श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापना पर बवाल, नगर निगम और पुलिस आमने-सामने
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विंध्य के प्रख्यात नेता स्व. श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापना को लेकर रीवा में राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया है। नगर निगम द्वारा पुलिस लाइन चौराहे पर प्रतिमा स्थापना का कार्य अंतिम चरण में था, तभी बुधवार को पुलिस ने निर्माण रुकवा दिया और मौके पर बल तैनात कर दिया। इससे कांग्रेस और नगर निगम ने तीव्र आपत्ति जताई।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और विंध्य के कद्दावर नेता स्व. श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापना को लेकर विवाद शुरू हो गया। नगर निगम द्वारा पुलिस लाइन चौराहे पर प्रतिमा स्थापना का कार्य लगभग अंतिम चरण में था, लेकिन अचानक बुधवार को पुलिस ने मोर्चा संभालते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगा दी।
इसके बाद राजनीतिक तापमान तेजी से चढ़ गया। नगर निगम और पुलिस विभाग आमने-सामने आ गए हैं। नगर निगम द्वारा चबूतरा निर्माण, मूर्ति स्थापना और सौंदर्यीकरण का कार्य बीते 10 दिनों से जारी था। बुधवार की सुबह अचानक पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और निर्माण कार्य को जबरन रुकवा दिया।

इसके साथ ही क्षेत्र में सशस्त्र पुलिस बल की तैनाती कर दी गई। घटना की जानकारी मिलते ही महापौर अजय मिश्रा, कांग्रेस पार्षद और पार्टी पदाधिकारी मौके पर पहुंचे। महापौर ने पुलिस की कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए इसे राजनीतिक साजिश बताया।
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उन्होंने कहा श्रीनिवास तिवारी किसी एक दल के नहीं, पूरे विंध्य की पहचान हैं। वे गरीबों, शोषितों और जनआंदोलनों की आवाज थे। जिस प्रकार प्रतिमा स्थापना को रोका गया है, वह जनता का अपमान है। कांग्रेस इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।

वही पुलिस प्रशासन का कहना है कि नगर निगम द्वारा एसएफ चौराहे पर प्रतिमा स्थापना के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र मांगा गया था, लेकिन वास्तविक निर्माण पुलिस लाइन चौराहे पर हो रहा है। यही स्थान पुलिस के लिए प्रस्तावित आवासीय योजना के अंतर्गत आता है।
ऐसे में पुलिस का दावा है कि यह निर्माण अनधिकृत रूप से किया जा रहा है, वही नगर निगम ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने समय रहते पुलिस सहित सभी विभागों को NOC के लिए पत्र भेजे थे।

14 अगस्त को जोनल अधिकारी 20 अगस्त को निगम आयुक्त और 25 अगस्त को स्वयं महापौर ने कलेक्टर और एसपी को लिखित पत्र भेजे।इनमें साफ तौर पर प्रतिमा स्थल का उल्लेख करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग की गई थी।
आयुक्त ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि MPRDC, विद्युत वितरण कंपनी, लोक निर्माण विभाग आदि की NOC प्राप्त हो चुकी है लेकिन पुलिस की ओर से अब तक अप्राप्त है। राजनीतिक तूल पकड़ते इस मामले को लेकर प्रशासन भी सतर्क हो गया है।

प्रतिमा स्थल, भूमि स्वामित्व और पूर्व में हुई अनुमति प्रक्रियाओं की दस्तावेजी जांच शुरू हो गई है।
2018 में ही पारित हुआ था प्रस्ताव
बता से वर्ष 2018 में नगर निगम परिषद ने सर्वसम्मति से श्रीनिवास तिवारी एवं महाराजा मार्तंड सिंह की प्रतिमाएं स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया था। उस समय परिषद और महापौर दोनों भाजपा शासित थे।
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कांग्रेस से महापौर बनने के बाद अजय मिश्रा ने इस प्रस्ताव को अमल में लाकर 2022 में टेंडर जारी कर कार्यादेश जारी किया। प्रतिमा निर्माण का कार्य 41 लाख की लागत से लगभग पूर्ण हो चुका है और 17 सितंबर को स्वर्गीय श्री निवास तिवारी की 100वीं जयंती पर अनावरण प्रस्तावित है।

पद्यधर पार्क में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। राष्ट्रीय नेताओं के साथ ही प्रदेश नेतृत्व और विश्य के सभी नेता शामिल होंगे।
शहर में दर्जनों प्रतिमाएं बिना NOC के स्थापित
शहर में कई प्रतिमाएं पहले से स्थापित हैं, जिनमें से अधिकांश के पास एनओसी नहीं है। कुछ तो सड़क किनारे लगे हैं, जिससे यातायात भी प्रभावित होता है। फिर अकेले श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा पर आपत्ति को चुनिंदा अड़चन करार दिया जा रहा है।
Saba Rasool 
