सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर, 5 साल में ही फटा पिलर

रीवा स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की इमारत मात्र 5 साल में ही जर्जर हो गई है। अस्पताल के मुख्य पिलर में दरार और दीवारों में क्षति सामने आई है, जिससे भवन की संरचनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसके साथ ही फॉल सीलिंग गिरने की घटनाएं भी लगातार हो रही हैं, जिनमें मरीज घायल हो चुके हैं।

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर, 5 साल में ही फटा पिलर

रीवा। प्रदेश सरकार की बहुप्रचारित स्वास्थ्य अधोसंरचना पर अब गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। रीवा स्थित सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की हालत महज पांच वर्षों में ही जर्जर होती नज़र आ रही है। अस्पताल के एक प्रमुख पिलर में दरार आने और दीवार के क्षतिग्रस्त होने की घटना ने भवन निर्माण की गुणवत्ता पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।

बताया जा रहा है कि  यह दरार एक लंबे समय से देखी जा रही थी, लेकिन उसे समय रहते मरम्मत नहीं कराया गया। अब स्थिति यह है कि दरारें बढ़ती जा रही हैं और पिलर के पास के हिस्से में संरचनात्मक क्षति गंभीर रूप ले चुकी है। इस खबर के सामने आते ही अस्पताल प्रशासन और लोक निर्माण विभाग में अफरातफरी मच गई।

इस अस्पताल की नींव अगस्त 2016 में रखी गई थी और इसका लोकार्पण 7 अक्टूबर 2020 को किया गया था। मात्र पांच वर्षों में ही भवन के इस हाल ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस स्थान पर दरार आई है, वह मुख्य पिलर के समीप है यानि भवन की संरचनात्मक मजबूती पर ही अब संदेह हो गया है

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स्थानीय समाजसेवियो का कहना है कि जिस इमारत में करोड़ों रुपये खर्च किए गए, उसकी यह दशा प्रदेश की निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गहरा सवाल है। अब मांग उठ रही है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।

फॉल सीलिंग गिरने की घटनाएं आम, कई मरीज घायल

केवल पिलर में दरार ही नहीं, अस्पताल में फॉल सीलिंग गिरने की घटनाएं भी लगातार सामने आ रही हैं। हाल ही में न्यूरोलॉजी विभाग में छत की फॉल सीलिंग गिरने से कई मरीज घायल हो गए थे। इससे पहले आउटडोर विभाग में भी इसी तरह की घटना हो चुकी है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन घटनाओं के बाद अब तक किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।

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अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी को सूचना दे दी है और विभाग द्वारा तकनीकी जांच की जा रही है। वहीं पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण की ज़िम्मेदारी उस समय के ठेकेदार और तत्कालीन इंजीनियरों की थी। यानी जवाबदेही तय करने के बजाय जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डाली जा रही है।

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हर समय मौजूद रहते हैं सैकड़ों मरीज और स्टाफ

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों का इलाज होता है। दिन-रात मरीज, उनके परिजन और मेडिकल स्टाफ यहां मौजूद रहते हैं। ऐसे में भवन की खस्ताहाल स्थिति किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

मानक के विपरीत निर्माण कार्य कराया गया 

सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट बीके माला ने पूरे मामले पर कहा कि जनता के साथ धोखा हर महीने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रीवा की कभी छत की सीलिंग गिरती है तो कभी आधा निर्माण भाग ही निकल जाता है.

इस प्रकार की लगातार घटनाएं सुपर स्पेशलिटी में हो रही है उसका मूल कारण है मानक के विपरीत निर्माण कार्य कराए गए व्यक्तिगत श्रेय लेने के उद्देश्य जल्दबाजी में निर्माण कार्य पूर्ण किया गया जो मानक मापदंडों के पूर्णता विपरीत साथी गुणवत्ता विहीन निर्माण कर कराया गया इस कर में लगे हुए तकनीकी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

निर्माण एजेंसी के विरुद्ध तत्काल एफआईआर दर्ज होनी चाहिए क्योंकि यह जनता से जुड़ा हुआ विषय स्वास्थ्य हॉस्पिटल सुपर स्पेशलिटी में कोई बड़ी अपनी घटनाएं घटित हो सकते हैं इसकी आखिर जवाबदारी किसकी होगी?

साथ ही सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक डॉ श्रीवास्तव के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि इन सब कमियों को लेकर समय पर रहते हुए अपने सजक नहीं किया और जानकारी नहीं दी इस पूरे व्यापक भ्रष्टाचार कमीशन खोरी के कारण यह स्थिति निर्मित हुई है।