MCU रीवा परिसर में राजेंद्र माथुर जयंती पर हुई संगोष्ठी, सदी के महान संपादक को किया गया याद

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, रीवा परिसर में महान संपादक और विचारक राजेन्द्र माथुर की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने उन्हें आधुनिक हिंदी पत्रकारिता का शिल्पी बताया और उनकी लेखनी, विचारधारा तथा मातृभाषा हिंदी के प्रति निष्ठा को याद किया।

MCU रीवा परिसर में राजेंद्र माथुर जयंती पर हुई संगोष्ठी, सदी के महान संपादक को किया गया याद

रीवा। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, रीवा परिसर में आज महान संपादक एवं विचारक राजेन्द्र माथुर की जयंती के उपलक्ष्य में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर वक्ताओं ने उन्हें आधुनिक हिंदी पत्रकारिता का शिल्पी बताते हुए उनकी लेखनी, विचारधारा और मातृभाषा हिंदी के प्रति निष्ठा को स्मरण किया। कार्यक्रम का शुभारंभ परिसर प्रभारी डा. सत्येन्द्र डेहरिया के उद्घाटन वक्तव्य से हुआ। 

उन्होंने माथुर जी के जीवन और कार्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया, “राजेन्द्र माथुर का जन्म 1935 में हुआ और 1991 में उनका निधन हुआ। अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर करने के बावजूद उन्होंने पत्रकारिता को अपना जीवन समर्पित कर दिया।

एडजंक्ट प्रोफेसर जयराम शुक्ला ने राजेन्द्र माथुर के संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा का उल्लेख करते हुए ‘नई दुनिया’ और ‘नवभारत टाइम्स’ में उनकी संपादकीय भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा राजेन्द्र माथुर ने पत्रकारिता को जनचेतना का माध्यम बनाया। सत्ता से टकराने और जनता के पक्ष में खड़े रहने का साहस उनके लेखन की विशेषता रही।” 

उन्होंने रीवा प्रवास के दौरान गोविंदगढ़ से जुड़े संस्मरण साझा किए और कहा कि माथुर जी की पत्रकारिता लोकतांत्रिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इसके बाद प्रसिद्ध पत्रकार राजेश बादल द्वारा निर्मित राजेन्द्र माथुर के जीवन पर आधारित एक विशेष डॉक्युमेंट्री का प्रदर्शन किया गया, जिसे विद्यार्थियों ने अत्यंत रुचि से देखा और उससे प्रेरणा प्राप्त की। समापन सत्र में प्रो. अखंड प्रताप सिंह ने कहा,राजेन्द्र माथुर ने अंग्रेज़ी साहित्य में दक्षता होते हुए भी हिंदी को सदैव सर्वोच्च स्थान दिया। 

उन्होंने आपातकाल जैसे कठिन समय में भी कभी अपनी लेखनी से समझौता नहीं किया।  सहायक कुलसचिव विवेक शाक्य ने आभार वक्तव्य देते हुए कहा यह संगोष्ठी हमें याद दिलाती है कि राजेन्द्र माथुर जैसे पत्रकारों के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं और नई पीढ़ी को दिशा प्रदान करते हैं।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉ. कमल उपाध्याय, डॉ. नवीन तिवारी, डॉ. हेमकुमारी, डॉ. सुनील कुमार, प्रो. कनिष्क तिवारी, प्रो. सौरभ, प्रो. आरती श्रीवास्तव, प्रो. शैलेंद्र द्विवेदी, प्रो. प्रदीप, तथा धीरेंद्र मिश्रा, हरीश शर्मा, ज्योति सिंह स्टूडियो प्रभारी कैलाश कुमार सहित समस्त कार्यालयीन कर्मचारी एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।