उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल: मध्यप्रदेश मातृ-शिशु स्वास्थ्य सूचकांकों में सतत सुधार की राह पर
मध्यप्रदेश ने मातृ व शिशु स्वास्थ्य सूचकांकों में उल्लेखनीय सुधार किया है। सरकार 2030 तक मृत्यु दरों में और कमी लाने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है।
5 सितम्बर 2025 को प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने भोपाल में कहा की मध्यप्रदेश मातृ-शिशु स्वास्थ्य सूचकांकों में सतत सुधार कर रहा है। SRS रिपोर्ट में स्वास्थ्य सूचकांकों में मध्यप्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की हैं। उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा है कि स्वास्थ्य विभाग के केन्द्रित एवं समन्वित प्रयास अब ठोस परिणाम दे रहे हैं। मध्यप्रदेश मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में सही मार्ग पर है। हम स्वास्थ्य अधोसंरचना के सुदृढ़ीकरण, मैनपावर की वृद्धि, बेहतर लक्ष्यीकरण, सतत् मॉनिटरिंग और ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान के माध्यम से आगामी वर्षों में देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में आने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।

उन्होंने आगे कहा कि-
"सैम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2023 की रिपोर्ट में प्रदेश ने उल्लेखनीय सुधार दर्ज कि हैं—मातृ मृत्यु दर 159 से घटकर 142, नवजात मृत्यु दर 29 से घटकर 27, शिशु मृत्यु दर 40 से घटकर 37 और 5 वर्ष से कम आयु बाल मृत्यु दर (यू5 एमआर) 49 से घटकर 44 हो गई है। ये आंकड़े सकारात्मक संकेत हैं कि हमारे प्रयास सही दिशा में हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि-
"यह उपलब्धि प्रदेश की स्वास्थ्य टीम की अथक मेहनत का परिणाम है। आशा कार्यकर्ता, एएनएम, सीएचओ, नर्स, डॉक्टर, विशेषज्ञ, प्रशासक और नीति निर्धारक सभी ने मिलकर निरंतर कार्य किया है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि यह सफलता आगे बढ़ने की प्रेरणा है। सतत प्रयास, वैज्ञानिक योजना और जनभागीदारी के माध्यम से मध्यप्रदेश वर्ष 2030 तक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध है।"

मातृ शिशु संजीवन मिशन
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 7 अप्रैल 2025 को मातृ शिशु संजीवन मिशन और अनमोल 2.0 पोर्टल का शुभारंभ इसी दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मातृ-शिशु संजीवन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 80 प्रति लाख, नवजात मृत्यु दर को 10 प्रति हजार से कम और शिशु मृत्यु दर को 20 प्रति हजार से कम करने का लक्ष्य रखा गया है। अनमोल 2.0 और E- PMSMA जैसे डिजिटल टूल्स के माध्यम से हाई रिस्क गर्भावस्थाओं की समय पर पहचान और प्रबंधन किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच हर माह की 9 और 25 तारीख को की जा रही है तथा पोषण किट, आयरन सप्लीमेंट और आवश्यक इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। चिन्हित अस्पतालों को FRU के रूप में सक्रिय कर HDU/ ICU/ SNCU/ NBSU को अत्याधुनिक उपकरणों से तैयार किया गया है।

मातृ-शिशु संजीवन मिशन के साथ-साथ CHC और PHC को सुदृढ़ बनाने, टेलीमेडिसिन के माध्यम से विशेषज्ञ सेवाएं उपलब्ध कराने, हाई रिस्क प्रेग्नेंसी (HRP) की पहचान और समय पर देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मुस्कान और लक्ष्य कार्यक्रमों से गुणवत्ता सुनिश्चित की जा रही है तथा ई-रूपी और “यू कोट वी पे” योजनाओं के तहत सोनोग्राफी और एनेस्थीसिया सेवाएँ सुलभ हुई हैं।

