मंडला बना भ्रष्टाचार का अड्डा, ट्रैप के बाद भी DPC और AE बेखौफ ऑफिस में डटे, प्रशासन मौन!

मंडला में भ्रष्टाचार ने अब खुलेआम शासन-प्रशासन को चुनौती देनी शुरू कर दी है. हाल ही में 60 हजार की रिश्वत लेते ट्रैप हुए जिला परियोजना समन्वयक (DPC), मंडला अपने पुराने कार्यालय में कुर्सी पर बैठे पाए गए.

मंडला बना भ्रष्टाचार का अड्डा, ट्रैप के बाद भी DPC और AE बेखौफ ऑफिस में डटे, प्रशासन मौन!
पब्लिक वाणी

मंडला में भ्रष्टाचार ने अब खुलेआम शासन-प्रशासन को चुनौती देनी शुरू कर दी है. हाल ही में 60 हजार की रिश्वत लेते ट्रैप हुए जिला परियोजना समन्वयक (DPC), मंडला अपने पुराने कार्यालय में कुर्सी पर बैठे पाए गए. चौंकाने वाली बात यह है कि उन्हें न तो अब तक निलंबित किया गया है, न ही उनका तबादला किया गया है..

जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी, मंडला से बात की गई, तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें DPC की जॉइनिंग या कार्यभार ग्रहण की कोई सूचना नहीं है, लेकिन DPC के कार्यालय में बैठने से भी इनकार नहीं किया गया.

यह स्थिति यह दर्शाती है कि भ्रष्टाचारियों को सत्ता और प्रशासन का कोई डर नहीं रह गया है. ट्रैप जैसी गंभीर कार्रवाई के बावजूद यदि आरोपी अधिकारी उसी पद पर कार्यरत रहे और वही शक्तियां उपयोग करते रहें, तो यह सीधे-सीधे जांच प्रक्रिया और प्रशासनिक व्यवस्था की अवहेलना है.

एक और मामला: AE भी ट्रैप के बावजूद ऑफिस में बैठा है

मंडला में ही 11 सितंबर को एक AE ट्रैप हुआ था. परंतु आज तक उसके खिलाफ भी न कोई चालान पेश हुआ, न ही ट्रांसफर या सस्पेंशन ऑर्डर जारी हुआ है. वो भी अपने पुराने कार्यालय में बैठे-बैठे सभी फाइलों को "मैनेज" कर रहा है.