मध्य प्रदेश के रिटायर्ड IPS अधिकारी राजेंद्र चतुर्वेदी का निधन, मलकान सिंह–फूलन देवी आत्मसमर्पण कराने में निभाई थी भूमिका

मध्य प्रदेश कैडर के सीनियर IPS अधिकारी और चर्चित पुलिस अफसर राजेंद्र चतुर्वेदी का बीते दिन रांची में निधन हो गया

मध्य प्रदेश के रिटायर्ड IPS अधिकारी राजेंद्र चतुर्वेदी का निधन, मलकान सिंह–फूलन देवी आत्मसमर्पण कराने में निभाई थी भूमिका
पब्लिक वाणी

मध्य प्रदेश कैडर के सीनियर IPS अधिकारी और चर्चित पुलिस अफसर राजेंद्र चतुर्वेदी का बीते दिन रांची में निधन हो गया. उन्होंने वहीं के एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके निधन से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग, प्रशासनिक जगत और उनके परिचितों में गहरा शोक है.

राजेंद्र चतुर्वेदी को विशेष रूप से उस ऐतिहासिक अभियान के लिए याद किया जाता है, जिसने Chambal के दस्यु इतिहास की दिशा बदल दी थी. भिंड के एसपी के रूप में उन्होंने दुरदांत डकैत मलकान सिंह और फूलन देवी को आत्मसमर्पण के लिए तैयार करने में निर्णायक भूमिका निभाई.

अर्जुन सिंह की रणनीति का हिस्सा था यह बड़ा अभियान

बताया जाता है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने अपनी विशेष रणनीति के तहत चतुर्वेदी को भिंड का एसपी बनाया था. उन्हें साफ निर्देश दिया गया था कि. किसी भी कीमत पर मलकान सिंह और फूलन देवी को जंगल से निकालकर आत्मसमर्पण कराना है. राजेंद्र चतुर्वेदी ने अपनी पत्नी दीपा चतुर्वेदी के साथ मिलकर महीनों तक चंबल के कठिन इलाकों में डकैतों से गुप्त मुलाकातें कीं. एक घटना आज भी चर्चित है.

फूलन देवी का भरोसा जीतने के लिए दीपा चतुर्वेदी ने अपनी गोद में मौजूद एक साल के बेटे अरुण चतुर्वेदी को फूलन की गोद में रखकर कहा था. अगर हम तुम्हारे साथ धोखा करें, तो हमारे बच्चे के साथ जो चाहो करना. इस स्तर तक उनका विश्वास जीतने के बाद ही दोनों ने समर्पण स्वीकार किया था.

परिवार, करियर और विवादों से जुड़ा सफर

राजेंद्र चतुर्वेदी के दो बेटे हैं. अरुण चतुर्वेदी, और छोटे बेटे, जिन्हें लोग “छोटा बाबा” के नाम से जानते हैं और जो वर्तमान में मुंबई में फिल्म करियर बना रहे हैं. उनकी पत्नी दीपा चतुर्वेदी का साल 2021 में निधन हो गया था. 

अपने लंबे करियर में चतुर्वेदी मध्य प्रदेश के कई महत्वपूर्ण जिलों छतरपुर, भिंड, ग्वालियर में एसपी रहे और बाद में मध्य प्रदेश जेल विभाग के डीजीपी भी बने. वे जितने लोकप्रिय थे, उतने ही विवादों से भी घिरे रहे, लेकिन अपनी तुरंत निर्णय क्षमता और कानून की गहरी समझ के लिए भी जाने जाते थे. रिटायर होने के बाद के चतुर्वेदी रांची में रहे और बताया जाता है कि वे एक कॉलेज में शिक्षण कार्य से भी जुड़े थे. उन्हें आईपीसी और सीआरपीसी की बारीकियों का अच्छा ज्ञान था और वे इन्हें कंठस्थ याद रखते थे. 

मध्य प्रदेश पुलिस के लिए एक बड़ी क्षति

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों, पत्रकारों और परिचितों ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. राजेंद्र चतुर्वेदी को एक तीक्ष्ण बुद्धि वाले, निडर, तेजतर्रार और साहसिक फैसले लेने वाले अधिकारी के रूप में लंबे समय तक याद किया जाएगा.