रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंचे, साथ आए सात मंत्री

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंच गए है। पुतिन का विमान गुरुवार शाम को दिल्ली के पालाम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत पहुंचे, साथ आए सात मंत्री

नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार को भारत पहुंच गए। पुतिन का विमान गुरुवार शाम को दिल्ली के पालाम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ, यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद पुतिन को रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पर पहुंचे। पुतिन के लिए पहले रेड कार्पेट बिछाया गया और फिर जब पुतिन विमान से नीचे उतरे तो पीएम मोदी गले लगाकर उनका स्वागत किया। यह दौरा भारत-रूस के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा है, जो दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। पुतिन के साथ रूस का अब तक का सबसे बड़ा मंत्री-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भारत आया है।

पुतिन के साथ आए सात कैबिनेट मंत्री

पुतिन के साथ आए सात कैबिनेट मंत्रियों में रक्षा मंत्री अंद्रेई बेलूसोव, वित्त मंत्री अन्तोन सिलुआनोव, कृषि मंत्री ओक्साना लुत, आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम रेशेतणिकोव, स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को, गृह मंत्री व्लादिमीर कोलोकोल्तसेव, परिवहन मंत्री रोमन निकितिन इनके साथ कई वरिष्ठ अधिकारी और व्यापारिक प्रतिनिधि भी शामिल हैं, जो इस शिखर सम्मेलन को व्यापक आर्थिक और रणनीतिक सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण बनाते हैं।

आज होगा 23वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच आज व्यापक स्तर पर वार्ता होगी। बैठक में रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार, आपसी निवेश, स्वास्थ्य, और कृषि जैसे कई क्षेत्रों में नए समझौते होने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच तेल और गैस आपूर्ति, उद्योगों के संयुक्त उत्पादन, और रणनीतिक तकनीकी साझेदारी पर भी अहम चर्चा होगी।

दिल्ली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम

रूसी राष्ट्रपति पुतिन के दौरे को देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। विशेष रूट, हाई-सिक्योरिटी मूवमेंट और वीवीआईपी प्रोटोकॉल लागू किए गए हैं। दौरे से भारत-रूस रिश्तों को नई गति मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल तेज़ी से बदल रहा है। ऐसे में दोनों देशों के बीच बढ़ता सहयोग भविष्य की विदेश नीति और आर्थिक रणनीति को मजबूती देगा।