Indian democracy in danger: लोकतंत्र खतरे में है? राहुल गांधी के आरोपों पर कितनी सच्चाई, जानिए विस्तार से

कांग्रेस नेता राहुल गांधी अकसर बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते रहते हैं.

Indian democracy in danger: लोकतंत्र खतरे में है? राहुल गांधी के आरोपों पर कितनी सच्चाई, जानिए विस्तार से

Rahul Gandhi democracy: कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अकसर बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते रहते हैं. ये राजनीति है और राजनीति में हर शब्द के मायने और मकसद होतें हैं. लेकिन सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी बीजेपी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाते क्यों हैं. क्या इसके पीछे कोई गहरी राजनीति है. और अगर है तो राहुल को इससे कितना फायदा और भारतीय जनता पार्टी को नुकसान क्या होगा? तो आइये सिलसिलेवार तारिके से सारे सवालों का जवाब खोजते हैं.

 राहुल गांधी क्यों उठा रहे ये मुद्दा, क्या है राजनीतिक मकसद?   

Rahul Gandhi political motive: अक्सर राहुल गांधी BJP पर लोकतंत्र को कमजोर करने का आरोप लगाते हैं. फिर वो चाहे संसद में विपक्ष की आवाज दबाने की बात हो, या फिर मीडिया और एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप हो. और तजा मामला तो किसी से छिपा ही नहीं है. जिस तरह से राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को घेरा है, भाजपा को मदद करने का आरोप लगाया है.इसकी चर्चा हर ओर हो रही है. राहुल गांधी बार-बार कह चुके हैं. कि देश में लोकतंत्र खत्म किया जा रहा है. विपक्षी नेताओं के घर छापे पड़ रहे हैं. संसद में माइक बंद किया जा रहा है. जनहित के सवालों को दबाया जा रहा है. अब इसके पीछे राहुल गांधी का राजनीतिक मकसद क्या है. इन सवालों पर चर्चा करते हैं. 

लोकतंत्र खतरे में है ये एक ऐसा मकसद है विपक्षी पार्टियों को एक साथ लाने का. इसका फायदा राहुल गांधी को हुआ भी. मानसून सत्र के 16 वें दिन वोट चोरी को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया. करीब तीन सौ सांसदों ने इलेक्शन कमीशन कार्यालय जाने के लिए मार्च निकाली. तो राहुल उस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे. ये तो था पहला मकसद, राहुल का दूसरा मकसद जनता में डर पदा करना, कि अगर बीजेपी यूं ही चलती रही तो आम लोगों की आवाज दबा दी जाएगी. इसका फायदा राहुल को लोकसभा चुनाव 2024 में हुआ. पार्टी की 99 सीटों पर जीत हुई. और तीसरा मकसद है, कि राहुल गांधी खुद को दिखाना चहते हैं कि सिर्फ नेता नहीं बल्कि लोकतंत्र के रखवाले हैं. लोकतंत्र की लड़ाई लड़ रहे हैं. 


 
बीजेपी का जवाब, क्या कहती है सरकार?

बीजेपी ने राहुल के इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हालत ऐसी नहीं है जैसी राहुल गांधी पेश कर रहे हैं.बीजेपी नेता संबित पात्रा ने तंज कसते हुए कहा- अगर लोकतंत्र वाकई मर गया होता तो. तो राहुल गांधी ऐसे बयान दे पाते क्या? वो हर हफ्ते लोकतंत्र की मौत की घोषणा करते हैं, लेकिन अगले हफ्ते फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके उसकी पुनर्जीवित आत्मा से बात करते दिखते हैं. पात्रा ने इसे डर फैलाने और सहानुभूति बटोरने की चाल बताते हुए कहा राहुल गांधी को अब लोकतंत्र के बजाय अपने भाषणों का स्वास्थ्य चेक कराना चाहिए.देश में चुनाव हो रहे हैं सरकारें बन और बिगड़ रही हैं.मीडिया चीख रहा है जनता वोट दे रही है. इससे बड़ा लोकतंत्र का प्रमाणपत्र और क्या चाहिए?

इधर, जनता कन्फ्यूज है – एक ओर लोकतंत्र 'मरा हुआ' बताया जा रहा है, दूसरी ओर TV डिबेट में नेताओं की चिल्लाचौट, सोशल मीडिया पर राजनीतिक जंग और हर गली में लगे चुनावी पोस्टर बता रहे हैं कि लोकतंत्र न केवल ज़िंदा है, बल्कि रोज़ दौड़ लगाकर फिट भी रह रहा है. तो दोस्तों, ये था आज का टॉपिक
लोकतंत्र की हत्या वाले बयान के पीछे की राजनीति. अब बारी आपकी है. कमेंट में जरूर बताइए. क्या आप मानते हैं कि देश में लोकतंत्र खतरे में है? या ये सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है.