विभाग एवं दलालों के गठजोर चल रहा अवैध खनिज परिवहन

जिले के हर मार्ग पर दलालों का राज,जिम्मेदार मौन

विभाग एवं दलालों के गठजोर चल रहा अवैध खनिज परिवहन

रीवा। रीवा जिले में खनिज माफिया का वर्चस्व अब किसी रहस्य की बात नहीं रह गया है। जिले में गिट्टी के अवैध परिवहन का एक सुनियोजित और संगठित नेटवर्क खड़ा हो चुका है, जिसमें खनिज विभाग, दलाल, ट्रक ऑपरेटर और स्थानीय स्तर पर कुछ रसूखदार चेहरे भी शामिल बताए जा रहे हैं। यह पूरा खेल न केवल कानून और शासन की आंखों में धूल झोंक रहा है, बल्कि हर महीने सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रहा है। बता दे जिले के स्टोन क्रेशर प्लांटों से रोजाना सैकड़ों ट्रक गिट्टी भरकर विभिन्न जिलों और राज्यों की ओर रवाना होते हैं। इन ट्रकों में से अधिकांश के पास न तो वैध ट्रांजिट पास (टीपी) होता है और न ही कोई वैधानिक दस्तावेज। फिर भी ये वाहन बेरोकटोक निकलते हैं। इसके पीछे एक पूरी व्यवस्था काम कर रही है जिसे एंट्री सिस्टम कहा जा सकता है। सूत्रों की माने तो बता दे इस सिस्टम के तहत, गिट्टी लदे ट्रकों से प्रति वाहन 7,000 रुपए तक की रकम वसूली जाती है। यह राशि दलालों के माध्यम से खनिज विभाग के कुछ अधिकारियों तक पहुंचाई जाती है। इसके बाद ट्रक को बिना टीपी के परिवहन की अनुमति मिल जाती है। सूत्र बताते हैं कि बिना एंट्री के कोई भी ट्रक जिले की सीमा पार नहीं कर सकता।जब इस पूरे मामले में जिला खनिज अधिकारी दीपमाला तिवारी से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा खनिज विभाग द्वारा कोई भी अवैध एंट्री या वसूली नहीं की जाती। हम समय-समय पर कार्रवाई करते हैं और अवैध परिवहन को रोकने के लिए निरंतर निगरानी रखते हैं।  हालांकि, ग्राउंड रिपोर्ट्स और सूत्रों के मुताबिक, हर माह की 1 से 5 तारीख के बीच वही दलाल खनिज कार्यालय में सक्रिय देखे जाते हैं, जो गाड़ियों से एंट्री वसूलते हैं। 

दलालों के नेटवर्क में हर रूट पर नियुक्त हैं प्रभारी 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जिले में एंट्री वसूली के लिए विभिन्न दलालों को अलग-अलग रूट और इलाकों की जिम्मेदारी दी गई है। उदाहरण के तौर पर,

कटनी रूट से आने वाले ट्रकों से महेन्द्र नामक व्यक्ति एंट्री वसूलता है।

रीवा रूट से निकलने वाले ट्रकों का हिसाब-किताब पिंटू नामक युवक के पास रहता है।

यूपी और बिहार की ओर जाने वाले ट्रकों की वसूली लाला गुरु और शैलेन्द्र नाम के दलाल देखते हैं।

वहीं, विजय और अलख नामक व्यक्ति भी कुछ लोकल रूट्स पर सक्रिय हैं।

शासन को भारी राजस्व नुकसान

पिछले वित्तीय वर्ष में रीवा जिले को खनिज राजस्व के निर्धारित लक्ष्य से काफी पीछे रहना पड़ा। विभागीय सूत्र भी मानते हैं कि यदि अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रभावी रोक लगाई जाती, तो लक्ष्य प्राप्ति संभव थी। संभागीय आयुक्त बीएस जामोद ने कई बार समीक्षा बैठकों में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए, लेकिन नतीजे न के बराबर दिखे।

पुलिस और परिवहन विभाग की भूमिका  भी संदिग्ध 

खनिज विभाग ही नहीं, पुलिस और परिवहन विभाग की निष्क्रियता भी इस पूरे मामले को संदिग्ध बनाती है। अगर सभी ट्रक बिना टीपी के निकल रहे हैं, तो सड़क पर चेकिंग की जिम्मेदारी किसकी है? क्या यह सामूहिक लापरवाही है या फिर कहीं न कहीं चुपचाप सहमति?