लोकसभा में शाह ने पेश किए 3 बिल, गंभीर अपराधों में जेल PM-CM के जाएंगे पद
विपक्ष के काफी विरोध और हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भ्रष्टाचार से जुड़े संविधान संशोधन बिल पेश किए. 3 बिलों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 शामिल है.

विपक्ष के काफी विरोध और हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भ्रष्टाचार से जुड़े संविधान संशोधन बिल पेश किए. 3 बिलों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025 शामिल है.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 6 महीने जेल में रहे, लेकिन उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया और जेल से सरकार चलाते रहे. वो पहले ऐसे मुख्यमंत्री थे जो पद पर रहते हुए गिरफ्तार किए गए. उनके अलावा तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी 241 दिनों तक जेल में थे, लेकिन मंत्री पद नहीं छोड़ा. शायद यही कुछ उदाहरणों और ऐसे ही कुछ कारणों के चलते केंद्र सरकार ये तीन बिल लेकर आई है.
Laid the Constitution (One Hundred and Thirtieth Amendment) Bill, 2025 in the Lok Sabha. pic.twitter.com/wsohG2UP6x
— Amit Shah (@AmitShah) August 20, 2025
पेश किए गए इन बिलों में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्री ऐसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार होते हैं, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल हो सकती है और उन्हें लगातार 30 दिन हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा. चाहे वो पद से इस्तीफा दें या ना दें.
बात करेंगे बिलों की
पहला बिल गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025: प्रेजेंट में केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन जरूरी है.
दूसरा बिल 130वां संविधान संशोधन बिल 2025: इस बिल में बताया गया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो. इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन जरूरी है.
तीसरा और आखिरी बिल जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025: जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान कर दिया जाएगा.
नया नियम जरूरी है पर क्यों: संशोधन का उद्देश्य सरकार में ईमानदारी और विश्वसनीयता को बढ़ाना है. कई बार गंभीर आरोपों के बावजूद नेता पद पर बने रहते हैं, जिससे जनता का विश्वास डगमगाता है. यह नियम सुनिश्चित करेगा कि गंभीर अपराधों में लिप्त व्यक्ति सरकार का नेतृत्व न करें. साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि अगर कोई व्यक्ति बाद में निर्दोष साबित होता है तो उसे दोबारा मौका मिले.
लेकिन इन बिलों में ये भी है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री बाद में निर्दोष साबित होते हैं, तो उन्हें दोबारा नियुक्ति का मौका मिल सकता है. तो इन बिलों पर आपका क्या विचार है और विपक्ष का बिलों का विरोध करना कितना सही है हमें कमेंट कर जरूर बताएं.