उज्जैन लैंड पूलिंग योजना पूरी तरह रद्द, किसान आंदोलन के दबाव में सरकार का बड़ा फैसला

उज्जैन में प्रस्तावित लैंड पूलिंग नीति को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए इसे पूरी तरह निरस्त कर दिया है।

उज्जैन लैंड पूलिंग योजना पूरी तरह रद्द, किसान आंदोलन के दबाव में सरकार का बड़ा फैसला

उज्जैन में प्रस्तावित लैंड पूलिंग नीति को लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए इसे पूरी तरह निरस्त कर दिया है। किसान संगठनों के कड़े विरोध और आंदोलन की चेतावनी के बाद शासन ने उज्जैन विकास प्राधिकरण (यूडीए) की सिंहस्थ लैंड पूलिंग योजना के तहत प्रस्तावित नगर विकास स्कीम क्रमांक 8, 9, 10 और 11 को जनहित में वापस ले लिया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने इससे जुड़े पूर्व संशोधनों को भी रद्द कर दिया है और आदेश को राजपत्र (गजट) में प्रकाशित कर दिया गया है।

यह निर्णय भारतीय किसान संघ द्वारा 26 दिसंबर से उज्जैन में ‘घेरा डालो–डेरा डालो’ आंदोलन की घोषणा के बाद लिया गया। किसान संघ ने साफ कर दिया था कि जब तक लैंड पूलिंग नीति को पूरी तरह निरस्त करने का लिखित आदेश जारी नहीं होता, तब तक किसी तरह की बातचीत नहीं होगी। आंदोलन की घोषणा के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच टकराव की स्थिति लगातार गहराती जा रही थी।

दरअसल, सिंहस्थ कुंभ मेला 2028 की तैयारियों के तहत उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों में दीर्घकालिक शहरी विकास के लिए लैंड पूलिंग के जरिए किसानों की जमीन विकसित करने का प्रस्ताव था। इस योजना के तहत सड़क, सीवर, ड्रेनेज, बिजली और पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं के साथ स्थायी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाना था। लेकिन जमीन के अधिग्रहण और पुनर्विकास को लेकर किसानों में भारी असंतोष था।

योजना के अनुसार, किसानों से ली गई जमीन को विकसित करने के बाद उसका एक हिस्सा कम क्षेत्रफल में लेकिन अधिक मूल्य के रूप में किसानों को लौटाया जाना था। शेष भूमि का उपयोग शहरी विकास के लिए किया जाना प्रस्तावित था। किसानों का आरोप था कि इस पूरी प्रक्रिया में उनकी सहमति और अधिकारों को लेकर कोई ठोस कानूनी भरोसा नहीं दिया गया। उन्हें आशंका थी कि एक बार जमीन लैंड पूलिंग में चली गई तो उस पर उनका स्थायी नियंत्रण कमजोर हो जाएगा।

किसान संगठनों का यह भी कहना था कि सिंहस्थ कुंभ एक अस्थायी आयोजन है, लेकिन इसके नाम पर जमीन को लेकर स्थायी योजनाएं बनाई जा रही थीं, जो किसानों के भविष्य के लिए नुकसानदेह हैं। कई जगह किसानों की स्पष्ट सहमति के बिना योजना लागू करने की तैयारी के आरोप भी लगाए गए।

इस बीच उज्जैन उत्तर से भाजपा विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा ने भी अपनी ही सरकार के फैसले पर असहमति जताई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर लैंड पूलिंग योजना को किसानों के हित में नहीं बताते हुए इसे तत्काल निरस्त करने की मांग की थी। विधायक ने कहा था कि यदि योजना वापस नहीं ली गई तो वे स्वयं किसानों के समर्थन में आंदोलन में शामिल होंगे। उनके इस रुख से भाजपा के भीतर भी इस मुद्दे पर मतभेद सामने आए थे।