ट्रंप के चौधराहट की असली वजह पता चल गई, आइये समझते हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर जो 50 फीसदी का टैरिफ लगाया उसकी वजब रूस से भारत का तेल व्यापार नहीं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर जो 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है, और इसके पीछे की इकलौती वजह बताई है. रूस से तेल खरीदी. अब अगर बात रूस के तेल की होती. तो टैरिफ चीन पर भी लगता. अगर बात सिर्फ तेल की होती तो टैरिफ युरोपी यूनियन पर भी लगता. भारत पर न सिर्फ टैरिफ लगा है बल्कि पेनाल्टी भी लगी है. जो इस बात की गवाही दे रही है कि टैरिफ के पीछे रूस का तेल नहीं कुछ और ही खेल है. तो चलिए इस खेल को विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं, जिसे ट्रंप भारत के साथ खेलना चाहते थे, लेकिन उन्हें नाकामी हाथ लगी.
दोस्ती का गलत फायदा उठा गए ट्रंप
26 जून 2017 ये वो तारीख थी, जब पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात हुई थी. ये मुलाकात दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों की ही थी. लेकिन ट्रंप इसे लंघकर पीएम मोदी को गले लगाया और दोस्ती की नीव रखी. दोस्ती चल पड़ी और 3 फरवरी 2025 तक ये दोस्ती कायम रही. दोस्ती के किस्से चलते थे व्यक्तिगत तौर पर भी और दो देशों के राष्ट्राध्यक्षों के तौर पर भी. लेकिन ट्रंप ने इस दोस्ती का गलत मलतब निकाला और जैसी चौधराहट वो पूरी दुनिया के साथ करते आए थे, वही ताकत उन्होंने भारत के साथ भी आजमाने की कोशिश की.
इसी कोशिश में पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया और पाकिस्तान में भारी तबाही मचाई. पाकिस्तान के रोने गिड़गिड़ाने पर भारत ने ऑपरेशन सिंदूर रोक दिया. तो ट्रंप ने इसे सीजफायर का नाम देकर दोनों देशों के बीच जंग रुकवाने का क्रेडिट लेने की कोशिश की. ट्रंप बार-बार कोशिश करते रहे, कई बार बिजनेस डील का हवाला देकर ये साबित करने की कोशिश करते रहे कि भारत ने जंग इस वजह से रोकी, क्योंकि ट्रंप ने आदेश दिया. हालांकि, भारत ने ये बात कभी नहीं मानी. भरी संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि उन्हें इस जंग को रोकने के लिए दुनिया के किसी भी देश ने नहीं कहा था.
ट्रंप ने बनाया भारत पर दबाव
जाहिर है कि इस बयान से ट्रंप को धक्का लगा. कभी खुशी-कभी गम वाली करीना कपूर याद है आपको, जिसमें उन्होंने पू का कैरेक्टर प्ले किया था. उसमें एक डॉयलॉग था-
'वो कौन है जिसने पू को मुड़कर नहीं देखा.'ट्रंप ने भी खुद को वही पू समझा कि वो कौन है, जिसने ट्रंप की बात नहीं मानी. अब नहीं मानी तो नहीं मानी. कोई जबरदस्ती है क्या, लेकिन ट्रंप को दादागिरी दिखानी थी. सीधे-सीधे दिखा नहीं सकते थे. तो टैरिफ के जरिए दिखाई और 50 फीसदी का टैरिफ लगा दिया. बाकी एक और वजह है इस टैरिफ की. ये वजह भी ट्रंप के व्यक्तिगत अहंकार से ही जुड़ी है. वो है बिजनेस, जिसकी बार-बार ट्रंप पूरी दुनिया को धमकी देते हैं. ट्रंप को भारत के साथ ट्रेड डील करनी थी. भारत भी चाहता था कि ट्रेड डील हो जाए. इसमें भारत का भी फायदा था और अमेरिका का भी, लेकिन ट्रंप ने जब भारत के साथ बिजनेस का गुणा गणित देखा तो पाया कि भारत के साथ तो अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट है. यानी कि व्यापार घाटा. यानी अमेरिका भारत को बेचता कम है और खरीदता ज्यादा है. तो ट्रंप ने इस व्यापार घाटा को कम करने के लिए भारत पर दबाव बनाया, लेकिन गलत जगह पर. ट्रंप चाहते थे कि भारत अमेरिका के लिए खेती-किसानी और डेयरी प्रोडक्ट का बाजार खोल दे. ताकि अमेरिका अपना सामान भारत को बेच सके.
भारत को अमेरिका की जरूरत नहीं
भारत तो पहले से कृषि प्रधान देश है. दूध के उत्पादन में दुनिया का नंबर वन देश है. उसे क्यों ही जरूरत होगी ट्रंप की. ट्रंप चाहते थे कि भारत उनसे गायों का वो चारा खरीदे, जिसमें मांस मिला हुआ था, लेकिन यहां तो गाय को मां की तरह पूजा जाता है, ये तो वो देश है, जहां कारतूस में गाय की चर्बी मिली होने पर 1857 का वो गदर हो जाता है, जिसने अंग्रेजों की नींव हिला कर रख दी थी. फिर ये तो पूरा का पूरा चारा ही मांसाहारी चाहते थे. भारत ने ये बात नहीं मानी. तो ट्रंप नाराज हो गए और उनके हाथ में जो था, वो कर दिया. यानी कि 25 फीसदी का टैरिफ और 25 फीसदी की पेनाल्टी.
अब जाहिर है कि ट्रंप के इस टैरिफ से भारत को फर्क तो पड़ेगा ही पड़ेगा. कारोबार पर भी असर होगा, लेकिन अमेरिका इस असर से अछूता रह जाएगा, ये समझना भी एक बड़ी भूल है. ट्रंप ने इंपोर्ट पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है. यानी कि अमेरिका में जो सामान पहले 100 रुपये का था, वो अब 150 का होगा. खरीदने वाले तो अमेरिकी ही हैं. जब तक ट्रंप भारत से जाने वाले सामान को अमेरिका में ही नहीं बनाने लगते, चाहे वो बात दवाइयों की हो या इलेक्ट्रॉनिक सामान की हो, जूलरी की हो या फिर कपास की, अमेरिकी लोगों को तो ये सामान भारत से खरीदना ही होगा, चाहे जितना महंगा खरीदना पड़े.
ऐसे में ट्रंप का ये फैसला सिर्फ भारत के लिए नहीं उनके अपने लोगों के लिए भी बहुत भारी पड़ने वाला है. इसकी कीमत तो ट्रंप को चुकानी ही पड़ेगी. ये कीमत उन्हें भारत में भी चुकानी पड़ेगी और अमेरिका में भी.