भोज मुक्त विश्वविद्यालय के तत्कालीन निदेशक प्रवीण जैन के खिलाफ EOW में FIR दर्ज
भोज मुक्त विश्वविद्यालय के तत्कालीन निदेशक प्रवीण जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में EOW में FIR दर्ज की गई

डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय सागर के अधिकारी आवास निवासी सुधाकर सिंह राजपूत ने दिनांक 25 फरवरी 2020 को EOW भोपाल में एक लिखित शिकायत में आरोप लगाया था। कि म.प्र. भोज मुक्त विश्वविद्यालय, भोपाल के तत्कालीन निदेशक एवं प्रभारी कुलसचिव श्री प्रवीण जैन ने शासन के निर्धारित नियमों और प्रक्रियाओं की अवहेलना करते हुए बड़ी संख्या में दैनिक वेतनभोगी एवं संविदा कर्मचारियों को अवैध रूप से नियमित किया है। यह नियुक्तियाँ बिना शासकीय स्वीकृति, बिना चयन प्रक्रिया और बिना पद सृजन के की गईं जिससे शासन को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। साथ ही, यह भी आरोप लगाया कि जैन ने विभागीय आदेशों को गलत तरीके से लागू कर कर्मचारियों को नियम विरुद्ध लाभ पहुँचाया।
जांच में यह तथ्य सामने आया कि वर्ष 2013–14 में भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय में कुलसचिव की अनुपस्थिति के दौरान निदेशक प्रवीण जैन को दो अवसरों (दिनांक 01.10.2013 एवं 27.11.2014) पर मात्र एक एक दिन के लिए कुलसचिव का अस्थायी प्रभार दिया गया। शासन के आदेशानुसार इस प्रकार का प्रभार निदेशक जैसे शैक्षणिक पदाधिकारी को देना न केवल अनुचित था, बल्कि स्पष्ट रूप से नियमों के विरुद्ध था। बावजूद इसके, श्री प्रवीण जैन ने इस अल्पकालिक प्रभार का दुरुपयोग करते हुए कुल 66 कर्मचारियों (39 + 27) की नियमविरुद्ध नियुक्तियाँ/नियमितीकरण कर दिए। इनमें कंप्यूटर ऑपरेटर, लिपिक, भृत्य, वाहन चालक, तकनीकी स्टाफ, सहायक प्राध्यापक, स्टेनोग्राफर आदि शामिल हैं।
यह नियुक्तियाँ शासन की स्वीकृति, पद सृजन, रोस्टर पालन, आरक्षण नीति, तथा वैधानिक प्रक्रिया जैसे आवेदन, चयन, मूल्यांकन आदि के पूर्ण अभाव में की गईं। दिनांक 05.10.2013 को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आदेश जारी कर विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि यदि कोई नियमितीकरण किया गया हो तो उसे तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए, परंतु प्रवीण जैन ने उक्त आदेश को “स्थगित” कर बताया और नियुक्तियाँ यथावत बनी रहीं। इसके अतिरिक्त जैन द्वारा अपने प्रभाव का उपयोग कर कुछ कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति योग्य पदों पर भी सीधी नियुक्ति दी गई, वहीं कुछ कर्मचारियों को गलत पद वर्ग में समायोजित किया गया। प्रवीण जैन ने सरकार की पूर्व अनुमति के बिना ही पदों का अवैध सृजन किया, जो मध्य प्रदेश विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973 की धारा 24(21) का उल्लंघन था।
जांच के दौरान विश्वविद्यालय से प्राप्त रिकॉर्ड, शासन के निर्देश, ऑडिट प्रतिवेदन एवं विभागीय संचारों का परीक्षण किया गया। जांच से यह तथ्य प्रमाणित हुआ कि प्रवीण जैन द्वारा जान बूझकर शासन को धोखे में रखकर, कूटरचित/भ्रामक प्रशासनिक आदेशों के माध्यम से अवैध नियुक्तियाँ की गईं, जिनका विधिक आधार नहीं था। इन तथ्यों के आधार पर, श्री प्रवीण जैन और अन्य अज्ञात/संदिग्ध व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (संशोधन-2018) की धारा 7 (सी) के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है।