गरीबों का हक डकार गए अमीर, ननि प्रशासन ने अपात्रों को आवंटित कर दिए आवास, जांच में सामने आया सच
रीवा नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना की पारदर्शिता को ठेंगा दिखाते हुए अपात्र लोगों को आवास आवंटित कर दिए। जांच में सामने आया है कि लग्जरी गाड़ियों में घूमने वाले और पहले से मकान रखने वालों को बीपीएल वर्ग के लिए बने मकान दे दिए गए, जबकि असली जरूरतमंद लाभ से वंचित रह गए।

रीवा। प्रधानमंत्री आवास योजना की पारदर्शिता और गरीबों को आशियाना देने की मंशा को रीवा नगर निगम ने पलीता लगा दिया है। जांच में सामने आया है कि जिनके पास पहले से मकान हैं, जो लग्जरी गाड़ियों में घूमते हैं, उन्हें बीपीएल परिवारों के हक का मकान आवंटित कर दिया गया।
वहीं असली जरूरतमंद हितग्राही मकान की आस में दर-दर भटकते रहे। नगर निगम की आंतरिक जांच ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी है। गोल क्वार्टर, एसएफ, सुंदर नगर और ललपा तालाब जैसे इलाकों में बने सैकड़ों आवासों में से बड़ी संख्या में मकान अपात्रों के कब्जे में हैं।
शुरुआती जांच में ही 126 आवासों में से 63 आवास फर्जी पाए गए हैं। स्थिति यह है कि जिन लोगों के नाम पर मकान आवंटित हैं, वहां रह कोई और रहा है या मकान किराए पर दे दिया गया है। कुछ मामलों में तो मकान में असामाजिक गतिविधियों की भी पुष्टि हुई है।
पीएम आवास योजना के तहत मिलने वाले मकानों की एक अहम शर्त यह है कि हितग्राही खुद उस मकान में निवास करेगा। न तो वह उसे किराए पर दे सकता है और न ही बेच सकता है। लेकिन नगर निगम की जांच में सामने आया है कि सिर्फ गोल क्वार्टर इलाके में ही 53 मकान किराए पर दे दिए गए हैं।
कुछ मकानों में तो आपत्तिजनक गतिविधियां भी दर्ज की गई हैं। बता दे हाल ही में एक मामले में एक राजनीतिक नेता की पत्नी ने एक मकान में युवती के साथ पति को रंगे हाथ पकड़ लिया, जिसके बाद हंगामा हुआ और पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
मामले की जांच के दौरान पाया गया कि वह मकान पप्पू कनौजिया नामक नेता की पत्नी बंदना कनौजिया के नाम पर है, जबकि वह पहले से पोखरी टोला में निवास करते हैं। दस्तावेजों की जांच में फर्जीवाड़े के कई सुराग मिले हैं।
फर्जीवाड़े में रिटायर अफसरों पर शक की सुई
नगर निगम में इस योजना के पूर्व नोडल अधिकारी, संपत्ति प्रभारी और तकनीकी अफसरों पर मिलीभगत के आरोप हैं। इनमें से अधिकांश अधिकारी अब सेवा से रिटायर हो चुके हैं। बताया जाता है कि शुक्ला, दहायक, संतोष पांडेय जैसे अफसरों के कार्यकाल में ही यह आवंटन प्रक्रिया पूरी की गई थी। संतोष पांडेय हाल ही में जुलाई में रिटायर हुए हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि निगम आयुक्त इन अधिकारियों की जवाबदेही तय करते हैं या मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
रद्द होंगे फर्जी आवंटन
नगर निगम आयुक्त ने शुरुआती जांच रिपोर्ट के आधार पर सभी फर्जी लाभार्थियों को नोटिस जारी करने और आवंटन निरस्त करने के निर्देश दिए हैं। आयुक्त ने स्पष्ट कहा है कि जो हितग्राही खुद मकान में निवास नहीं कर रहे, उनका आवंटन रद्द किया जाएगा।
अब जांच के घेरे में सुंदर नगर और ललपा तालाब की साइटें
गोल क्वार्टर के बाद नगर निगम की नजर अब उन साइटों पर है, जहां 100 फीसदी आवंटन हो चुका है सुंदर नगर और ललपा तालाब और एसएफ, सूत्रों के अनुसार इन साइटों में गड़बड़ी की आशंका कहीं ज्यादा है। यदि पूरे जिले में आवंटन की ईमानदारी से जांच हो, तो पीएम आवास योजना में हुई करोड़ों की अनियमितता उजागर हो सकती है।
क्या कहता है नियम
पीएम आवास योजना के अंतर्गत केवल बीपीएल परिवारों को ही आवास आवंटित किए जाते हैं। आवंटित मकान को किराए पर देना या बेचना प्रतिबंधित है। हितग्राही को मकान में खुद निवास करना अनिवार्य है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर मकान लेने पर आवंटन रद्द किया जा सकता है, साथ ही विधिक कार्रवाई भी संभव है।