साइकिल से पर्यावरण का संदेश लेकर माउंट एवेरेस्ट की ओर बढ़ते सुबोध गंगुर्दे
महाराष्ट्र के पर्वतारोही सुबोध गंगुर्दे पर्यावरण संरक्षण और देशप्रेम के संदेश के साथ लद्दाख से माउंट एवेरेस्ट तक की साइकिल यात्रा पर निकले हैं। अब तक वे 38,000 किमी की यात्रा कर चुके हैं और 35,000 पौधे लगा चुके हैं।

रिपोर्टर: सबा रसूल
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के रहने वाले 26 वर्षीय पर्वतारोही सुबोध विजय गंगुर्दे पर्यावरण संरक्षण और जनजागरूकता के उद्देश्य से एक अनोखी यात्रा पर निकले हैं। सुबोध का लक्ष्य माउंट एवेरेस्ट पर पहुंचकर वहां से पूरी दुनिया को देश प्रेम, पर्वतारोहण और पर्यावरण सुरक्षा का संदेश देना है।
सुबोध ने अपनी साइकिल यात्रा 2024 में लद्दाख से शुरू की थी, वो देश के 9 राज्यों का भ्रमण करते हुए मध्यप्रदेश के रीवा शहर आ पहुंचें हैं। सुबोध अब तक लगभग 38000 किलोमीटर से ज्यादा लम्बा सफर तय कर चुके हैं।
इन सब के साथ ही उन्होंने अपनी इस लम्बी यात्रा के दौरान भारत भर में 1 लाख पैधे लगाने का लक्ष्य भी रखा है। जिसमें से अभी तक 35000 पौधे सुबोध लगा चुके हैं। बता दें की उनकी यात्रा 2027 में जाकर पूरी होगी जब वो दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउण्ट एवेरेस्ट पर चढ़कर तिरंगा लहरायेंगे। सुबोध का उद्देश्य देश के युवाओं का खेल और उनमें देश प्रेम की भावना को बढ़ाना है।
लद्दाख से शुरू हुई साइकिल यात्रा
सुबोध ने अपनी यह यात्रा 19 जून 2024 को लद्दाख से शुरू की थी। अब तक वे देश के आठ राज्यों को पार कर चुके हैं और मध्य प्रदेश के रीवा जिले तक पहुंच गए हैं। उन्होंने लगभग 38,000 किलोमीटर की दूरी साइकिल से तय की है।
पौधारोपण का लक्ष्य
अब तक सुबोध 35,000 से अधिक पौधे लगा चुके हैं और उनका सपना है कि वे इस अभियान के तहत 1 लाख पौधे लगाएं। उनका मानना है कि पर्यावरण संरक्षण सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। सुबोध ने मध्यप्रदेश में 10000 पौधे लगाने का भी लक्ष्य रखा है जिसमें वो 5000 से अधिक पौधे लगा चुके हैं।
यात्रा के पीछे गहरा संदेश
सुबोध बताते हैं कि यह अभियान केवल पौधारोपण तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बहु-आयामी और गहरा उद्देश्य छिपा है। उनकी इस यात्रा का मुख्य संदेश है:
- पर्यावरण संरक्षण को लेकर जन-जागरूकता फैलाना
- पर्वतारोहण जैसे खेलों को प्रोत्साहित करना
- देशभर के युवाओं को जोड़ना और उन्हें प्रेरित करना
- देश का नाम रोशन करना
सुबोध मानते हैं कि जब युवा एक सकारात्मक उद्देश्य के साथ एकजुट होते हैं, तो समाज और देश में बड़े परिवर्तन संभव होते हैं। उनके अभियान का मकसद है कि हर युवा अपनी ऊर्जा को प्रकृति, स्वास्थ्य और देश सेवा में लगाएं।
400 दिन की यात्रा, 1000+ बच्चों से मुलाकात
सुबोध की यह यात्रा अब तक 400 से अधिक दिनों की हो चुकी है। इस दौरान वे 1000 से ज्यादा बच्चों से मिल चुके हैं। उन्होंने IIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के छात्रों के साथ भी संवाद किया है। इसके अलावा, वे नशा मुक्ति जैसे सामाजिक विषयों पर भी सत्र ले चुके हैं।
प्रकृति से मिला जीवन का उद्देश्य- सुबोध विजय
सुबोध कहते हैं कि “प्रकृति से बेहतर कोई शिक्षक नहीं।” उन्होंने बताया कि वे पहले भारतीय सेना में जाना चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों से वह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने खेल का रास्ता अपनाया जिसमें उनको हमेशा से ही रूचि थी। इसी में सुबोध ने पर्वतारोहण की ठानी और इसे के जरिए अपने देश का नाम रौशन करने का सपना सजाया।
साइकिलिंग की अद्भुत क्षमता
सुबोध एक दिन में औसतन 7 घंटे में 120 किलोमीटर तक साइकिल चला सकते हैं। उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड 14 घंटे में 215 किलोमीटर का है। यह क्षमता उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और अनुशासन का प्रमाण है।
इस यात्रा के लिए सुबोध ने वर्षों की तैयारी की। उन्होंने मैप्स का अध्ययन, रूट प्लानिंग, और रुकने का स्थान तक पहले से निर्धारित किया। उन्हें भूगोल में गहरी रुचि है, जिससे यह काम उनके लिए और भी रोचक हो गया।
रीवा के बाद सुबोध की यात्रा मध्यप्रदेश के जबलपुर, भोपाल, इंदौर, रतलाम और फिर गुजरात की ओर बढ़ेगी, जो उनका दसवां राज्य होगा। इसके बाद वे उत्तर भारत से होते हुए दक्षिण भारत में जायेंगे। इसके बाद उत्तर-पूर्व, के सिक्किम से होते हुए 2027 की शुरुआत में नेपाल में प्रवेश करेंगे।
विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं सुबोध
सुबोध ने वर्ष 2022-23 में एक अद्वितीय विश्व रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने महाराष्ट्र के 371 किलों को केवल 365 दिनों में फतह किया। ये सभी किले छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़े हैं। यह उपलब्धि भारतीय पर्वतारोहण इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान है।