तक पता नहीं चला। हम लोग तो सिर्फ लकड़ी और कंडे में ही मध्यान भोजन पकाते हैं।

शासन के आदेश की खुलेआम अवहेलना-

स्थानीय प्रशासनिक जिम्मेदारों द्वारा समय-समय पर जांच न किए जाने एवं पदस्थ कर्मचारियों द्वारा शासन के आदेश की अनदेखी किए जाने के कारण सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं में खुले आम पलीता लगाया जा रहा है।

सरकार के आदेशानुसार स्कूलों में मध्यान भोजन का संचालन समूह को सौपा गया है जिनको भोजन परोसने के साथ बर्तन की सफाई की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है लेकिन देखा यह जा रहा है कि नियमों को ताक में रखकर समूह संचालक और स्कूल प्रशासन मासूम बच्चों को बर्तन धोने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

उधर शासन द्वारा प्रदाय की जाने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण समय पर ना किया जाना एवं अन्य योजनाओं का लाभ बच्चों को ना मिल पाना यह साबित करता है कि जिम्मेदारों द्वारा शासन के आदेश की खुलेआम अहेलना की जा रही है देखना अब यह होगा कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा हीला-हवाली करने वाले जिम्मेदारों पर कार्यवाही की जाती है या फिर सब कुछ पुराने ढर्रे पर चलता रहेगा।

 जनपद शिक्षा केंद्र हनुमना-

मध्यान भोजन उपरांत बच्चों से थाली धुलवाना पूर्ण रूपेण गलत है। जनपद शिक्षा केंद्र हनुमना से जो जानकारी प्रदान की गई है उसके अनुसार निशुल्क पाठ्य पुस्तकों का वितरण हो चुका है यदि बच्चों को आज तक निशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरित नहीं की गई तो इस विषय की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।