रीवा में रिद्धि सिद्धि संग आज पधारेंगे बप्पा, घरों और पंडालों में विराजेंगे प्रथम पूज्य श्रीगणेश

रीवा जिले में 27 अगस्त से 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो गई है। शहर में जगह-जगह पंडाल सजे हैं और भक्त गणपति स्थापना में जुटे हैं। इस बार शुभ योग बनने से पूजा और खरीदारी दोनों के लिए यह पर्व विशेष फलदायी माना जा रहा है। सुरक्षा और सफाई के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।

रीवा में रिद्धि सिद्धि संग आज पधारेंगे बप्पा, घरों और पंडालों में विराजेंगे प्रथम पूज्य श्रीगणेश

रीवा । जिले में आज से 10 दिवसीय गणेशोत्सव का भव्य आरंभ होने जा रहा है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बुधवार को गणपति बाप्पा के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हैं। धार्मिक आस्था और उत्सव की उमंग से सराबोर रीवा शहर में पंडालों की सजावट से लेकर घर-घर गणेश स्थापना की तैयारियों में श्रद्धालु जुटे हुए हैं।

बाजारों में गणेश प्रतिमाओं की खरीदारी को लेकर रौनक चरम पर है। पंडितों और धर्मशास्त्रों के अनुसार इस वर्ष गणेश चतुर्थी का पर्व आज 27 अगस्त को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि का मध्यान्ह काल दोपहर 10:49 बजे से 1:21 बजे तक है, जो कि स्थापना के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

शाम को भी पूजा-अर्चना का एक विशेष मुहूर्त रात्रि 7:50 से 10:40 बजे तक बताया जा रहा है। इसी काल में हजारों श्रद्धालु अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में गणपति की विधिवत स्थापना करेंगे। स्थानीय ज्योतिषाचार्य पं. नागेंद्र शास्त्री बताते हैं कि गणेश स्थापना का यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि सांस्कृतिक एकता और सामाजिक समरसता का प्रतीक बन चुका है।

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उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि गणपति की स्थापना मिट्टी से बनी प्रतिमाओं से ही करें। मिट्टी की मूर्तियां पंचतत्वों से जुड़ी होती हैं और पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से भी उचित मानी जाती हैं।

क्यों चढ़ाए जाते हैं 21 मोदक और दूर्वा 

गणेश पूजन की परंपरा में 21 की संख्या का विशेष स्थान है। पूजा के दौरान भगवान गणेश को 21 मोदक, 21 दूर्वा, तथा 21 लड्डुओं का नैवेद्य अर्पित किया जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यह संख्या उनके 21 अवतारों और 21 शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। सिंदूर, चंदन, पुष्प, अक्षत, नैवेद्य सहित पंचोपचार विधि से भगवान गणेश की आराधना की जाती है।

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सड़कें गुलजार, मूर्तिकारों को मिला सम्मान

गणेशोत्सव को लेकर शहर की प्रमुख सड़कें सज-धज कर तैयार हैं। नगर निगम द्वारा सफाई और विद्युत सज्जा की विशेष व्यवस्था की गई है। शहर के कलाकारों और मूर्तिकारों ने इस बार पारंपरिक के साथ आधुनिक शैली की मूर्तियां तैयार की हैं, जो भक्तों को आकर्षित कर रही हैं। 

गणपति बाप्पा मोरया की गूंज से गूंजेगा रीवा

आज 27 अगस्त से शुरू होकर यह उत्सव 6 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होगा। इन 10 दिनों तक शहर के विभिन्न हिस्सों में आरती, भजन संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामूहिक प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा।

सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने खास इंतजाम किए हैं। जगह-जगह पुलिस बल तैनात रहेगा और प्रमुख चौराहों पर सीसीटीवी की निगरानी भी की जाएगी।

गणेश चतुर्थी की पूजन विधि

स्नान के बाद जिस स्थल पर प्रतिमा विराजित करनी है, उसे गंगाजल डालकर साफ करना चाहिए,भगवान गणेश की प्रतिमा को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित की जानी चाहिए. धूप दीप और अगरबत्ती जलाएं, ध्यान रखें, जब तक गणेश जी आपके घर में रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाकर रखें. गणेश जी के मस्तक पर कुमकुम का तिलक लगाएं फिर चावल दूर्वा-घास और पुष्प अर्पित करें.

गणेशजी का स्मरण कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें. इसके बाद ओम गं गणपते नमः का जप करें,भगवान गणेश की आरती करें, आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई का भोग लगाएं। संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं क्योंकि भगवान गणेश को मोदक प्रिय है।

गणेश जी को जब तक अपने घर या पंडाल में रखें उन्हें अकेला ना छोड़े, कोई ना कोई व्यक्ति हर समय गणेश जी की प्रतिमा के पास रहें। 

कारोबार के लिए विशेष फलदायी

गणेश उत्सव से त्योहारी सीजन का भी प्रारंभ होता है। इस बार गणेश स्थापना के समय सुखद संयोग बन रहा है। 22 साल बाद दिन बुधवार, प्रीति योग, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ही सूर्य (रवि) के साथ इंद्र-ब्रह्म योग कल्याणकारी है।

कर्क राशि में बुध और शुक्र का संयोग बनने से लक्ष्मी-नारायण योग बन रहा है, जो समृद्धि, धन और पारिवारिक जीवन के सुख का प्रतीक है । सोना-चांदी के जेवर से लेकर गाड़ी, मोटर, मकान, जमीन की खरीदारी फलदायी होगी।