SGMH रीवा में मरीजों की भारी भीड़, एक बेड पर तीन-तीन बच्चे

रीवा के संजय गांधी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों की संख्या में अचानक उछाल आया है। सिर्फ सोमवार को 3858 मरीज ओपीडी में पहुंचे। वायरल बुखार, मलेरिया, टाइफाइड और जलजनित रोगों के मामले बढ़ रहे हैं।

SGMH रीवा में मरीजों की भारी भीड़, एक बेड पर तीन-तीन बच्चे

नवरात्र के समापन के बाद मौसम में बदलाव शुरू हो गया है उमस भरी गर्मी धीरे-धीरे रवाना हो रही है और साथ ही हल्की-हल्की ठंड अब महसूस होना प्रारंभ हो गई है इसी के साथ मेडिकल कॉलेज के संजय गांधी अस्पताल में मरीजों की भीड़ फिर बढ़ गई है

बीते सोमवार को महज एक दिन में 3858 मरीज ओपीडी में पहुंचे, जिससे न सिर्फ डॉक्टरों पर दबाव बढ़ा बल्कि अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराने लगीं। जहां पर्व के दौरान पूजा-पाठ में डूबे लोगों ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दी, वहीं अब त्योहार खत्म होते ही बीमारियों की गंभीर तस्वीर सामने आ रही है।

मौसम के उतार-चढ़ाव और हालिया बारिश के कारण वायरल बुखार, मलेरिया, टाइफाइड और जलजनित रोगों के मामलों में खासा इजाफा हुआ है। बता दे मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स और गायनी वार्ड में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं।

बच्चे वार्ड में तो स्थिति यह है कि एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चों को लेटाकर इलाज किया जा रहा है। वहीं, मेडिसिन और गायनी वार्डों में बेड की प्रतीक्षा सूची लंबी होती जा रही है। वही सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी विभागों में भी एक भी बेड उपलब्ध नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, हालात पर काबू पाने के लिए अतिरिक्त स्टाफ और अस्थाई बेड्स की व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है,वही अस्पताल प्रबंधक ने बढ़ती मरीज संख्या को देखते हुए सभी विभागों को अलर्ट कर दिया है।

इमरजेंसी सेवाओं को मजबूत करने के साथ-साथ अतिरिक्त डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई जा रही है। जिला अस्पतालों को भी मरीजों का भार बांटने के लिए निर्देशित किया गया है ताकि मेडिकल कॉलेज पर अधिक दबाव न पड़े।

पर्ची से दवा तक, हर पड़ाव पर इंतजार

अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों को सबसे पहले पर्ची काउंटर पर लंबी लाइन में लगना पड़ रहा है। कई बार यह इंतजार एक घंटे से भी ज्यादा लंबा हो रहा है। इसके बाद डॉक्टर से परामर्श, जांच और फिर दवा के लिए भी घंटों लग जाते हैं। अस्पताल प्रशासन की मानें तो पूरे दिन का समय इलाज में खप रहा है, जिससे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

त्योहारों में टालते रहे इलाज, अब बढ़ गई भीड़

बता दे नवरात्र के दौरान अधिकतर लोग पूजा और व्रत में व्यस्त रहते हैं। छोटी-मोटी बीमारियों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन पर्व समाप्त होते ही जैसे ही सामान्य दिनचर्या शुरू हुई, वैसे ही लोग अस्पतालों की ओर रुख करने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि कुछ ही दिनों में मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ गई।

मौसम की मार से बीमारियां हुईं आम

नवरात्र के आखिरी चरण में हुई तेज बारिश ने बीमारियों के प्रसार को और बढ़ावा दिया। मौसम में आई नमी और तापमान में गिरावट के चलते सांस की बीमारियां, स्किन इंफेक्शन, और हड्डियों में दर्द जैसी समस्याएं भी बड़ी संख्या में सामने आई हैं। डॉक्टरों के मुताबिक आने वाले दिनों में इन बीमारियों में और बढ़ोतरी हो सकती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के बीच।

लक्षणों को न करें नजरअंदाज

बदलते मौसम में किसी भी प्रकार के लक्ष जैसे बुखार, उल्टी, दस्त, खांसी, या त्वचा पर लाल चकत्ते को हल्के में न लें। समय पर डॉक्टर से परामर्श लें और भीड़-भाड़ वाले अस्पतालों की बजाय पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों या शहरी स्वास्थ्य केंद्रों का उपयोग करें।