एक्टर विजय की रैली में भगदड़, 39 की मौत! प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल
तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की रैली में मची भगदड़ में 39 लोगों की जान गई है.. प्रशासन का कहना यह है कि जितनी भीड़ की उम्मीद जताई गई थी.
तमिलनाडु के करूर में एक्टर विजय की रैली में मची भगदड़ में 39 लोगों की जान गई है.. प्रशासन का कहना यह है कि जितनी भीड़ की उम्मीद जताई गई थी. उससे कहीं ज्यादा भीड़ एक्टर विजय की रैली में पहुंच गई थी,,, जिससे हालात बेकाबू होते चले गए. सवाल प्रशासन पर उठ रहे हैं.. कि आखिर रैली में उमड़ी भीड़ को कंट्रोल करने के लिए इंतजाम क्यों नहीं किए गए थे?
एक्टर विजय की पार्टी TVK के समर्थक उनकी झलक पाने को बेताब थे. इसी रैली में एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ जो कई लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ गया... टीबीके की रैली में उस खौफनाक भगदड़ के बाद अब चीख पुकार है,,, चारों तरफ मातम पसरा है.. कई सवाल हैं उठ रहे हैं...यहां 10,000 की भीड़ की जगह थी. भीड़ पहुंची करीब 50 हजार...कार्यक्रम था दोपहर 12:00 बजे, एक्टर विजय पहुंचे, करीब 7 घंटे बाद, तमिलनाडु के करूर में यह बड़ी रैली थी.. फिर भी अपेक्षाकृत छोटी सी जगह में प्रशासन ने इसकी परमीशन दी. सवाल आयोजन पर है. सवाल सरकार पर है. और सवाल सियासत पर है.
एक्टर विजय ने हादसे के एक हफ्ते पहले ही प्रशासन की मनमानी पर सवाल उठाए थे और पूछा था कि प्रशासन रैली के लिए संकरी जगह क्यों चुनता है. 21 सितंबर को नागापट्टनम में रैली को संबोधित कर रहे विजय ने कहा था, कि हमने प्रशासन से बड़ी जगह रैली के लिए मांगी थी...जहां लोग आजादी और शांति से खड़े होकर कार्यक्रम देख सकें. लेकिन प्रशासन ने हमें संकरी जगह दी जहां लोग ठसाठस भरे हों...और सवाल किया कि प्रशासन आखिर चहता क्या है.... वहीं करूर हादसे को लेकर पुलिस कह रही है कि रैली में 10, हजार की भीड़ की उम्मीद थी और वहां कई गुना ज्यादा भीड़ पहुंच गई...
रैली में एक्टर विजय को दोपहर 12:00 बजे ही पहुंचना था. लेकिन वह 7 घंटे बाद पहुंचे तब तक भीड़ उनका इंतजार करती रही.. उनकी बस जब रैली स्थल पर पहुंची तो अफरातफरी मच गई.. थोड़ी सी जगह में अथाह भीड़ से हालात आउट ऑफ कंट्रोल हो गए... उसी दौरान एक बच्ची के गुम होने की खबर आई... खुद विजय ने बच्ची को खोजने की अपील की... देखते ही देखते वहां भगदड़ शुरू हो गई... कई लोग जमीन पर गिर गए.. वे भीड़ के पैरों तले दब गए और बड़ी संख्या में लोगों की जान चली गई...
हादसे के बाद अब जगह की परमिशन को लेकर सियासत होगी बयानबाजी होगी, एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जाएंगे... लेकिन बेकसूरों का क्या जिनकी जाने गई है,, जिनके परिवार के सदस्यों की मौत हुई है...और सवाल आम लोगों से भी है, जाने कितनी ऐसी घटनाएं होती हैं. जहां आम लोगों की भगदड़ में मौत होती है, फिर भी लोग रैलियों में भारी संख्या में जाते हैं. आपको अपनी सुरक्षा के लिए सचेत होना होगा, क्योंकि इन नेताओं के लिए आप बस संख्या है... लेकिन अपने परिवार के लिए आप उनके जिने का सहारा हैं...
shivendra 
